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व्यंग्य

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वाकई गधा, गधा हैं! ( व्यंग्य )-गधे का बोल देना यात्रा के दौरान मंगलमय माना जाता है और यदि कछुआ अंगुलि को पकड़ ले तो गधे की आवाज सुनकर छोङ देता है. ऐसा माना जाता है पता नहीं वास्तविकता क्या है लेकिन गधे की मेहनत की वास्तविकता को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं परंतु कर

पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहाड़आज पता चला कि हिन्दू धर्म में 33करोड़ देवी-देवताओं की आवश्यकता क्यों है। फैज़ाबाद से बस्ती जाते समय रास्ते में अयोध्या पड़ता है । चूँकि आज चैत रामनवमीथी तो पुरे देश भर से लोग अपना-अपना पाप धोने अयोध्या में पधारे थे । इतनी सारेपापी मैंने आज से पहले कभी नहीं देखे थे। भ

'जी करता है कि जान से मार दूं उस रमुआ को. दो टके का दुकान क्या कर लिया मुझे रे कह कर बुलाता है. अरे! मैं बेरोजगार ही सही पर जात में बङा हूँ उससे. बैठने के लिए न पूछो, चाय के लिए न पूछो लेकिन बोली तो तहज़ीब से बोलनी चाहिए. साला, जात ही उसकी ऐसी है कि बोली कभी नहीं बदलेगी'. स्वदेश सिंह की यह झल्लाहट व

वैसे तो सभी अंग शरीर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. लेकिन किडनी को इतना तवज्जो क्यूँ देते हैं हम? शायद इसीलिए कि वह हमें आसानी से मिलती नहीं और मिलती भी है तो इतनी महंगी की सुनकर हार्ट फेल हो जाये! किडनी और कीमती के शब्दों में कोई ज्यादा फर्क नहीं है. किडनी तो इतनी कीमती है कि बङे पैमाने पर इसकी तस्करी

समस्त नरों में इन्द्र की भांति प्रतिष्ठित व मन में मोद भरने वाले श्री नरेन्द्र मोदी ने, विक्रम संवत 2073 के शुभ कार्तिक मास की नवमी में चन्द्रदेव के कुंभ राशि में प्रवेश के बाद, यानि दिनांक आठ नवम्बर 2016 को समस्त देशवासियों को पाँच सौ

बेटीयह कविता देश की दोनों बेटियों को समर्पित है जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीतकर देश का मान सम्मान बढ़ाया है एवं उन लोगों के लिये कटाक्ष है जो कन्या भ्रूण हत्या कर देते हैं, या बेटी होने पर उपेक्षा करते हैं।जन्म लिया कन्या ने घर में, सन्नाटा पसर गया।माँ-बाप, दादा-दादी का सपना बिखर गया।चाहत थी सबको बेटे

लाला चतुर्भुज अपने पिता की इकलौती संतान थे, अतः पिता की वणिक बुद्धि और व्यापार उन्हें पूरा पूरा मिला. पिता प्यार से उन्हें चतुर कहा करते थे, और वे यथानाम तथागुण चतुर ही थे. पिताजी के कड़वे तेल के धंधे को रिफाइंड आयल बिजनेस में बदलकर उ

@@@@@@नौकरी का गुरूमन्त्र@@@@@@******************************************************नौ किये पर एक न किया,तो नौ पर फिरता पानी |यह नौकरी की विडम्बना , बड़े अनुभव से जानी ||नौकरी में नो (NO) कहा तो ,गया काम से बन्दा |गरदन पर कस जाता , ट्रान्सफर का फन्दा ||नौकरी वो ना करे, जो रखे स्वाभिमान |नौकरी तो वो

(यह लेख हमने कुछ वर्ष पूर्व लिखा था और कई स्थानों पर प्रकाशित हुआ था, परंतु भारत देश में घोटाले, घोटालेबाज व घोटालागाथाएँ, धर्म की भांति सनातन हैं, अतः यह लेख आज भी सामयिक है, सुधी पाठकों की सेवा में इस वेबसाईट पर भी समर्पित)कुछ समय प

   देवी अत्यधिक क्रोध में हैं। अपने महल में चहल-कदमी करते हुए वो कुछ बुदबुदा रही हैं। ध्यान से सुनने पर ज्ञात होता है कि वो 'तिलक, तराजू और तलवार/इनके मारो जूते चार' नामक अपने साम्राज्य के पवित्र मन्त्र का बेचैनी से जाप कर रही हैं। उनके हाथ में टंगे भारी-भरकम बटुए में पाँच पैसे, दस पैसे, बीस पैसे, च

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की पहल से प्रेरित हो कर एक अन्य राज्य केमुख्यमंत्री ने भी अपनी सरकार में ‘आनंद मंत्रालय’ बनाने का विचार किया. वह झटपट अपने बड़े भाई के पास दौड़े. बड़े भाई जेल में बंद होते हुए भी पार्टीके अध्यक्ष थे, उन्हीं के आदेश पर मुख्यमंत्री सब निर्णय लेते थे. बड़े भाई नेसोच-विचार कहा की

आज से लगभग चालीस साल पहले, ना तो गाँव शहर की चमक दमक पर जुगनू से दीवाने थे, ना शहर गाँव को लीलने घात लगाये बढ़ रहे थे. शहर से गाँव का संपर्क साँप जैसी टेढ़ीमेढ़ी काली सी सड़क से होता था, जिससे गाँव का कच्चा रास्ता जुड़कर असहज ही अनुभव करता था. गाँव की ओर आने वाली सड़क कच्ची व ग्राम्यसहज पथरीला अनगढ़

गायतोंडे जी हमारी सरकार में दो दो विभागों के मंत्री हैं. संस्कृति मंत्रालय और पशुपालन मंत्रालय का पूरा पूरा दायित्व उनके कंधों पर है. भगवान जानता है कि उन्होंने दोनों मंत्रालयों के बीच कोई भेद नहीं किया है. दोनों को अपनी पूर्ण क्षमता से दुहा है. अक्सर उनको दोनों मंत्रालयों के विभिन्न कार्यक्रमों में

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