बाढ़
हर तरफ हाहाकार मचा
हर गली नदी बन गयी
हर मैदान बड़ा पोखर
घर का आँगन स्विमिंग पूल
और जो नदी है उनका रुप
भयावह और डरावना लगता
उनके करीब कोई जा नही सकता
जो जाएगा भी तो मुर्दा होकर
समुद्र का क्या कहने साक्षात यम
लोग छतो पर रात गुजार रहे
न सोते न जागते एक ही सोच
क्या छत को भी छोड़ना पड़ेगा
आसमान की ओर नजर उठाते
असहाय होकर पखेरू देखते
और अपनी तकनीकी दुनिया
की तरक्की पर ऊँगली उठाते
ऐसा प्रकोप प्रकृति का
पूरा संसार जलमग्न जैसे
आजीवन प्यासी थी धरती
या फिर बसाना नही चाहता
पृथ्वी पर बसेरा ईश्वर।
save tree🌲 save earth🌏&save life❤