जिधर देखो उधर हत्या
हर तरफ कात्या ही कात्या
महिला नही है सुरक्षित यहाँ
कलयुग का प्रकोप आगत्या।
केन्द्र भी सुरक्षित नही
प्रधान भी पल्लवित नही
राक्षसो का डेरा जमा
अब लोग खोलते चौखट नही।
नाबालिग का बलात्कार हो रहा है
हत्यारो का भरमार हो रहा है
कैसा दहलाने वाली घटना घटी
दिल्ली का मर्डर हो रहा है ।
हर शख्स सहमा सा है
चौक चौराहा मलमा सा है
अब तो उठेगी सुनामी लहरे
लोगो का खून गरमा सा है।
कहाँ कब अन्याय मिलेगा
किस किस को न्याय मिलेगा
दरवाजा खटखटाते फिरे
किससे सही राय मिलेगा।
save tree🌲save earth🌏&save life❤