ध्यान और इसका अभ्यासध्यान कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं :जिस प्रकार पर्वतारोहण के समय पर्वतके उच्च शिखर तक पहुँचने के लिए सम्भव है कई मार्ग मिल जाएँ, किन्तु लक्ष्य सबकाएक ही होता है – पर्वत के शिखर तक पहुँचना | उसी प्रकार ध्यान की भी अनेकोंपद्धतियाँ हो सकती हैं जो देखने में परस्पर भिन्न प्रतीत हों, किन्
ध्यान और इसका अभ्यासध्यान की प्रक्रिया और मन्त्र :ध्यान के साधकों को मन को एकाग्र करनेमें सहायता मिले इसके लिए किसी ध्वनि का प्रयोग किया जा सकता है | कभी किसी दृश्य वस्तु पर भी ध्यान केन्द्रित करने का सुझाव दिया जा सकताहै | ध्यान में मस्तिष्क को केन्द्रित करने के लिए जिनध्वनियों का प्रयोग किया जाता
ध्यान और इसका अभ्यासहिमालयन योग परम्परा के गुरु स्वामी वेदभारती जी की पुस्तक Meditationand it’s practices के कुछ अंश ध्यान के साधकों के लिए...ध्यान एक प्रक्रिया :---ध्यान की प्रक्रिया में मन से आग्रहकिया जाता है सोचने विचारने, स्मरण करने, समस्याओं का समाधान करने और भूतकाल की घटनाओं अथवा भविष्य की आश
हिमालयन योग परम्परा के गुरु स्वामी वेदभारती जी की पुस्तक Meditationand it’s practices के कुछ अंश ध्यान के साधकों के लिए...ध्यान क्या हैसम्पूर्ण विश्व में प्रत्येक समाज मेंलोग उन योग्यताओं में निपुण होते हैं जो अपनी संस्कृति के अनुसार कार्य करने औरजीवन जीने के लिए उपयोगी होती हैं – जैसे: किस तरह वार्
हिमालयन योग परम्परा के गुरु स्वामी वेदभारती जी की पुस्तक Meditationand it’s practices के कुछ अंश ध्यान के साधकों के लिए...ध्यानकिसे कहते हैं ध्यान शब्द का प्रयोग अनेक अर्थों मेंकिया जाता है | यही कारण है कि ध्यान क्या है औरइसका अभ्यास किस प्रकार किया जाए इस विषय में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है | कुछ
चतुरंग दंडासन बनता है आपको मजबूत चतुरंग दंडासन योग आपके शरीर का सही ढंग से गठन करने में मदद करता हैं। चतुरंग दंडासन रीढ़ के हड्डी को सीधा रख कर किया जाता हैं। इस आसन को हर किसी को करना चाहिए कियुँकि यह आपको बहुत ताकत प्रदान करता है। चतुरंग दण्डासन तीन शब्दों से मिल
मौन की महिमा अपरंपार है, इसके महत्व को शब्दों के जरिए अभिव्यक्त करना संभव नहीं है।प्रकृति में सदैव मौन का साम्राज्य रहता है। पुष्प वाटिका से हमें कोई पुकारता नहीं, पर हम अनायास ही उस ओर खिंचते चले जाते हैं। बड़े से बड़े वृक्षों से लदे सघन वन भी मौन रहकर ही अपनी सुषमा से सारी वसुधा को सुशोभित करते है
एक माइंडफुलनेस तकनीक है जिसे मैं अब कई वर्षों से अभ्यास कर रहा हूं, और जब मैं यह कर सकता हूं, तो यह जादू की तरह है।अभ्यास अहंकार को गिरा रहा है – मेरी आत्म-चिंता को छोड़ रहा है, हर चीज से अलग होने की मेरी भावना और हर चीज के साथ पूर्णता
हमारे देश में जब योग और वंदेमातरम जैसी चीज़ों को कट्टरपंथी धर्म के चश्मे से देखते हैं भला ऐसे में भारत मे श्रीमद्भागवत गीता को स्कूल में पढ़ाया जाना संभव कैसे हो सकता है। लेकिन एक अरब देश ऐसा भी है, जिसने श्रीमद्भागवत गीता को एक विषय के रूप में कॉलेज में पढ़ाना शुरू भी कर
कर्म करो, फल की चिंता मत करो ! 2. फ़ोन का नशा ! 3. प्रकृति का संतुलन 4. पेट्रोल से बढ़िया कोई गिफ्ट है क्या ? 5. awww !!! 6. तब और अब 7. आने वाले भविष्य में 8. हा ! हा ! हा ! 9.माँ का जवाब नहीं 10. लड़के कभी कभी क्या सोचते है | 11.योगा से ही होगा 12. मनुष्य का विकास 13. ये किस गोले से आया है भाई
