ध्यान और इसका अभ्यास
ध्यान की प्रक्रिया और मन्त्र :
ध्यान के साधकों को मन को एकाग्र करने
में सहायता मिले इसके लिए किसी ध्वनि का प्रयोग किया जा सकता है | कभी किसी दृश्य वस्तु पर भी ध्यान केन्द्रित करने का सुझाव दिया जा सकता
है | ध्यान में मस्तिष्क को केन्द्रित करने के लिए जिन
ध्वनियों का प्रयोग किया जाता है उन्हें मन्त्र कहते हैं |
मानसिक स्तर पर मन्त्र का बहुत गहरा प्रभाव होता है |
मन्त्र एक शब्द भी हो सकता है, एक वाक्यांश भी हो सकता है अथवा मात्र एक अक्षर भी हो सकता है | मन्त्र पर ध्यान देने से साधकों को व्यर्थ की बाधा डालने वाली दूसरी
मानसिक गतिविधियों को रोककर अपने भीतर उतरने में सहायता मिलती है | समस्त विश्व में अनेक प्रकार के मन्त्रों का उपयोग किया जाता है – जैसे ॐ, आमीन और शलोम – और इन सबका लक्ष्य एक ही होता है – मस्तिष्क को केन्द्रित
करने में सहायता देना | मन्त्र का नियमित अभ्यास निश्चित रूप
से लाभदायक होता है |
संसार की जितनी भी नवीन अथवा प्राचीन आध्यात्मिक
परम्पराएँ हैं उन सभी में अक्षर, ध्वनि अथवा शब्दों के
एक समूह को मन्त्र के रूप में उच्चारण करने की कुछ विधियाँ उपलब्ध होती हैं | यह
एक गहन और महान विज्ञान है और जिज्ञासुओं को इस दिशा में मार्गदर्शन वही लोग दे
सकते हैं जो स्वयं इस विज्ञान में सिद्धहस्त हैं | प्रारम्भिक अभ्यास तो सरल होते
हैं और किसी गुरु के मार्गदर्शन के बिना भी किये जा सकते हैं | किन्तु जब ध्यान का
साधक मस्तिष्क के साथ कार्य करना आरम्भ कर देता है उस स्थिति में एक अनुकूल मन्त्र
आवश्यक हो जाता है | गुरु जो मन्त्र देता है उसके साथ यदि ध्यान का अभ्यास किया
जाएगा तो वह निश्चित रूप से प्रभावशाली होगा |
ध्यान की पुस्तकों में इस विषय पर
विस्तार से चर्चा उपलब्ध होती है | योग की व्याख्या करने वाले महर्षि पतंजलि का
कहना है कि मन्त्र हमारी अन्तःचेतना के मूल का प्रतिनिधित्व करता है और इसीलिए
मर्त्य तथा अमर्त्य जगत के मध्य एक पुल का कार्य करता है | मृत्यु के समय जब हमारा
शरीर, श्वास और चेतन मन अचेतन मन और आत्मा से अलग हो जाता है उस समय जिस मन्त्र का
जाप साधक ने निरन्तर किया होता है उसकी छाप अचेतन मन पर निरन्तर पड़ती रहती है | जन्म
और मृत्यु के बीच की इस यात्रा के समय ये ही शक्तिशाली प्रेरणास्रोत साधक की
सहायता करते हैं | मन्त्र की सहायता से साधक के लिए अपरिचित यात्रा पर जाना सरल हो
जाता है | मन्त्र वास्तव में मन को दिया गया आधार और केन्द्रबिन्दु होता है |
हिमालयन योग परम्परा के गुरु स्वामी वेदभारती जी की पुस्तक Meditation
and it’s practices के कुछ अंश ध्यान के साधकों के लिए...
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2019/10/02/meditation-and-its-practices-5/