सभी इन्सान पर कौन युवा कहलाता है।
बचपन तो बच्चा है सच्चा और कच्चा है।
अपने ही धुन में मगन दिशाहीन जच्चा है।
अभी नही युवा कहलाता है ।
किशोर जो संक्रमणकाल से गुजरता है।
उस रास्ते पर है जो युवा कहलाता है।
पर मन इधर-उधर भटकता है।
किशोर भी कहाँ युवा कहलाता है ।
जब युवा युवा हो जाता है ।
चेहरे शरीर से जवाँ दिखता है ।
क्या यही युवा कहलाता है ।
दुख दर्द शान्ति आनन्द से गुजरता है ।
भूत भविष्य के बीच वर्तमान को संवारता है।
आगे बढ़ने की चाह पकड़ता है।
नव-भारत नव-जग नव-युग का निर्माता है।
हाँ यही इन्सान युवा कहलाता है।
युवा की उम्र नही होता है।
युवा शरीर से नही देखा जाता है।
रगो में दौड़ने वाला संकल्प युवा कहलाता है।
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