अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय परन्तु अद्भुत एवं अभिनव पर्यटन आकर्षण यह वन्य-जीव अभ्यारण्य उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद के तराई क्षेत्र में नेपाल सीमा के समीप स्थित है, जो दुधवा टाइगर रिज़र्व का एक हिस्सा है|
३१ मई, १९७६ में स्थापित इस अभ्यारण्य को ६ प्रखंडों में बांटा गया है| ४ प्रखंड कतर्निया, निशानगारा, मुर्थिया और धर्मपुर अभ्यारण्य के कोर (ह्रदय-स्थल) जबकि बाकी के २ प्रखंड बफर (ह्रदय-स्थल के चारों ओर) क्षेत्र में स्थित हैं, जहां थारू जन-जातीय लोग निवास करते हैं| कतर्नियाघाट नेपाल स्थित बार्दिया राष्ट्रीय पार्क के सीमा-क्षेत्र से भी जुड़ा है| गिरवा और कोडिआला नदियाँ, जो आपस में जुडती हैं और बाद में घाघरा नदी के नाम से जानी जाती हैं, इस अभ्यारण्य से होकर गुजरती हैं| वन्य-जीव संरक्षा अधिनियम, १९७२ और उत्तर प्रदेश वन्य-जीव संरक्षा नियम, १९७४ जनपद में लागू है, जिसके तहत् यहाँ के सभी जीव-जंतु एवं पक्षिओं के पकड़ने एवं शिकार पर पूर्ण प्रतिबन्ध है|
यहाँ पाए जाने वाले जंतुओं में बाघ, चीता, स्वाम्प डियर, चीतल, कांकर, उड़ने वाली गिलहरी, नीला सांड (गवल), सांभर, कला छेला (ब्लैक बक), भौकने वाला हिरन, जंगली सूअर, गीदड़, भालू, हिरन, गैंडा, हाथी, ४ सींगों वाला एंटीलोप, भारतीय चिंकारा, जंगली मुर्गा इत्यादि प्रमुखता से शामिल हैं| बाघों की आबादी के ताज़ा रिपोर्ट (२०११) के अनुसार अभ्यारण्य एवं इसके आस-पास के क्षेत्रों (भारत-नेपाल) में बाघों की संख्या भी बढ़ रही है| वहीं यहाँ के जलीय जंतुओं में डॉल्फिन, मगरमच्छ, घड़ियाल, मछलियाँ- रोहू, भाकुर, परहिन, नइन, टोंगन, बेलगागरा, करोंच इत्यादि, कछुवे, अजगर, उदबिलाव के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं|
उल्लेखनीय है कि कतर्नियाघाट स्थित क्रोकोडाईल फार्म की स्थापना १९७२ में हुई थी| पूर्व में, मगरमच्छों की संख्या बढ़ाने एवं इनके संरक्षण हेतु यहाँ कृत्रिम मगरमच्छ प्रजनन प्रक्रिया अपनाई जाती थी, जो अब प्राकृतिक उत्पत्ति में परिवर्तित हो चुकी है| भारत में जल के समीप लगभग १३०० पक्षिओं की प्रजातियां पायी जाती हैं, जिसमें से ३५० प्रजातियाँ अपने प्राकृतिक आवास की उपलब्धता के कारण कतर्नियाघाट अभ्यारण्य में सहज ही देखी जा सकती हैं|
प्रवासी पक्षी (लाल
कलगी वाला बुडार, लाल बत्तख, खाचैंचा) जाड़े में यहाँ कुछ दिन ठहरते हैं और बाद में
अपने अगले गंतव्य की ओर उड़ जाते हैं| वहीं यहाँ पाए जाने वाले अन्य पक्षिओं में
भारतीय जल-कौवा, डार्टर, ग्रे-हेरॉन, पेंटेड स्टोर्क, ऊनी गर्दन वाला स्टोर्क
(चमरघेंच), काला बुज्जा, स्पूनबिल, एशियन ओपनबिल, चैती, नार्दर्न पिनतैन, नदी
टिटहरी, ब्लैक विन्ग्द स्टिल्ट, कामन कूट, पाईड किंगफ़िशर एवं वाइट थ्रोटेड
किंगफ़िशर प्रमुख हैं| जबकि पेड़ों पर पाए जाने वाले पक्षियों में शिकरा, लाल सिर
वाला गिद्ध, भस्मवर्णीय गिद्ध, लम्बा गिद्ध, वाइट रम्पड राकेट टेल्ड ड्रोंगो, कला
छात्र वाला पीलक, ग्रीन बी-ईटर एवं स्टोर्क बिल्ड किंगफ़िशर के नाम विशेष रूप से गिनाये
जा सकते हैं| साथ ही, घास के मैदानों में पाए जाने वाले जंतुओं विशेष कर पैडीफिल्ड
पिपिट (चचरी), ब्लैक फ्रैंकोलिन, ग्रे फ्रेंकोलिन, स्वाम्प फ्रेंकोलिन, यूरेशियन
थिक-नी, बेंगाल फ्लोरिकन, वाइट वाग्टेल एवं लाल जंगली मुर्गे को देखने का आनंद ही
कुछ और है|
स्थिति
एवं दूरी: उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद के जिला-मुख्यालय बहराइच शहर से सड़क द्वारा
८६ किलोमीटर एवं रेल द्वारा १०५ किलोमीटर तथा नेपाल सीमा से लगभग ७ किलोमीटर एवं
लखनऊ से २०५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित| मुख्य निकटतम मार्केट- बिछिया बाज़ार (६
किलोमीटर दूर)|
भ्रमण
हेतु आदर्श मौसम: १५ नवम्बर – १५ जून
खुलने
की समयावधि: सूर्योदय से सूर्यास्त|
मुख्य
आकर्षण: प्राकृतिक सौंदर्य एवं वन्य-जीव विशेष कर मगरमच्छ, घड़ियाल तथा डाल्फिन|
साथ ही पर्यटकों के लिए उपलब्ध हाथी एवं नाव-सवारी सेवा|
उपलब्ध
सुविधाएँ: रहन-सहन हेतु किचन की सुविधायुक्त थारू हट एवं फ़ॉरेस्ट रेस्ट हाउस|
कैसे
पहुंचें?
- सड़क – लखनऊ से बहराइच होते हुए बिछिया बाज़ार|
- रेल – पूर्वोत्तर रेलवे के गोंडा-बहराइच रेल खंड (मीटर गेज़) पर स्थित बिछिया यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन है, जबकि यहाँ का मुख्य निकटतम रेलवे जंक्शन गोंडा है, जो लखनऊ-गोरखपुर मुख्या रेल मार्ग पर अवस्थित है|
- वायु – यहाँ का निकटस्थ एअरपोर्ट लखनऊ में अमौसी स्थित चौधरी चरण सिंह एअरपोर्ट है (दूरी : २१० किलोमीटर)