प्राचीन समय में रोगी का इलाज करने के लिए वैद्य हुआ करता था। वैद्य नाडी देखकर बीमार का इलाज किया करते थे । उस समय पेड़ की पत्तियाँ,छाल,बीज आदि औषधि के रुप में काम आता था। कई बीमारीयो का लोगो को पता ही नही चलता था और मृत्यु हो जाता था उस समय कम बीमार भी पड़ते थे। लोगो को कैसे पता होता था कि इस बीमारी का इलाज उस पेड़ या झाडी से होगा हमारे ऋषि मुनियों ने हर पौधो पर ध्यान कर उससे होने वाले लाभो को जानकर उसकी दवाई बनाते थे ये बड़ी अदभुत बात है कि जिस पौधे से औषधि बनी है उस पौधे पर ध्यान कर उससे मिलने वाले लाभो को जान जाते थे पतंजलि ऋषि ने इन पर बहुत काम किया है । बहुत सारे पेड़ पौधे से बना औषधि उसी की देन है।
आगे के वर्षो में विकास होता गया आयुर्वेद की जगह एलोपेथी ने ले लिया लोग एलोपेथी चिकित्सा को अपनाने लगे एलोपेथी में जल्दी से आराम होने के कारण लोग इन पर विश्वास करने लगे इनका उन्नीसवीं व बीसवीं शताब्दी में काफी विकास हुआ ।नये नये बिमारियों के इलाज में आयुर्वेद पीछे रहा ।एलोपेथी ने कम समय में लोगो को राहत पहुचाया। चिकित्सक बनने के लिए अब कठिन कोर्स से होकर गुजरना पड़ता है। एक चिकित्सक लोगो को जीवन दे सकता है।वही जानता है कि किस दवाई से कौन सी बिमारी ठीक होगी। एक चिकित्सक 24 घंटे सेवा में रहता है और मरीजो का इलाज करता है । मलेरिया पर विजय पाना इतना आसान नही था लेकिन एलोपेथी चिकित्सा ने उसका हल ढूँढ निकाला ।इसी प्रकार टाइफायड निमोनिया एड्स जैसे घातक बीमारी पर विजय पायी है। अभी तो आप लोग जानते है कोरोना ने कितना कहर ढाया लेकिन डाक्टरो की सेवा को भुलाया नहीं जा सकता है। डॉक्टर व उसके स्टाफ ने हिम्मत नही हारी व अपनी जान की परवाह करे बगैर सेवा दी।
कुछ लोग इलाज के नाम पर ज्यादा पैसा ले लेते है।आज कल बड़े बड़े हॉस्पिटल खुल गए हैं जो इलाज कर काफी पैसा लेते है। लोग स्वास्थ्य के नाम पर अपना इलाज करा लेते हैं। दवाईयों का दाम कितना बढ़ गया है। शासन की योजनाओं में इलाज तो किया जाता है लेकिन कुल मिलाकर उससे पैसा वसूल भी कर लेते है। इस तरह से चिकित्सा सेवा का व्यवसाय बड़ा फलफूल रहा है।
आज के समय में एक बाबा मसीहा बनकर आया उसने मरते आयुर्वेद को पुनर्जीवित किया। लोग बाबा रामदेव के इलाज को अपनाते है और पतंजलि की दवाई का सेवन करते है।सही राह दिखाकर अनेक लोगो का पैसा बचाने वाले रामदेव ने इस समय आकर कई लोगो को जागरूक किया है। उनकी सेवा लाजवाब है।
भारत में प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को डॉ बिधान चंद्र राय की याद में उनकी जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। 1991 में, भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाने की घोषणा की गयी थी इस वर्ष राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस की थीम " सेलिब्रेटिंग रेजिलिएंस एंड हीलिंग हैंड्स " है।
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