मेरी बंदगी पे इतनी इनायत करले ऐ खुदाकी मुंतज़िर-ऐ-ज़िंदगी को उनकी मौसिकी से नजात मिल जाए ये मेरी तिशंगी है ना की नादान सी खवैशे उनके तज्वर किजो कभी पूरी हो नहीं सकती....।।।- जास्मिन बहुगुणा
शेर शायरी की दुकान है हमारी बस कुछ खरीददार चाहते है और तू कुछ नही है बस जो कुछ ये ही सब है
ज़िन्दगी का क्या, ज़िंदगीभर साथ नहीं देती,ख्वाहिशों का क्या, ख़त्म भी तो नहीं होती,जख्म हो तो मरहम भी मिल जाता है;दवा की जरुरत किसे है दुवा हो बस जो ख़त्म नहीं होती। Tejaswita Khidake: ख्वाहिश
ख्वाबों में तुम हो ख्यालों में तुम हो, मेरे दिन में तुम हो रातों में तुम हो, सपना तुम हो हकीकत भी तुम हो।। कहते है कि ख़ुदा हर जगह मौजूद है.. तो क्या मैं कहूँ कि मेरे ख़ुदा भी तुम हो..!!
आज गूगल के सर्च-इंजिन पर महान शायर मिर्जा “ग़ालिब” को विशेष रूप से सम्मानित करने के लिए उनके 220वें जन्म-दिवस(27दिसम्बर) पर ‘डूडल’ बनाकर प्रदर्शितकिया है । मिर्ज़ा असद -उल्लाह बेग ख़ां उर्फ“ग़ालिब” (27 दि
अभी हाल में कश्मीर के नौहट्टा से एक दुखद घटना सुनने को मिली ...... शहीद DSP मौहम्मद अयूब की निर्मम हत्या से कुछ सवाल खड़े हुए है जो इन 2 रचनाओं के माध्यम से सामने रख रहा हूँ
खुद का सब्र आज़माया,उसके दर से पहले,रास्ते में थे कई मुकाम, उसके घर से पहले,ऊँचें बेशक़ कर लिए दर-ओ-दिवार अपने,यक़ीनन झुका था ईमान, खुद नज़र से पहले,बिना कहे-सुनेही जद्दो-जेहद बयाँ हो गयी,जी भर के रोया था जो, अपने फ़क़्र से पहले,शायद कुछ अधूरी सी ही रह गयी वो दुश्मनी,हमारी ज़िंदगी जो कट गयी, इक सर से पहले,
मुश्किल ना था यादों को तरो-ताज़ा करना,बैठे-बिठाये खुद का ही खामियाज़ा करना, पहली ही दस्तक पे जो खोल दिया था मैंने,फ़िज़ूल था उसका बंद वो दरवाज़ा करना, रुकता भी तो शायद ना रोकता कभी उसे,वक़्त से चंद लम्हों का क्
न भागना ,न कोई बहाना काम आयेगा । मुश्किलों से सिर्फ टकराना काम आयेगा । लोग जहनी हैं, बहुत इल्म है जमाने में । होगा जो सही इस्तेमाल ,माना जायेगा । फुर्सत किसी को वक्त की मोहलत होगी । दिल को करार आयेगा तो, माना जायेगा ।
आग सूरज में होती है , तड़पना जमी को पड़ता हैं | मौहब्बत निगाहें करती हैं ,तड़पना दिल को पड़ता हैं || सीने में लगी है , आग दुनियां में लगा दूँगा | जिस दिन उठेगी तेरी डोली, उस दिन पूरी दुनियाँ को जला दूँगा ||
दोस्तों घर पथ्तरों से बनता हैं ,लेकिन परिवार माँ-पिता से || हजारो फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए,हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए |हजारों बून्द चाहिए समुद्र बनाने के लिए,पर “माँ “अकेली ही काफी है बच्चो की जिन्दगी को स्वर्ग बनाने के लिए..!!**********************@@*********************
टूटे दिलो के तराने लिख रहा हूँ..! नाकाम मोहबत के फ़साने लिख रहा हु.... !! जो थे कभी आबाद उन दिलो के ...! ऐसे बदनसीबों के जमाने लिख रहा हु...!! हाँ एक शायर होने के नाते ...! शबनम से फूलो पे तराने लिख रह
जख्म ऐसा दिया की कोई दवा काम ना आई,आग ऐसी लगाई की पानी से भी बुझ ना पाई|हम आज भी रोते हैं उनकी याद में,जिन्हें हमारी याद गुजर जाने पर भी ना आई ||****************************************कांच चुभे तो निशान रहे जाते है,और दिल टूटे तो अरमान रहे जाते हैं |लगा देता हैं वक्त मरहम इस दिल पर,फिर भी उम्र भर ए
तुम्हें जो देखा तो पलको तले लाखो दिये से देखो जलने लगे .... तुम हो मेरी धड़कन , फिर जिस्म में क्यों नही धडकती हो ...... तुम हो मेरी सांस , फिर क्यों इस तरह उखड़ती हो ?……तू जो नही तो केसी खुशी ?मायूसी मे डूबी ह