@@@@@@नौकरी का गुरूमन्त्र@@@@@@
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नौ किये पर एक न किया,तो नौ पर फिरता पानी |
यह नौकरी की विडम्बना , बड़े अनुभव से जानी ||
नौकरी में नो (NO) कहा तो ,गया काम से बन्दा |
गरदन पर कस जाता , ट्रान्सफर का फन्दा ||
नौकरी वो ना करे, जो रखे स्वाभिमान |
नौकरी तो वो करे ,जो करदे इसका दान ||
नौकरी अगर करी तो, नो (NO) कभी न करना |
यस सर यस सर कह सदा,बोस की हामी भरना ||
बोस अगर दिन को, बतलाता है रात |
तारे खूब चमक रहे हैं,कह दो झट यह बात ||
सबसे बड़ा बेईमान बता कर,यदि करे बोस अपमान |
असत्य आरोप यह सह लीजिये , कर शान कुर्बान ||
गुलामी समझ नौकरी को ,करो बोस की सेवा |
बोस के प्यारे बन कर , पाओ सुख का मेवा ||
चलता जो इस गुरूमन्त्र पर, वो करता निशदिन ऐश |
समझाया, पर समझ न पाया,यह खुद्दार कवि दुर्गेश ||
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