चंडी
देवी मंदिर देवभूमि उत्तराखण्ड की धार्मिक नगरी हरिद्वार जिसे धर्मनगरी और
कुंभनगरी भी कहते हैं में नील पर्वत के शिखर पर विराजमान है चंडी देवी मंदिर| इन
दिनों यूं भी हरिद्वार में अर्ध-कुंभ मेला चल रहा है| इसलिए अगर आप अर्ध-कुंभ में हरिद्वार
जा रहे हैं तो यहाँ हर की पैड़ी में पवित्र स्नान के साथ ही देवी चंडी मंदिर का भी
दर्शन अवश्य करें| पवित्र गंगा नदी के दूसरी ओर अवस्थित यह मंदिर देश के प्रसिद्ध धार्मिक
स्थलों में से एक है| ज्ञातव्य है कि इस सिद्धपीठ मंदिर को कश्मीर के राजा सुचेत सिंह
ने 1929 ई. में बनवाया था। मान्यता है कि आदिगुरु शंकराचार्य जी ने आठवीं शताब्दी में
देवी चंडी की मूल प्रतिमा यहाँ स्थापित करवाई थी। जनश्रुतियों के अनुसार देवी
दुर्गा की प्रतिरूप देवी चंडी ने दानव शुंभ-निशुंभ के साथ ही इनके सेनापति चंड-मुंड
का यहीं पर संहार किया था| इसी कारण इस स्थल का नाम चंडी देवी पड़ा| इस स्थान तक पहुँचने
के लिए आप हरिद्वार में कहीं से भी ऑटोरिक्शा या टैक्सी ले सकते हैं। हरिद्वार में चंडीघाट
पहुँच कर यहाँ से 3 किलोमीटर की ट्रैकिंग के बाद इस स्थल तक पहुंचा जा सकता है। हालाँकि
अब इस मंदिर के लिए रोप-वे भी बना दिया गया है जिस कारण बड़ी संख्या में लोग इस
सिद्ध मंदिर में जाने लगे हैं। वास्तव में रोप-वे एक अच्छा विकल्प है और इससे यहाँ
पहुँचने में लगभग 25 मिनट का ही समय लगता है।