2015 से विश्व में २१ जून को योगा दिवस या योगा डे के रूप में मनाया जा रहा है | योग हिंदुस्तान की अमूल्य धरोहर है | भारतीय संस्कृति में योग का प्रयोग प्राचीन काल से हो रहा है| योग शब्द संस्कृत के युज शब्द से आया है|जिसका अर्थ जुड़
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर प्रस्तुत दोहावली "दोहा"भोर हुई निकलो सजन महके बगिया फूल।हाथ पाँव झटकार लो आलस जाओ भूल।।-१रात देर तक जागते दिन भर घोड़ा बेंच।सोते हो तुम देर तक अब तो चादर खेंच।।-२ऋषियों की यह देन है दुनिया करती योग।बिन हर्रे बिन फिटकरी भागे सगरो रोग।।-३ऋषियों की
जीवन जीने की कला है योग"योग स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुँचने की यात्रा है, गीता "योग के विषय में कोई भी बात करने से पहले जान लेना आवश्यक है कि इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आदि काल में इसकी रचना, और वर्तमान समय में इसका ज्ञान एवं इसका प्रसार स्वहित
व्यस्त जीवन शैली में योग को अंग बनाईये,स्पर्धा भरे माहौल में चरम संतोष पाईये,निराशा ढकेल,सकारात्मक सोच का संचार कराता,उत्साह का सम्बर्धन कर व्यक्तित्व व सेहत बनाता,स्नान आदि से निवृत हो, ढीले वस्त्र धारण कर कीजिए योगासन,वर्ज आसन को छोड़ ,खाली पेट कीजिए सब आसन,मन्त्र योग,हठ योग,ली योग,राज योग इसके हैं
वायु मुद्राआज की वीडियो में योग के अन्तर्गत वायु मुद्रा की चर्चा करेंगे और यह बताएंगे कि वायु मुद्रा क्या है और कैसे बनती है तथा इसको करने से क्या लाभ होता है।यदि आपने अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्क्राईब नहीं किया है तो अवश्य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्पद्, म
विश्व योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (योग की सार्थकता कब है)आज 21 जून विश्व योग दिवस है। इस वीडियो में विश्व योग दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए एक सन्देश दिया गया है। इस सन्देश का अनुसरण करने पर ही योग की सार्थकता है। यदि अभी तक आपने हमारे चैनल को सबस्क्राईब नह
"योग, भोग एवं गृहस्त" योगी योग करता है ज्ञान अर्जित करता है। देश, दुनिया, समाज और मानव को अपना अर्जन अर्पित करता है। भोगी भोग करता है ज्ञान विसर्जित करता है। देश, दुनिया, समाज और मानव को अपना वर्जन अर्पित करता है। गृहस्त गृहस्ती करता है और योग भोग दोनों को सामान धारा म
योग दिवस तो एक दिन आता है और चला जाता है किन्तु अपने यहाँ रोज योगासन जारी रहता है। गुंडे 'गुंडासन' कर रहे हैं, 'रेपासन' उनका प्रिय आसन है। पुलिस वाले 'डण्डासन' कर रहे हैं. टीवी चैनल वाले 'ऐडासन' (उर्फ़ विज्ञापनासन) में लगे हैं. कुछ व्यापारी 'लूटासन' कर रहे हैं. नेता 'झूठासन' वे व्यस्त हैं। सरकार 'कर
अरे नेता जी झाडू और योग नहीं मंहगाई पर ध्यान दीजिए जनता मंहगाई से जूझ रही है और आप नेता लोग मिलकर कभी झाडू लगा रहें कभी योग कर रहे हैं क्या यही है हमारे देश की प्रगति आपने तो चुनाव के वक्त मंहगाई कम करने का वादा किया था लेकिन मंहगाई कम होने के बजाय और बढ़ रही है और आप
योग को धर्म से ना जोडें - मोदी आज अखबार में कुछ इसी तरह की हेडलाइन है !अधिकांश सेक्युलर बाबा भी यही ज्ञान बांट रहे हैं !आप लोग ये सब कह के क्या करना चाह रहे हैं ? किसे समझाना चाह रहे हैं ? जिसे समझना नहीं है ! जिसे समझने की मनाही है ! जहां नासमझना ही धर्म बना दिया गया है ! जिससे नासमझों का झुंड बना