समय था वह बड़ा ही परेशानी भरा।
कोरोना था अपने चरम सीमा पर मौत सेभरा खड़ा।
हर कोई डर रहा था, मौत से अपने आप को दूर कर रहा था। हर कोई घर में बंद था।
तभी कुछ होशियार बंधुओं ने मेहनत की ,उसका वैक्सीन लाए।
और सब को लगाया घर से भय कोभगाया।
मैं खुश हूं कि उस मुहिम में मेरे परिवार के बच्चे भी शामिल थे। कहीं ना कहीं तो उनकी टेक्नोलॉजी काम लगी थी।
लोगों के जीवन दान देने में लगी थी ।
एस्ट्राजेनेका, कोवैक्सीन और भी वैक्सीन बनाने की मुहिम में काम लगी थी।
एक बार तो बदल दी है दुनिया।
जल्दी ही हम इस जहां को बदल देंगे ।
ऐसी हमको है आशा ही नहीं विश्वास भी है।
हम इस देश के बच्चे हैं।
जो टेक्नोलॉजी और दिमाग से अच्छे हैं।
हे साथ हमारा हौसला
हौसला अफजाई करने हमारे अपने खड़े हैं ।
हम इस जहान को बदल के रखेंगे।
नई नई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर नई-नई दवाइयां लाएंगे।
इस कोरोना को मार कर भगाएंगे।
गर्व है हमें उन सब बच्चों पर जो हमारे हैं, और देश के हैं ।
जो इस महामारी को भगाने में नए-नए आविष्कार करने में जुटे हुए हैं ।
रोज नई दवाइयां रोज नया वैक्सीन लोगों को भय मुक्त करने को काफी है। नई नई टेक्नोलॉजी से हम इस दुनिया को बदल देंगे।
स्वरचित कविता
20 सितंबर 21