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समाज

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प्रिय सखी ।       कैसी हो ।और गर्मी का क्या हालचाल है हमारे शहर मे तो अप्रैल के महीने मे ही जून जैसी गर्मी पड़ रही है ।पर दोष दे भी तो किस को ये हमारा ही किया धरा है भगवान को तो खा

चंदा को ना जाने क्यों आज सुंदर की याद आ रही थी।वह जानती थी कि वो दिल फेंक आशिक था पर था तो उसकी बेटी का पिता ।आज अचानक से वो पुरानी यादों मे खो गयी।वो पहाड़ों पर घर का चुल्हा जलाने के लिए लकड़ियां बीन

अप्रैल माह में  मैं अपनी डायरी आत्ममंथन में कुछ इतिहास की, कुछ समाज की और कुछ अपने मन की बेबाक बातें करने की कोशिश करूंगी मैं इसमें कहां तक सफल हो पातीं हूं इसका निर्णय मैं अपने आदरणीय विद्वान पा

"मेरे प्रिय मोबाइल फोन" तुम से ही पूजा तुम से ही आरती तुम से ही ज्ञान देती माँ भारती प्रियजनों के हमको लेने हों हालचाल या सखियों की बात सुन हों खुशी से मालामाल इमरजेंसी में जाना हो डॉक्टर के

*रंग रंगीली होली *रंग रंगीली होली आई ।लाई खुशियों की सौगात।। भूल के सारे गिले शिकवे। प्रेम के रंग में रंग जाए एक साथ।। होली की इस  हर्षित बेला पे,सबको मिले यश कीर्ति ,सम्मान औ

-------‐-सहदेव मामा---( कहानी प्रथम क़िश्त)सहदेव ममा को देखकर मालती बहुत डरती थी । यह डर उसके दिल में बचपन से घर कर गया था । उनके मामा सहदेव बहुत ही ऊंचे कद काठी के इंसान थे साथ ही वे बोलते भी बहुत कम

अजी, पूछिए ही मत । दिल ने न जाने कितने अरमां पाले हैं मगर भाग्य के खेल निराले हैं । भाग्य से मां बाप, भाई बहन मिले । भाग्य से ही पत्नी मिली । अब ये ना कहना कि पत्नी तो हमने लालटेन की रोशनी में चप्पा च

आखिर देबू ने घर से भागने की ठान ली। वह आधी रात को भारी मन से चुपके से उठा और एक थैले में मैले-कुचैले कपड़े-लत्ते ठूंस-ठांसकर घर से चल पड़ा। सूनसान रात, गांव की गलियों में पसरा गहन अंधकार। अंधकार जैसे

जिंदगी क्या है , सुख दुख की एक रेल है  किसको क्या मिला, सब भाग्य का खेल है  कोई प्लेटफॉर्म पर पैदा होकर भी खुश है किसी को "राजमहल" भी लगता जेल है  किसी को बिन मांगे ही मिल जाता है सब कु

सुनैना परेशान थीं।...शेखर अब क्या होगा? परेशान तो मै भी हूँ।मैं तुमको छोड़कर जी नहीं सकता और उसके साथ जीना नहीं चाहता।जेल में रहने से अच्छा है कि आजा़द रहूँ।माया माया पर कुण्ड़ली मार कर बैठ़ी हैं।ऐसा कु

अनिल अनूप [पैसों के लिए मां-बाप ने मुझे कोठे पर बिठा दिया. वहां से भागकर रेलवे स्टेशन पहुंची. रोटी से ज्यादा आसानी से वहां नशा मिलता था.]तब मैं पेट से थी. सड़क पर रहती. जरूरत के समय दवा-दारू तो दूर, ए

आता नहीं तूफान हर, नुकसान करने के लिए।आते हैं कुछ तो राह को, आसान करने के लिए।।हर हादसे में, पक्ष  दोनों  काम  करते  हैं  सदा।हर बार कोई हानि, आवश्यक  नहीं  है 

कैला मैया का मंदिर राजस्थान के करौली जिले में जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर है । मान्यता है कि यह मंदिर मां अंबे का ही है । वैसे तो जितने भी देवी के मंदिर हैं, वे सभी मां अंबे, गौरी, शारदे को

10 अप्रैल 2022      रविवार   समय-10:46(रात)   मेरी प्यारी सखी,      इस गर्मी में हाल-चाल कैसे हैं तुम्हारे?   सबसे पहले तुम्हें रा

हैलो सखी।     कैसी हो ।खाटू नरेश की नगरी खाटू से मेरा नमस्कार ग्रहण करो। हां सखी कल ही रात ट्रेन से चले थे खाटूश्यामजी के लिए सुबह छह बजे पहुंच गये थे यहां पर ।सारी रात ट्रेन मे चलने पर

अक्सर ऐसा होता है कि किसी की ज़िंदगी की कोई छिपी हुई सच्चाई जानते ही हमारा नज़रिया उस व्यक्ति के प्रति बदल जाता है। शायद आदित्य जी और मिनाक्षी जी के बच्चों के साथ भी ऐसा ही हुआ। अभी उन्हें पूर्ण रूप स

जब मंद-मंद शीतल सुगंधित वायु प्रवाहित हो रही थी, साधुजन प्रसन्नचित्त उत्साहित हो रहे थे, वन प्रफुल्लित हो उठे, पर्वतों में मणि की खदानें उत्पन्न हो गई और नदियों में अमृत तुल्य जल बहने लगा तब- नवमी ति

*डूबा समंदर भी*डूबा समंदर भी आज संसार की ऐसी हालत देखकर। चाओं तरफ छाई है मायूसी इस कदर। डरता है आज इंसान,इंसान की परछाई से। अपनों को देख पाना भी हो जाता है मुश्किल ऐसा है ये कुदरत का कह

पूरा घर रौशनी में डूबा हुआ था। चारों तरफ लाइट्स जगमगा रही थीं। गुलाब की खुशबू फिज़ाओं में महक रही थी। सब लोग संगीत की धुन पर झूम रहे थे।आज राम आहूजा और साक्षी आहूजा की सालगिरह थी। उन्होंने अपने सभी दो

सुनैना की हालत ऐसी थी।अपने सुख सुविधा के लिए,क्या से क्या किया,कितने पापड़ बेलें।...और अब कैसे समझौता कर लें। महकतें चमन को उजड़ा चमन बना दें तो यह कैसे सम्भव हो सकता है कि आपका चमन सदा मंहकता रहें।जब ह

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