टोल प्लाज़ा पर अगर आपको 3 मिनट से ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ता है, तो आपको कोई पर्ची कटवाने की ज़रूरत नहीं है. बिंदास निकल चलिए. ये हम अपने मन से नहीं कह रहे. एक आरटीआई के जवाब में ये हैरान करने वाला तथ्य सामने आया है. जिससे ज़्यादातर जनता अंजान ही है.
लुधियाना के एडवोकेट हरिओम जिंदल ने एक आरटीआई फाइल की थी. जिसमें उन्होंने टोल प्लाज़ा पर लगने वाले वेटिंग पीरियड को लेकर कुछ सवाल पूछे थे. जो जवाब आया उसने उन्हें भी हैरान कर दिया. बताया गया कि किसी भी टोल टैक्स बूथ पर लगने वाला वेटिंग टाइम 3 मिनट से ज़्यादा का नहीं हो सकता. इसका मतलब है कि 3 मिनट के बाद आप बिना टोल भरे निकल सकते हैं.
हरिओम जिंदल ने लॉजिकल इंडियन को बताया,
“मैंने टोल प्लाज़ा पर लंबी-लंबी कतारें देखी हैं. खुद भी भुगता है. कई गाड़ियां बहुत देर तक इंतज़ार करती रहती हैं अपनी बारी आने का. टोल कलेक्ट करने वाले सही शेड्यूल तक नहीं बताते.”
सड़कों से जुड़े मामले हाइकोर्ट में नहीं, कंज्यूमर कोर्ट में
नेशनल हाईवे केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं. इसलिए अगर किसी को कोई शिकायत होती है, तो उसको हाईकोर्ट में पिटीशन डालनी पड़ती है. अब हाईकोर्ट के वकीलों की फीस कौन भरे? वो भी सिर्फ 200-300 रुपए के क्लेम के लिए. इसीलिए ज़्यादातर लोग इसको अवॉयड ही करते थे. ऊपर से हाईकोर्ट ही जाना पड़ता था, जो कि वक्तखाऊ काम है. गुडगांव में रहने वाला कोई एक केस फाइल करने के लिए चंडीगढ़ क्यों जाना चाहेगा?
एडवोकेट जिंदल ने इसके खिलाफ़ एक कंप्लेंट दर्ज की. उन्होंने तर्क दिया कि जो टोल लिया जाता है, वो टैक्स नहीं है. टैक्स तो पहले ही पे कर चुका है कंज्यूमर. ये यो रोड़ इस्तेमाल करने की फीस है महज़. जब हम किसी भी चीज़ का यूज़र चार्ज पे करते हैं, तो इससे जुड़ा हर मामला कंज्यूमर कोर्ट का बनता है. और कंज्यूमर कोर्ट हर जिले में होता है. जिसकी फीस भी हाईकोर्ट के मुकाबले बहुत कम होती है.
हरिओम जिंदल ने इसके लिए लड़ाई लड़ी. वो इस तरह के केसों को कंज्यूमर कोर्ट में लाना चाहते थे. काफी जद्दोजहद के बाद वो अपना मनमाफिक फैसला पाने में सफल रहें. अब उपभोक्ता अदालतों में ऐसे मामलों की सुनवाई हो सकेगी.
हम लोग गैर-ज़रूरी मुद्दों पर बहसें करने में अपनी तमाम ज़िंदगी निकाल देते हैं. हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ी कितनी ही चीज़ें हैं, जिनके बारे में हमें ठीक से पता भी नहीं. कितने ही अधिकार हमने अपनी मर्ज़ी से छोड़े हुए हैं. एडवोकेट हरिओम जिंदल जैसे लोग हम लोगों की लड़ाई लड़ते हैं. उनका ढेर सारा शुक्रिया.
साभार : The Lallantop