'ध्यान' क्या है? किस अवस्था को ध्यान कहते हैं। क्या ध्यान; योग व्यायाम से कोई अलग क्रिया है। हम लोग चलती-फिरती भाषा में ध्यान योगा कर रहे है कहते हैं पर ध्यान और योग में बुनियादी तौर पर पर अन्तर है।योग शरीर रुपी वाहन को तंदुरुस्त करना है उस गाड़ी की मरम्मत करना है जिसके सवार होकर हमे जाना है।योग का मात्र यही काम है एक ईंधन है जो राह चलने में मदद करती है। ध्यान अलग बात है। ध्यान करना नही पड़ता ध्यान में होना होता है। ध्यान वो दृष्टि है जो हमे सही व गलत की दिशा बताता है और चलना हमको होता है। ध्यान रहे सही दिशा में नही ले जाता दिखा देता है बता देता है सही व गलत दोनो रास्तो को चलना आपको है।आप सही राह भी चल सकते है और गलत रास्ता भी अख्तियार कर सकते हैं।प्राय: सही रास्ते की ओर चलना हो जाता हैं। ध्यान का यही काम है।बहुत बड़ा काम कर देता है "ध्यान"। आपको सही दिशा का आत्मसात करा देता है नही तो जन्मों-जन्मों से भटकते रहते। ध्यान किसी ध्यानी के अन्दर ज्ञान का अनुभव करा देता हैं।यहाँ पर ज्ञान का मतलब शिक्षा दीक्षा से नहीं है। ज्ञान वो समझ का आ जाना है जो हमारे जीवन जीने व जानने को अनुभव में ला पाता है। हम जीते तो है पर जानते नही। जी लेना तो कोई भी कर सकता है जानवर भी। जीना और जानना अलग बात है।
अब ये प्रश्न उठता है कि हम ध्यान कैसे करे या यह कहना उचित होगा ध्यान में कैसे होवे। कुछ ध्यान विधियाँ है जैसे विपस्सना ध्यान । गोरखनाथ ने तो इतने ध्यान विधियाँ दी है कि उसका नाम ही पड़ गया गोरख धंधा। प्राचीन काल में ध्यान का उपयोग आत्मनिरीक्षण करने आत्मज्ञान प्राप्त करने किया जाता था। अब मानसिक शांति पाने लोग ध्यान करते हैं। लक्ष्य छोटा हो गया। विश्व आज मानसिक विकलांगता के बढ़ते कगार पर है।मानसिक विक्षिप्त लोगो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लोग अत्यधिक विचार संग्रह कर पागल होते जा रहे है। ऐसे में केवल दवाईयों से काम नहीं चलेगा ध्यान की प्रक्रिया से मरीज को गुजरना होगा। एक स्वस्थ मनुष्य को भी आज के समय में ध्यान करना चाहिए जो आवश्यक भी है।
21 मई को दुनिया भर में हर साल विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के माध्यम से आम लोगों के बीच ध्यान करने का महत्व को स्पष्ट रूप से समझाया जाता है. साथ ही इस अवसर पर ध्यान करने को लेकर जागरूकता भी फैलाई जाती है।
आप सभी से अनुरोध आज से आप कोई न कोई ध्यान विधि समझकर करना शुरु कर दे।ओशो ने तो 300 से ज्यादा ध्यान विधियाँ बतायी है। किसी एक का चयन कर ले।
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