जी हां मैंने चुड़ैल और चुड़ैल की टोपी तो मैंने नहीं देखी है।☺️
मगर देखा है उन इंसानी चुड़ैल को जो अपनी हरकतों से चुड़ैल गिरी करते हैं। 😊
देखा है उनके मुंह के ऊपर घुंघट रखे हुए उनको लड़ते हुए आपस में
एक दूसरे से गाली गलौज करते हुए। और ऐसी गंदी गंदी हरकतें जैसे हाथापाई गाली गलौज करते हुए।
तो क्यों ना उनके घुंघट कोही हम चुड़ैल की टोपी बना देते हैं।
क्यों सही है ना मुंह का घुंघट ऊपर से दिखाने के लिए है
शर्म और स्वभाव से और हरकतें चुडैलो जैसी है।
आपस में लड़ते हुए चुड़ैल गिरी करते हुए
तो वह घुंघट भी चुड़ैल की टोपी ही हुई ना😊😊।
कहती है विमला रखो जबान पर विवेक का पर्दा।
ताकि तुम्हारे मुंह से निकला हर शब्द हो बढ़िया।
जो ना सामने वाले को परेशान करे।
ना तुम को शर्मसार करे।
स्वरचित कविता 18 सितंबर 21