नया वर्ष के आगमन में कुछ ही दिन बचे हैं। हम सभी 1 जनवरी को नया वर्ष के रुप में मनाते आ रहे है । हमारा कैलेन्डर जनवरी से शुरु होकर 31 दिसम्बर को खत्म होता है फिर नया कैलेण्डर घर ले आते हैं ।ऐसा कोई कैलेन्डर नही जो दो वर्षीय या 5 वर्षीय चले शायद ज्योतिष के पास इस तरह का विचार अभी नही आया होगा। 31 दिसंबर के बाद 1जनवरी को कोई वातावरण में परिवर्तन तो नही होता जो 1 जनवरी को नया वर्ष देकर लोगो में उत्साह होता है रात भर 12 बजे तक इन्तज़ार किए बैठे रहते हैं। प्रकृति में ऐसा कोई परिवर्तन नही होता जो 1 जनवरी को विशेष दिन का चिन्हाकन करे।
ओशो के अनुसार "उत्सव हमारे दुखी चित्त के लक्षण हैं। चित्त दुखी है वर्ष भर, एकाध दिन हम उत्सव मनाकर खुश हो लेते हैं। वह खुशी बिलकुल थोपी गई होती है, क्योंकि कोई दिन किसी को कैसे खुश कर सकता है? अगर कल आप उदास थे और कल मैं उदास था, तो आज मैं खुश कैसे हो जाऊँगा? हाँ, खुशी का 'मन' पैदा करूँगा।"
मनुष्य ने फिर भी उत्सव मनाने के दिन खोज लिए । ठीक है इसी बहाने हम थोड़ा होश में आयेंगे। कुछ कड़वी बातो को भुलाएँगे कुछ मीठी व सच्ची बातो को अपनाएंगे। नया संकल्प लेकर नया आचरण बनाने व उसे जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे। एक पौधे में नए पत्ती तभी आयेंगे जब जड़ो में पानी दिया जाएगा न कि बाहर नहलाने से उसमें परिवर्तन होगा। इसी प्रकार हमे अपने अन्दर झाकना होगा उन गहरे अंधेरो में जहाँ कभी नहीं गए उन जड़ो में प्रवेश करना होगा जिसे सदा से छुपाए बैठे थे। जिसे इग्नोर करते जी रहे थे ।भला आंतरिक परिवर्तन के बिना बाहरी परिवर्तन कैसे होगा? हम कितने ही उत्सव होली दीपावली क्रिसमस मना ले जब अंदर घाव है तो उसे छुपा नही सकते एक दिन वह बाहर आयेगा बड़ा रुप लेकर।
हम एक दिन को महत्व दे देते है बाकी दिनो का जैसे कोई उत्सव ही नही मना सकते। हमारा हर दिन उत्सव होना चाहिए।
श्री श्री रविशंकर के अनुसार "जैसे-जैसे नया साल आ रहा है, आइए हम भीतर से अटल रहने और एक बेहतर दुनिया की ओर बढ़ने का संकल्प लें। वक़्त इंसानों को बदल देता है, लेकिन कुछ लोग वक़्त भी बदल देते हैं। क्या आप उनमें से एक हो सकते हैं।"
हमे नया वर्ष में क्या पाना चाहेंगे क्या बनना चाहते है एक लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए। और उसे पाने,अर्जित करने कड़ी मेहनत करनी चाहिए। ये भी आवश्यक है कि हमारा दिशा सही हो हम बोध पूर्वक आगे बढ़ते जाए। किसी गलती को दुहराए नही।
आचार्य प्रशांत के अनुसार"हर कदम तुम्हे बदल देता है अगले कदम पर तुम नही रहोगे इसीलिए आगे के कदमो की कल्पना या चिंता करना व्यर्थ है ।तुम बस अभी जहाँ हो वहाँ से उठते हर एक कदम की सुध लो"
हम भूत या भविष्य में अटके रहते हैं वर्तमान में होते नही या तो पिछ्ले बातो की सोच रहे होते है या भविष्य मे जो नही है उसमे उलझे रहते है। न गुजरा समय तुम्हारे हाथ में है न आने वाला समय हाथ में है ।तुम बस अभी हो इसी क्षण और इसी क्षण जो करोगे वही सार्थक है शेष समय तो आप खप रहे होते हैं काल की दो पाटो के बीच में और आपको पता ही नही चलता कब शाम हो गया।
सिस्टर बी के शिवानी के अनुसार "परमात्मा को याद करके वही सोचेंगे वही बोलेंगे जो सम्मान से भरा हुआ है और वही कर्म करेंगे जो श्रेष्ठ है क्यो कि सुबह-सुबह हमने इसको(मस्तक की ओर इशारा करते हुए) शक्तिशाली बनाया है ।आई विल टेक केयर माइसेल्फ अपना ध्यान रखना शुरु करेंगे जो अपना ध्यान रखना शुरु करते है वो बाकी सब कुछ बहुत सहज सरल तरीके से आसानी से कर लेगा।"
अन्ततः हमे अपने आप को पावरफुल बनाना है।अपनी आत्मा को पोषित करना है। अपनी जड़ो को मजबूत करना है जिससे प्रेम का फूल खिल सके जिसकी सुगंध दूर दूर तक जा सके और सबके जीवन उत्सव से भर जाए ।
Save tree 🌲save earth 🌏&save life ❤