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मेरी लाइफ मे सब अच्छा चल रहा था वर्ष 2020  मे मेरे घर मेरी भाभी के भाई की शादी थी  तभी मेरे को बारात मे जाने का मौका मिला पर किस्मत को ये मंजूर नही था क्योकि जिस दिन तिलक होना था उसी दिन मेरे पापा जी

मेरी दिल की बातें, समझने वाला, मुझसे बेहतर, कोई और नहीं। आपकी दिल की बातें, मुझसे कुछ, अलग नही। ख्याल रखूंगा, हर घड़ी तेरी, हर धड़कन का। छू लूंगा तेरी, रूह को इस कदर, कहने को सिर्फ, खामोशी होगी। तुम ह

मेरा नाम ज़ारा मालिक है आपको मेरे जीवन के बारे मे जान के थोडा अजीब लगेगा पर जो भी है आपको मेरी लाइफ से कुछ जरूर सीखने को मिलेगा    आइये चलते है🧚‍♀️🧚‍♀️                    जैसा की आपको पता है मेरा

वो हर बार पहली मुलाकात की तरह मिलती है मुझसे... मुझे हर बार पहली नज़र का इश्क़ हो जाता है उससे... 

दरिया तो है,लेकिन- साहिल!नहीं दिखता,चांद भी है,परन्तु! चांदनी!! नहीं दिखती।एक निर्वात सा,हो गया है,मन में-तूफान की आशा है।यह कैसी- प्यास लगी है?जो पानी से,नहीं बुझती।बाथरुम में रखा

जिंदगी के सफर से गुज़र जाते है जो मकाम, वो फिर नही आते, वो फिर नही आते। क्या बात लिखी है लिखने वाले ने, और बहुत ही खूबसूरत आवाज दी गायक ने, जो दिल को छू जाती है। लेकिन इस गीत में एक दर्द है, जो अक्स

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तुम्हें- पता है?मैंने तुमसे,बहस!क्यों नहीं की,कभी भी?यह!जानते हुए कि-ग़लत!मैं नहीं हूं।क्योंकि- मैं तुमको,खोना!नहीं चाहता था, इसलिए- मैं हारता रहा,तुमसे!तुम्हें!जीतने के लिए। 

हम भी शायद उसी की तरफ देखते सूखते फूल जिसकी तरफ देखते जब हमारी तरफ कोई नही देखता हम वही हैं जो तेरी तरफ देखते

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जब-अवस्था! किसी-व्यवस्था के,शर्तों के,अधीन हो जाती है;तब प्रेम!बेमतलब सा,निरुत्तर!निरुपाय हो जाता है।और-  यह जीवन?विवाह! नियमों के अधीन, अनवरत,चलने लगता है,खट्टे-मीठे,कसैले!&n

हम इधर गए वो उधर गई जिंदगी भी जाने किधर गई

लड़की वो अक्सर ही ऐसा करती है गुल पसंदीदा ही तोड़ा करती है

चिल्लाती रही द्रोपदी सभा मध्य, कोई क्यों नहीं कर रहा कुछ  द्रोण, भीष्मपितामह थे क्यू एकदुम चुप कुलवधू का चीरहरण, क्या उन सबको ठीक लगा क्यो कोई बोला ना तब दुःशासन केश खींचने लगा क्या आर्यो की इ

चिल्लाती रही द्रोपदी सभा मध्य, कोई क्यों नहीं कर रहा कुछ द्रोण, भीष्मपितामह थे क्यू एकदुम चुप कुलवधू का चीरहरण, क्या उन सबको ठीक लगा क्यो कोई बोला ना तब दुःशासन केश खींचने लगा क्या आर्यो की इस

लफ्ज़ कम है लेकिन बहुत प्यारे हैं, तुम हमारे हो ओर हम तुम्हारे हैं।

घुड़सवारी ''बीते जमाने की बात हो गई है , 'घुड़सवारी 'और ''हाथी की सवारी'' शाही सवारी मानी जाती थी। शाही लोग ही, इनका अधिकतर प्रयोग करते थे। सामान्य जन भी घोड़े की सवारी का आनन्द ले लिया करते थे। राज

थाम -थाम अपने ''मन के पागल'' घोड़े को ,सरपट दौड़ा जाता है ,हाथ से फिसल जाता है। कभी भावुक हो ,प्रेम की 'रौ' में बहता जाता है। कभी रिश्ते की टेढ़ी चाल, समझ नहीं पाता है। कभी दाना कोई भी डा

आज!मैंने फिर, खटखटाया, तेरे दरवाजे को।कोई जवाब! नहीं मिला,आज भी-रोज की ही तरह। शायद!व्यस्तता रही होगी,तेरी अपने-नये अपनों में।मैं निराश!कत्तई नहीं हुआ,क्योंकि- टुटने के बजाय,&

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