विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल सरोवर नगरी नैनीताल में यूं तो बहुत सारे पर्यटन
आकर्षण हैं| लेकिन महत्वपूर्ण बात है कि इस स्थल के धार्मिक एवं पौराणिक महिमा से बहुत
सारे लोग आज भी अनभिज्ञ हैं| उल्लेखनीय है कि नैनीताल अपनी प्राकृतिक सुन्दरता ही
नहीं वरन देवी शक्ति के 52 शक्तिपीठ स्थलों में से भी एक पावन स्थल है जहां देवी दुर्गा की प्रतिरूप मां
शक्ति के नैन गिरे थे जिस कारण नैनीताल की मशहूर नैनी झील जिसके कारण इस स्थल का
यह नाम पड़ा है के उत्त्तरी किनारे पर विराजमान है देवी नैना का प्रसिद्ध मंदिर| 1880
में भूस्खलन से हालाँकि यह मंदिर नष्ट हो गया था जिसे बाद में दुबारा बनाया गया
है| नैना मंदिर में दो नेत्र विराजमान हैं जो नैना देवी के प्रतीक हैं| पौराणिक
मान्यता है कि भगवान शिव द्वारा देवी सती
की मृत देह को भगवान विष्णु ने जब अपने सुदर्शन चक्र से खंडित किया था तो जहां-जहां
देवी के अंग और आभूषण गिरे वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। आज का नैनीताल वही
स्थान है, जहाँ देवी सती के नैन गिरे थे। नयनों की अश्रुधार ने यहाँ पर ताल का रुप ले
लिया जो वर्तमान का नैनी ताल है| इसी कारण इसके उत्तरी छोर पर मां नैना देवी मंदिर
की स्थापना हुई| तबसे निरन्तर यहाँ शिवपत्नी नन्दा (पार्वती) की पूजा नैनादेवी के रुप में होती
है। वैसे हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में भी नयना देवी का एक सिद्ध मंदिर है,
जिसे कुछ जानकार शक्तिपीठ मानते हैं|