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कल अचानक ही शहर-भ्रमण करना पड़ा. बस के लिए दिन वाला पास बनवा लिया था. एक छोटी सी गलती या यूँ कहें हड़बड़ी से गलत बस में बैठ गया, जो पहुँचती तो वहीँ थी, पर बहुत ही घूम-फिरके. ये हड़बड़ी बड़ी ही बेतुकी थी, क्योंकि दरअसल मुझे कोई खास जल्दी थी नहीं. सो मै भी बस में बैठा रहा. बहुत दिनों बाद मुझे एक प्रिय काम क

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''बस तबाही के ही आसार नज़र आते हैं , लोग जालिम के ही तरफदार नज़र आते हैं , ज़ुल्म भी हम पे ही होता है ज़माने में सदा और फिर हम ही गुनाहगार नज़र आते हैं .'' डॉ. तनवीर गौहर की ये पंक्तियाँ आज अगर हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा की गयी

''कर दिया न मोदी ने फिर सर्जिकल स्ट्राइक ''कह जैसे ही साथी अधिवक्ता ने मोदी की तारीफ सुननी चाही तो सही में इस बार मन कड़वा हो गया अभी तक तो अपनी राजनीतिक नापसंदगी के कारण मोदी की तारीफ करने को मुंह नहीं खुलता था किन्तु आज मोदी के इस काम के कारण उसकी तारीफ करने को सच में मन

ये देश कानून से चलता है ,यहाँ कानून की सत्ता है ,कानून सर्वोपरि है ,ऐसी बातें सुनी बहुत पर देखी नहीं क्योंकि कानून का मखौल आम जनता या आम सड़कें क्या उड़ाएंगी उसके लिए कचहरी परिसर ही पर्याप्त है .कैराना [शामली ] की

सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय सेना का एक एेसा कार्य जिस पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए और जो कि है भी और जिस कार्य के लिए विपक्ष तक ने प्रधानमंत्री तक की तारीफ करने में कोई कोताही नहीं बरती लेकिन सत्ता पक्ष सेना के इस कदम को पूरी तरह अपना कदम साबित करने में जुटा है घमंड रक्षा मंत्री के सिर चढ़कर बोल रहा

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धर्म की बात होती है तो सबसे पहले मुझे वोल्तेयर की कही ये उक्ति याद आती है-ईश्वर ना होता तो उसके अविष्कार की आवश्यकता पड़ती. “If God did not exist, it would be necessary to invent him.”यह उक्ति ईश्वर अस्तित्व

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साहित्य विभाजनकारी नहीं हो सकता, जब भी होगा जोड़ेगा.साहित्य शब्द कानों में पड़ते ही सहित वाला अर्थ दिमाग में आने लग जाता है. साहित्य में सहित का भाव है. कितना सटीक शब्द है. साहित्य शब्द में ही इसका उद्देश

मुस्लिम विधि में तलाक का एक तरीका है - "तलाक - उल - बिददत". वर्तमान में यह तरीका ही विवाद का विषय बना हुआ है और आंध्र व तेलंगाना के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष आबिद रसूल खान का इसी तलाक के दुष्परिणाम के लिए कहना है "कि आज मुस्लिम समुदाय के सामने यह बड़ी सामाजिक समस्या है क्योंकि सही मायने में लाखों क

कैराना उत्तर प्रदेश की यूं तो मात्र एक तहसील है किन्तु वर्तमान विधान सभा चुनाव के मद्देनजर वोटों की राजधानी बना हुआ है. इसमे पलायन का मुद्दा उठाया गया है और निरन्तर उछाल दे देकर इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देकर वोट बैंक में तब्दील किया जा रहा है जबकि अगर हम मुद्दे की गहराई में जाते हैं तो पलायन की

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बचपन में माखनलाल चतुर्वेदी कृत पुष्प की अभिलाषा पढी, जिसमें पुष्प कहता है - "चाह नहीं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं, चाह नहीं प्रेमी माला में विंध नित प्यारी को ललचाऊं, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हर

ये कहाँ आ गए हम ? “फ़रिश्ता बनने की चाहत न करें तो बेहतर है , इन्सान हैं इन्सान ही बन जाये यही क्या कम है !” तारीख़ : 25 अगस्त 2016 स्थान : ओड़िशा के कालाहांडी जिले का सरकारी अस्पताल अमंग देवी टी बी के इलाज के दौर

जम्मू और लद्दाख भारत में खुश हैं तो कश्मीर क्यों नहीं है "घर को ही आग लग गई घर के चिराग से " 8 जुलाई 2016 को कश्मीर के एक स्कूल के प्रिंसिपल का बेटा और हिजबुल मुजाहिदीन का दस लाख रुपए का ईनामी आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद से आज तक लगातार सुलगता कश्मीर कुछ ऐसा ही आभ

मखमूर देहलवी ने खूबकहा है.....एक न एक दिन अपनीमंजिल पर पहुँच लेंगे जरूर जो कदम उठाते हैंआसानी से मुश्किल की तरफ कदम तो मंजिल की तरफ सभीउठा लेते हैं लेकिन मंजिल तक पहुंचने का सब में माद्दा नहीं होता.मंजिल तक पहुंचनेमें कई बाधाएं आती हैं लेकिन जो डटे रहते हैं वे जरूर पहुँचते हैं.सफलता आसानी सेनहीं मिल

जब इस प्रथम बार हथेली पर उठायादिनांक १६ मई २०१४ को मुझे यह मिला। किसी पेड़ से गिर गया था । कव्वे परेशान कर रहे थे। मेरे छोटे भाई इसे बचाकर घर ले आये । उन पेड़ो के झुरमुट में इसका घर तलाशना संभव नहीं था ! बहुत ही छोटा सा था जो की अभी उड़ना भी नहीं जानता था ,और बहुत डरा हुवा भी ,इसलिए इसे खुले में रखना भ

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