हमारे देश में जब योग और वंदेमातरम जैसी चीज़ों को कट्टरपंथी धर्म के चश्मे से देखते हैं भला ऐसे में भारत मे श्रीमद्भागवत गीता को स्कूल में पढ़ाया जाना संभव कैसे हो सकता है। लेकिन एक अरब देश ऐसा भी है, जिसने श्रीमद्भागवत गीता को एक विषय के रूप में कॉलेज में पढ़ाना शुरू भी कर दिया है।
दुबई की एक यूनिवर्सिटी ने श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में स्थान दिया है। दुबई के लोग गीता पढ़ भी रहें हैं, तथा उसपर परीक्षायें भी दे रहें हैं। सोचिये यही कार्य अगर भारत मे होने लगेगा तो तथाकथित सेक्युलर तथा वामपंथी कैसे कैसे कुतर्क देंगे। गीता का ज्ञान किसी अन्य धर्म की धार्मिक पुस्तकों की तरह नही है, जो किसी धर्म विशेष के लिए हो। गीता का ज्ञान सभी मनुष्यों के लिए है। क़ुरआन इंसान को मुसलमान बनाती है, बाईबल इंसान को ईसाई बनाती है, किन्तु जो गीता को पढ़कर उसका अनुसरण करता है गीता उसे सच्चा इंसान बनाती है।
दुबई की यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में गीता का प्रश्नपत्र
यूरोप के कई देशों में हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है, रामायण, महाभारत तथा गीता जैसे विषय पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने लगे है। परंतु भारत में हम देख सकते है, कि किस तरीके से हिन्दू धर्मग्रंथों के प्रति नफ़रत फैलाई जा रही है।