बहुत अच्छा लगता है, जब कोई सिविक सेंस को समझने वाला बंदा दिखाई पड़ता है. ऐसा बंदा जिसे नागरिक अधिकारों का एहसास भी हो और उस पर होने वाले अतिक्रमण की ख़बर भी हो. जिसे पता हो कि पब्लिक में लोगों को कैसे बिहेव करना चाहिए. ऐसे ही एक व्यक्ति से कल पूरा ट्विटर रूबरू हुआ. और यही व्यक्ति बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सस्पेंड करवा सकता है.
पहले पहला किस्सा
कल पूरे दिन ट्विटर पर एक हैशटैग चलता रहा. #HinduDeniedEquality. मतलब हिंदुओं का समानता का अधिकार नकार दिया गया. इस हैशटैग पर विनीत गोयनका नामक ये साहब बहुत ऐक्टिव दिखे. इनका ट्विटर अकाउंट नीले टीके वाला है माने कि वेरिफाइड है. इनकी ट्विटर प्रोफाइल देखने पर पता चला कि विनीत जी काफी ऊंचे पदों पर काम कर चुके हैं. जैसे CRIS के सदस्य हैं. जहाजरानी और ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के आईटी डिपार्टमेंट के मेंबर हैं. और तो और भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के राष्ट्रीय सह-संयोजक भी रह चुके हैं. इतने गुणी शख्स के ट्वीट-रीट्वीट वाले हैशटैग के पूरे मामले को समझना ज़रूरी लगने लगा.
एयरपोर्ट पर तुष्टीकरण
पता करने पर मालूम हुआ कि विनीत जी के साथ एयरपोर्ट पर एक वाकया पेश आया था, जिसके बाद ही इस हैशटैग की ज़रूरत आन पड़ी. हुआ यूं कि विनीत गोयनका मुंबई से दिल्ली आने वाली फ्लाइट पकड़ने के लिए दिल्ली पहुंचे थे. वहां उन्होंने देखा कि तीन-चार लोग एयरपोर्ट के गलियारे में नमाज़ पढ़ रहे हैं. विनीत जी को ऐतराज़ हुआ. होना भी चाहिए था. बात सही भी थी. वो जगह नमाज़ पढ़ने के लिए थी ही नहीं. एयरपोर्ट पर तमाम तरह की प्रार्थनाओं के लिए एक अलग रूम निर्धारित है. उसे छोड़ कर यूं खुले में नमाज़ पढ़ना, कहीं से कहीं तक सही नहीं था.
उन्होंने ऐतराज़ दर्ज किया तो बकौल उनके CISF जवानों ने उनके साथ बदतमीज़ी की. कहा कि आप भी चाहें तो ऐसे प्रार्थना कर सकते हैं. बात-बात में बात बढ़ गई. विनीत जी धरने पर बैठने की तैयारी करने लगे. तब CISF के सीनियर बंदे ने आकर उनसे माफ़ी मांगी. अपने 2 मातहतों से भी मंगवाई. तब जा के मामला ख़त्म हुआ. आई मीन उस वक़्त तक के लिए.
दिलचस्प बात ये है कि ये घटना 9 जुलाई की है. यानी तकरीबन 24 दिन पहले की.
उसके बाद कल अचानक ट्विटर पर एक हैशटैग चलने लगा. वही जो पहले बताया. #HinduDeniedEquality. खुद गोयनका जी ने इस हैशटैग के साथ उस दिन की एक खबर पोस्ट की. साथ में लिखा, “जब प्रार्थना के लिए कमरे की व्यवस्था है तो गलियारे में नमाज़ पढ़ने की अनुमति क्यों दी गई? सिलेक्टिव सेकुलरिज्म बंद करो.”
इसके बाद बहुत से लोगों ने बहुत कुछ कहा इस पर.
विनीत गोयनका अगर अपनी इसी बात पर अड़ जाएं कि सिलेक्टिव नहीं होना चाहिए, तो अमित शाह को उनसे बहुत खतरा हो जाएगा.
अमित शाह को कैसे ख़तरा है उनसे?
नागरिक अधिकारों के प्रति विनीत गोयनका का ये जोशोखरोश देखकर, हमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की चिंता होने लगी है. क्यों ये बताने से पहले ये तस्वीर देख लीजिए. आप खुद ही समझ जाएंगे.
ये तस्वीर आज से एक महीना पहले और उनके वाले मामले से 8-10 दिन पहले की है. इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गोवा एयरपोर्ट पर ही एक बड़ी गैदरिंग को संबोधित करते दिखाई दे रहे हैं. यहां एयरपोर्ट के नियम-कानून की जी भर के धज्जियां उड़ाई गईं थीं. ये सभा एयरपोर्ट के हाई-सिक्योरिटी एरिया में हुई. बिना किसी परमिशन के. तमाम नियमों को धता बताते हुए.
एयरपोर्ट के अहाते में बाकायदा एक स्टेज तैयार किया गया. दर्जन भर कुर्सियां, माइक, साउंड सिस्टम सबका प्रबंध था. अगर 4 लोगों की नमाज़ विनीत गोयनका को परेशान कर सकती है, तो ये तो भीड़ का नागरिक अधिकारों पर अतिक्रमण सा ही था. वो भी अमित शाह की सदारत में.
विनीत जी व्यस्त रहते हैं. इसलिए हो सकता है उन्हें इस घटना की ख़बर न लगी हो. लेकिन अब लग गई तो? फिर तो भाई साहब फिर से धरने पर बैठ जाएंगे. बाहरी CISF वालों पर तो उनका ज़ोर चले न चले, लेकिन ये तो घर की बात है. मोदी जी से कह के वो अमित शाह पर कड़ी कार्रवाई करवा के ही मानेंगे. आखिर इक्वैलिटी का मामला है. उन्होंने ही सिलेक्टिव ना होने को कहा था. बराबरी के पैरोकार हैं विनीत जी. हालांकि ये हम भी नहीं जानते कि अगर मोदी जी अमित शाह को सस्पेंड करेंगे भी तो किस पद से? लेकिन ये भाजपा का अंदरूनी मामला है. निपट लेंगे वो. अमित शाह को भरसक कोशिश करनी चाहिए कि ये तस्वीर विनीत गोयनका के हाथ न पड़े. खामखा लेने के देने पड़ जाएंगे.
साभार : The Lallantop