काठगोदाम से लगभग 78 किलोमीटर,
नैनीताल से लगभग 55 किलोमीटर और अल्मोड़ा से लगभग 40 किलोमीटर दूर
स्थित अल्मोड़ा जिले में स्थित हिल स्टेशन रानीखेत की नीरव सुन्दरता हर किसी को यहाँ
सहज ही खींच लाती है| कुमाऊँ रेजिमेंटल के मुख्यालय रानीखेत के प्राकृतिक गोल्फ
कोर्स को यूं तो आपने विवाह जैसी बहुत सारी फिल्मों में भी देखा होगा| अगर आपको भी
कभी रानीखेत जाने का मौका मिले तो प्राकृतिक सुन्दरता निहारने के अलावा वहां के
स्थानीय सिद्धपीठ “मां झूला देवी के मंदिर” का दर्शन अवश्य करें और अपनी मन्नत
पूर्ण होने पर यहाँ घंटी चढ़ाना बिल्कुल भी न भूलें क्योंकि यह यहाँ का एक रिवाज है|
रानीखेत शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर चौबटिया–राम मंदिर रास्ते पर स्थित इस
मंदिर में मां दुर्गा झूले पर प्रतिस्थापित हैं इसीलिए इस मंदिर को झूला देवी
मंदिर कहते हैं| मन्नत पूर्ण होने पर यहाँ घंटियाँ चढाने की जन-मान्यता के कारण
यहाँ अधिसंख्य घंटियों को आप सहज ही देख सकते हैं, जो इस मंदिर के सिद्ध होने का
प्रमाण है| मंदिर की स्थापना के सम्बन्ध में कहा जाता है कि कभी यहाँ घना वन्य-क्षेत्र
था जिस कारण स्थानीय लोगों को वन्य-जीवों से जान का खतरा होता था| भक्तों की रक्षा
के निमित्त एक बार मां दुर्गा एक गड़रिये के स्वप्न में आईं और उससे कहा कि एक
निश्चित स्थल की खुदाई करने पर उनकी मूर्ति मिलेगी जिसकी झूले पर प्रतिस्थापना
करने पर उन लोगों की रक्षा सुनिश्चित हो सकेगी| इसके बाद स्थल विशेष की खुदाई से
प्राप्त मां दुर्गा की मूर्ति को झूले पर प्रतिस्थापित कर इस मंदिर का निर्माण हुआ
और मां झूला देवी की शक्ति से स्थानीय लोगों को जंगली पशुओं के आतंक से मुक्ति मिल
गई|