जिंदगी जब दर्द देती है तब जिंदगी का मतलब सीखते हैं.और जब दुसरे लोग लड़ते हैं तब लड़ना सीखते हैं.जब अपने साथ ना दें तो रोना सीखते है.और जब अपना साथ ना दे तब इस दुनियाँ को सीखते हैं.
मंजूर कर दो इस्तीफा मेरा,हुस्नपरस्ती की चाकरी सेअच्छी तो खूब लगती है,पर अब होती नहीं मुझसे !.और ले जाओ ये पुलिंदाकागजात का, जिसमेंलिखा है सारा हिसाबतेरा-मेरा और हमारा का !.खून-ए-दिल से भरीये दवात भी ले जाओजो एक भी हर्फ़ नहींलिखती किसी और को !.और हिसाब कर दो पूरा मेरे मेहनताने का,बची-खुची मेरी ज़िंदगीम
अपना उधार ले जाना!तेरी औकात पूछने वालो का जहां, सीरत पर ज़ीनत रखने वाले रहते जहाँ, अव्वल खूबसूरत होना तेरा गुनाह, उसपर पंखो को फड़फड़ाना क्यों चुना?अबकी आकर अपना उधार ले जाना!पत्थर को पिघलाती ज़ख्मी आहें,आँचल में बच्चो को सहलाती बाहें,तेरे दामन के दाग का हिसाब माँगती वो चलती-फिरती लाशें। किस हक़ से देखा
तेरा रुठना मेरा मनानामेरा रूठना तेरा मनानाइसे ही तो प्यार कहते हैक्या जाने ये जमाना ।।......संगम .....
ना अदावत होगी ना बगावत होगी, ना ज़माने से कोई शिकायत होगी एक बार करलो संगम यार फिर हर पल महोब्बत होगी.......... @ओम प्रकाश "संगम"
मेरे शब्दों में अब बजन ही कंहा रहा है वो तो बस असर था तेरी मोहब्बत का , जो इतना कुछ लिखा था तेरे को दिल के आइने में देख देख के ... #आप याद आते हो मनमोहन कसाना
मुझसे मुहब्बत करे कोई शायद गाफिल ही होगाउजड़े दयार से किसी को कुछ हासिल नही होगा- रविंदर विज
गमज़दा रात है बेवफा ए उल्फ़त भी है और तन्हाई है दीवानगी सी लगती है बस वीरानगी सी छाई है - रविंदर विज
हम अपना दर्द किसी को कहते नही, वो सोचते हैं की हम तन्हाई सहते नही, आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे, क्योकि सूखे हुवे दरिया कभी बहते नही..
उड़ा भी दो सारी रंजिशें इन हवाओं में यारो, छोटी सी जिंदगी है नफ़रत कब तक करोगे, घमंड न करना जिन्दगी मे तकदीर बदलती रहती है, शीशा वही रहता है बस तस्वीर बदलती रहती है..