पुरुष अगर इमोशनल हो जाएं, तो लोग उनकी मर्दानगी पर सवाल उठाते हैं. कहते हैं, ‘लड़कियों’ की तरह रोता है. सैकड़ों सालों से हमें पौरुष के पाठ पढ़ाए जा रहे हैं. पुरुष तब भी युद्ध करते थे, आज भी युद्ध लड़ रहे हैं. तब भी उनका काम औरतों की ‘रक्षा’ करना था, आज भी वही है.
कहते हैं पुरुषों में एनिमल इंस्टिंक्ट होता है. जो उन्हें सेक्स के लिए उत्तेजित करता है. जो असली ‘मर्द’ होता है वो उसकी सेक्स क्षमता खूब होती है. उसके अंदर संवेदनाएं कम, ताकत अधिक होती है. और इन सब के बीच हम भूल जाते हैं कि पुरुष भी किसी औरत जितने ही संवेदनशील होते हैं और तकलीफें आने पर टूट सकते हैं. फीलिंग्स और उन्हें बयां करने की इच्छा इतनी ज्यादा होती है कि वे इसके लिए पैसे भी खर्च करने को तैयार होते हैं.
लाना जेड एक सेक्स वर्कर हैं. सिडनी की रहने वाली हैं. इनकी एक रात की सर्विसेज का दाम लगभग ढाई लाख रुपये है. इन्होंने मेल ऑनलाइन को बताया कि ऐसे के पुरुष हैं जो इतने सारे पैसे देकर महज उनसे चिपककर सोना चाहते हैं. इन्हें सेक्स की उतनी चाहत नहीं होती, जितनी बात करने और मन के दुख, डर शेयर करने की होती है. लाना के शब्दों में:
‘अधिकतर मर्द एक कनेक्शन ढूंढ़ते हैं. सेक्स उनकी प्राथमिकता नहीं.’
कई पुरुष प्यार बस प्यार भरी छुअन चाहते हैं. चाहते हैं कि उन्हें कोई हलके से चूम ले. वो बात करना चाहते हैं, वो चाहते हैं कोई उनकी तारीफ करे.
लाना बताती हैं कि लोगों में ये सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी ये है कि एक वेश्या का पूरा समय सेक्स में जाता है. या उसे केवल सेक्स के लिए बुक किया जाता है. लोग उसके पास दोस्त तलाशते हुए भी आते हैं.
वेश्या ही क्या, भारत में तो लोगों को लगता है कि शादी का इकलौता मकसद भी दहेज और परिवार का ‘मान’ बढ़ाने के सिवा अगर कुछ है तो वो सेक्स ही है. लोगों को लगता है कि पुरुष और स्त्री अगर दोस्त हैं तो निश्चित तौर पर सेक्स ही कर रहे होंगे. लोगों को ये भी लगता है कि सलैंगिक केवल वो लोग हैं जिन्हें अपने लिंग के लोगों से ‘सेक्स’ में रूचि होती है. वे सोचने, समझने, प्रेम करने वाले लोग होते हैं, ये कोई मानता ही नहीं. कुल मिलाकर हर व्यक्ति की पहचान उसके शरीर और सेक्स सबंधों से होती है.
लाना की कही हुई बातें न सिर्फ वेश्याओं के जीवन का एक जरूरी पहलू दिखाती हैं, बल्कि ये भी बताती हैं कि मर्द जानवर नहीं, इंसान होते हैं.
साभार : The Lallantop