shabd-logo

व्यंग्य

hindi articles, stories and books related to vyangya


छिछोरे लाल 30 साल बाद आज पुनः जवान हो गये थे। आँखों पर लाल चश्मा, पीली टीशर्ट, काली कार्गो पेंट। आखिर आज रिटायर्ड होने के बाद पुनः अपने पहले प्यार से मिलने का मौका मिला था। आज से 30 साल पहले वो उसी के

ललुआ सुबह तीन बजे उठ जाता। वह गोदी में उठाकर अपनी भैंस को तबेले की तीसरी मंजिल पर ले जाता। वह भैंस को हाथ में ऊपर उठाता और छोड़ देता। ऐसा दो तीन बार करने पर भैंस नींद से उठ जाती और रंभाना शुरू कर देती।

# आज इंद्रापुरम में दूध फट गया जिसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनी गई। बताया जा रहा है कि कोई व्यक्ति फ्रिज में रखकर दही जमाने की कोशिश कर रहा था। जिस कारण दूध फट गया। फटे दूध को सिलने के लिए दर्जियों की म

अमोलक जी जैसे ही झाड़ू उठाकर बाहर जाने लगे तो लाजो जी ने उन्हें पीछे से पकड़कर खींचा "भगवान ने थोड़ी बहुत भी अक्ल नहीं दी है क्या ? पता नहीं किस मूर्खानंद ने आपको अफसर बना दिया ?  गुण तो घास खोदन

लाजो जी की हालत खस्ता कचौरी जैसी हो गई  । सारा काम उन्हें ही करना पड़ेगा , यह सोच सोचकर ही उनका दिल बैठा जा रहा था । काम करने की आदत रही नहीं । बस, अब तो सोशल मीडिया पर ही समय गुजरता है लाजो जी क

भूतों से बातें करने की ख्वाहिश तो बहुत है  मगर भूतों का रिकॉर्ड देखकर डर भी बहुत है  मैं भी किसी भूत से मिलना चाहता हूं  "भूत कैसे बना" उससे जानना चाहता हूं ।  भूत कितने प्रकार के

आज लाजो जी बड़ी परेशान थीं । शीला चौधरी के मकान के सामने ही कोने का मकान है उनका । चौधराइन और लाजो जी में बहुत शानदार पटती थी । यहां तक कि कामवाली बाई भी दोनों की एक ही थी । कामवाली बाई दीपिका पहले चौ

                      💐😊मसकरी😊💐                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)    &

शीला चौधरी का अहाता दोपहर को आबाद होता था । जब लोग लंच के बाद आराम कर रहे होते हैं तब मौहल्ले की "बातूनी" औरतें शीला चौधरी के घर पर इकठ्ठे होकर गपशप करती हैं । दरअसल शीला चौधरी का मकान ठीक टी पॉइंट पर

शीला चौधरी का अहाता दोपहर को आबाद होता था । जब लोग लंच के बाद आराम कर रहे होते हैं तब मौहल्ले की "बातूनी" औरतें शीला चौधरी के घर पर इकठ्ठे होकर गपशप करती हैं । दरअसल शीला चौधरी का मकान ठीक टी पॉइंट पर

आज किसी के मुँह से सुना था कि औकात क्या है तुम्हारी? बहुत लोग को कहते सुना है कि तुम्हें तुम्हारी औकात पता है? अपनी औकात में रहो । तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाऊँ क्या? बगैरह बगैरह।आज मैने सोचा कि कोई कभ

अगर शब्दों के भी पंख होते  जज्बात सारे हवा में ही उड़ते दिल के अरमान शब्द बनकर किसी के दिल पे सीधे लैंड करते  ना चिठ्ठी पत्री की जरूरत होती  ना एस एम एस होता ना मेल होती  ना किसी क

पैसों की बदौलत ये कॉलोनी वाले न जाने अपने आप को क्या समझने लगते हैं। सबके घरों में समर लगी होती है इसलिए पानी की कोई कमी नहीं होती लेकिन टँकी भरने के बाद भी कई घण्टों तक टँकी से पानी गिरता रहता है। को

एक आतंकवादी के लिए आधी रात को अदालत खोल दी जाती है कुछ लोगों की अवैध वस्ती बचाने के लिए जज 10 बजे ही अदालत पहुंच जाते हैं। आधे घंटे ताला खुलने का इंतजार करते हैं व ताला खुलने के 10 मिनट बाद ही कार्यवा

🥵🥵🥵🥵🥵🥵😳इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नोटिस जारी किया है ,!!जो भी व्यक्ति पांच से अधिक नींबू लेगा उसे अपना पैन कार्ड देना होगा ,!!वरना वह दंड का अधिकारी होगा ,🥵😜😜😜😜😜😜😜😜

चाँद और रोटियां (व्यंग्य)प्रगतिशीलता के पुरोधा,परम्पराओं को ध्वस्त करने वाले कवि करुण कालखंडी जी देश में मजदूरों के पलायन से बहुत दुखी थे ,उन्होंने लाक डाउन के पहले दिन से बहुत मर्माहत करने वाली तस्वीरें और करुणा से ओत प्रोत कविताएं लिखी थीं ।वो सरकार पर बरसते ही रहे थे क

“वादा तेरा वादा” “परनिंदा जे रस ले करिहैं निसच्य ही चमगादुर बनिहैं” अर्थात जो दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा।परनिंदा का अपना सुख है ,ये विटामिन है ,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है ।परनिंदा एक परमसत्य पर चलने वाला मार्ग है और मुफ्त का यश इसके लक्ष्य हैं।चत

पंडी आन द वे (व्यंग्य) जिस प्रकार नदियों के तट पर पंडों के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती, गंगा मैया आपका आचमन और सूर्य देव आपका अर्ध्य स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसमें किसी पण्डे का दिशा निर्देश ना टैग हो, उसी प्रकार साहित्य में पुस्तक मेलों में कोई काम संहित्यिक पंडों और पण्डियों के बिना

" मेहँदी लगा कर रखना" (व्यंग्य )"मैं इसे शोहरत कहूँ,या अपनी रुस्वाई कहूँ,मुझसे पहले उस गली में ,मेरे अफसाने गये" अपनी तारीफ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने वाली नये वाले लिटरैचर विधा की मशहूर भौजी ने खाली बैठे बैठे उकताकर अपनी पुरानी ,विधाबदलू ननदी को फोन लगाया ,भौजी का फोन देखकर ननद रॉनी

"घर बैठे -बैठे"(व्यंग्य)"पुल बोये से शौक से उग आयी दीवारकैसी ये जलवायु है हे मेरे करतार"दुनिया को जीत लेने की रफ्तार में ,चीन ने ये क्या कर डाला ,जलवायु ने सरहद की बंदिशों को धता बताते हुए सबको घुटनों पर ला दिया है ।इस स्वास्थ्य के खतरे ने भस्मासुर की भांति सबको लपेटा और

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए