मॅा क्या सुन रही हो मेरी आवाज
मै आपकी ही परछाई
क्या भूल गयी मुझे
मै आपकी अजन्मी बेटी
शायद समय के चक्र ने
विस्मृत कर दिया होगा आपको
पर मुझे आज भी सब याद है
वो आपका मुस्कराता चेहरा
ममता भरी आॅंखें
कुछ भी नही भूली हूॅ।
वो दादी की कर्कश आवाज
वो बात -बात पर तानों से आगाज
आखिर मजबूर होगयी थी आप भी
मुझसे मुक्ति पाने के लिए
हर रास्ते को तलाशा था आपने
पर भी कुछ न कर सकी
मेरे मन में अनुकरिक्त प्रश्न है आज भी
कोई मेरा कसूर बता दे
क्या हुई थी मुझसे खता
कोई कुछ तो बता दे।
हरियाणा की बेटी ने दिया है भारत को सम्मान
अब तो लगा दो अजन्मी बेटी की हत्या पर पूर्ण विराम।
निर्दोष को सजा देने की परम्परा का
कब तक करोगे निर्वाहन
क्यों नही करते बेटी बचाओ का आवाहन
शायद डरते हों
क्ही खत्म न हो जाये
पुरूषों का अधिपत्य
कही बढ़ न जाये
नारियों का महत्व
पर रोक न पाआगें
बेटियों के बढ़ते कदमों को
हर बार दिलायेगी
तुम्हें मान और सम्मान
बेटी है शक्ति, हिम्मत और अभिमान