समय का पहिया चलता जाए यही है उसका काम रे।
जो इस निरंतरता पकड़ ले उसका बेड़ा पार रे।
छोड़ आलस्य
बनाए लक्ष्य करे निरंतर काम ।
उसका बेड़ा पार रे।
कहती है विमला
दुविधा में तुम ना रहो।
बनाओ अपना लक्ष्य।
पाओ सफलता अपने लक्ष्य,
में तो जीवन सफल हो जाए तुम्हारा।
नहीं तो यह समय है किसी के लिए नहीं रुकता ।
गया समय वापस नहीं आता। वह निकल जाएगा।
तो हाथ मलने का आएगा वारा।
स्वरचित कविता 24 सितंबर 21