पहले था वह बीस कमाता
अब पाता चालीस
पहले बेचता चाय बडा था
अब पालिस भी करता है ।
फिर भी महगाई के चलते
रोज उधारी करता है
उसको यह समझ न आया
ऐसा भी क्या धपला है ।
इतनी मेहनत के बाद भी
क्यो रोजी रोटी का लफडा है
बीवी कहती और कमाओ
खर्चा अब नही चलता है ।
दूघ के खातिर उसका बच्चा
रोज .रोज मचलता है
उसको वो कैसे समझाये
जब खुद को न समझा पाया ।
उसने सोचा नेता जी से
अपनी बात बतायेगें
नेता जी है बडे हितैषी
इसका हल समझायेगंे ।
जब पहुचा नेता के घर पर
नेता जी बडे व्यस्त थें
अपने चमचांें की बातों में
लग रहे बडे मस्त थंे ।
नजर उठाकर उसको देखा
बोले मंगरू क्या बात है
काम धन्धा ठीक चल रहा
या ऐसी वैसी कोई बात है ।
वे बोला कोई खास नही
पर एक बात न समझ आयी
दिन दूनी रात चैगनी बडती है
क्यो महगाई।
तभी आ गये एक बडें व्यापार ी
लेकर सौगातो का ढेर
बडें बडे झाबों में लेकर
पहुचे नेता जी का नेग ।
बोले .यह लो रहा कमीशन
आगे भी मिलता जायेगा
जितनी बडी होगी परमीशन
उतना ही कमीशन आयेगा।
मिल बैाटकर खाते है हम
सबका अपना हिस्सा है
महगाई की इस चक्की में
बस गरीब हीे पिसता है।
नेता जी फिर बोले उससे
एक बात भई साफ है
गर मिलता रहे मेरा कमीशन
तो सबकुछ किया माफ है।
मगरू को अब समझ आ गया
क्या है महगाई का खेल
न्ेाता जी और व्यापारी का
क्यो बडा है इतना मेल।
जब. जब बढती है महगाई
नेता जी का बढ जाता पेट
अैार गरीब मेहनत करके भी
सो जाता है भूख्ेा पेट ।