आत्मनिर्भर नारी
सब पर है भारी
शिक्षा
स्वावलंबन,
स्वाभिमान है जिसका गहना,
अन्याय नहीं है उसको सहना,
परिस्थिति भले कैसी भी आए
उससे वह हिम्मत से पार पा जाए
कोई ना उसकी आवाज दबा पाए।
एक शिक्षित आत्मनिर्भर नारी समाज का सुधार करती जाए।
परिवार को लेकर साथ चले वो
सब सदस्यों का मान रखे वो
तो उस नारी के गुणों से महके उसका घर संसार।
आत्मनिर्भर नारी
शिक्षा और गुणों से सब पर है भारी
बाकी अपवाद तो सब जगह मिलते हैं।
एक ढूंढो हजार मिलते हैं।
शिक्षा आत्मनिर्भरता को अपना गहना बनाएंगे, तो जिंदगी सुधर जाएगी।
नहीं तो अपनी हैकड़ी में रह जाएंगे, कि हम आत्मनिर्भर हैं। हमसे ज्यादा कोई नहीं हम जो चाहे कर सकते हैं।
तो आत्मनिर्भरता तो मिलेगी मगर मन की शांति खो जाएगी।
तलाक घर के झगड़ों में अपने आपको भी कहीं खो देंगी।
इसीलिए कहती है विमला आत्मनिर्भर स्त्री बनो ना किसी पर अत्याचार करो
ना अत्याचार होने दो।
जो परिस्थितियां हैं उनको जोड़ के चलो।
उनका हल निकालो उनको तोड़ कर मत चलो।
स्वरचित कविता 25 नवंबर 21