कितने काम बच्चे करते हैं देखो घर के कामो में बच्चो का योगदान देखो। छोटे छोटे काम आसानी से कर लेते हैं । पास के दुकान से जरुरत की चीज चाय,शक्कर या मसाला ले आता है। पडौस के घर संदेश भी दे आता है।ये सब काम उसे घर के सदस्य जैसे माँ बाप या बड़े सदस्य करने को कहते हैं।बच्चा हसते खेलते ये काम कर लेता है । उसे ये सब करने में आनन्द आता है कभी-कभी उसे ईनाम पैसे या चॉकलेट मिल जाता है। ये एक नारमल बात है जो हम सब के परिवार में देखने को मिलता है। बालिका घर के कामो का ज्यादा हाथ बटाती है।
कही कही पर परिवार में बच्चो को हार्ड वर्क कार्य दे दिया जाता है। घर की साफ सफाई,बर्तन धोना, मवेशी का देखभाल,आदि काम जो हर रोज दे दिये जाते हैं जो समाज के बाहर तो नही जाता लेकिन घर में ही वो बच्चा काम के बोझ से दब जाता है। सौतेला रिश्ता होने पर यह समस्या और गम्भीर हो जाता है। छोटे बच्चो को ये काम नही करने देना चाहिए। कभी कभार सिखाने के लिए ठीक है पर रोजमर्रा के जीवन में यह उचित नहीं। ये चार चौखट के अन्दर की बात है अब बाहर की बात करते हैं।
सरकार ने कानून बनाए है कि 6 से 14 वर्ष उम्र के बच्चो से किसी संस्थाओ या कारख़ानों में काम कराना या काम पर रखना कानूनन अपराध है। कई जगह होटलो व दुकानों में बच्चो को काम करते हम लोग देखते हैं। वे लोग गरीब टबके के इलाके से इन बच्चो को कम कीमत पर काम पर रखते है। गरीब माता पिता उसे भेज देते हैं ताकि घर का चूल्हा जल सके। पिछले 15 सालो में यह बाल श्रम अधिक दिखाई देता था।लेकिन अब लोग जागरुक हो गए है।कानून भी अब सख्त हो गए है लोग अब जान गए है कि छोटे बच्चे से काम नहीं लेना है। स्कूलो में खासकर सरकारी में बच्चो को शाला की साफ सफाई करने घण्टो लगाते थे। अब बहुत सुधार हो गया है। आर टी ई की धारा लगने से लोग अब स्कूलो में कार्य नही कराते है। न ही मारना पिटना व धमकाया जाता है। किसी बच्चे को किसी और नामो से पुकारना या निंदा नही करनी है। 6 से 14 वर्ष तक के बच्चो को प्राथमिक शिक्षा से वंचित नहीं करना है। यदि किसी गांव कस्बा या शहर में इस उम्र का बच्चा घूमता हुआ पाया जाता है तो उसे समाज या संगठन की सहायता से स्कूल में दाखिला कराया जाता है ताकि बच्चा शिक्षा से वंचित न हो। शिक्षको का भी कर्तव्य है कि अपने तैनात क्षेत्र में कोई भी बच्चा छुटे न हो सब का दाखिला नजदीक के स्कूल में हो।
इस तरह देखा जाए तो वर्तमान में बाल श्रम कम हो गए है। लोग जागरुक हुए है कभी कभी तो जनता शिकायत कर देते है इस संस्था में कम उम्र के बच्चे काम कर रहे है। फिर भी अन्य अपराध बच्चो पर अभी भी हो रहे है जैसे हत्या अपहरण बलात्कार घरेलु हिंसा आदि। हर साल 12 जून को दुनिया भर में बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 21 साल पहले अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा बाल श्रम को रोकने के लिए की गई थी।हमे जागरूक रह कर इसे रोकना होगा। समाज को ये एहसास करना होगा कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं।उसे शिक्षा दिलाना उचित होगा न ही उस पर हिंसा करना।
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