त्वचा से सम्बंधित समस्याएं जैसे मुंहासे, चक्कते, रूखी त्वचा आदि देखने में भले ही आम समस्याएं लगें लेकिन कई बार यह गंभीर रोगों का संकेत भी हो सकती हैं। वर्तमान समय में धूल, धूप तथा प्रदूषण त्वचा संबंधी समस्याओं के सबसे बड़े कारण माने जाते हैं। आज के समय में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण त्वचा जन्य रोगों में भी बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा धूप तथा दूषित जल भी त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं तथा त्वचा रोगों को बढ़ावा देते हैं। कई बार त्वचा संबंधी समस्याएं गलत खानपान के कारण भी बढ़ जाती है, विशेषज्ञों का मानना है की अधिक तैलीय तथा चटपटा भोजन त्वचा जन्य समस्याओं को बढ़ावा देता है। आयुर्वेद त्वचा संबंधी सभी समस्याओं का सरल निदान करता आया है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति में शुद्ध प्राकृतिक घटकों से उपचार किया जाता है, जिसके कारण रोगी को किसी प्रकार का संक्रमण होने का ख़तरा भी नहीं होता है। त्वचा संबंधी रोगों के लक्षण - 1 - चेहरे और शरीर पर मुंहासों की समस्या। 2 - त्वचा पर लाल चकत्ते हो जाना। 3 - नसों में नीलापन दिखाई देना और त्वचा का नीला पड़ जाना। 4 - त्वचा पर खुजली वाले गोल-सफेद चकत्ते हो जाना। 5 - त्वचा और नाखून का जगह-जगह से उखड़ने लगना। त्वचा संबंधी रोगों के प्रकार - 1 - चेहरे पर अवांछित बाल या मुंहासे - ऐसी कई महिलाएं होती हैं जिनके चेहरे पर लंबे समय तक मुंहासे रहते हैं और दवा के बाद भी पूरी तरह खत्म नहीं होते। या फिर अचानक से चेहरे पर बाल बढ़ने शुरू हो जाते हैं। 2 - त्वचा पर अधिक खुजली - त्वचा पर रैशेज या बहुत अधिक खुजली, अगर बार-बार यह समस्या आपके साथ बनी रहती है तो यह किसी तरह की एलर्जी के भी लक्षण हो सकते हैं। 3 - त्वचा पर रैशेज या रंग बदलना - कई बार त्वचा इतनी संवेदनशील हो जाती है कि उस पर रैशेज और प्लेक बनने लगते हैं। कभी-कभी स्थिति यह भी होती है कि त्वचा का रंग बदल जाता है। 4 - लाल चकत्ते होना - त्वचा पर बहुत खुजली और लाल चकते 'हेपेटाइटिस सी' का भी संकेत हो सकते हैं। 5 - सोरायसिस की समस्या - सोरायसिस होने पर त्वचा पर लाल, परत वाले चकत्ते होने लगते हैं। 6 - दाद होना - यह रोग त्वचा की सही तरीके से साफ़-सफाई नहीं करने के कारण होता है। इसके अलावा शरीर के किसी हिस्से का लंबे समय तक पानी में रहने के कारण भी दाद की समस्या हो जाती है। त्वचा संबंधी रोगों का आयुर्वेदिक उपचार -