हे गुरुजन तुम्हे प्रणाम
नित्य साधना में रत रहकर
देते सबको ज्ञान
हे गुरुजन तुम्हे प्रणाम
दिधिच सा है त्याग तुम्हारा
गार्गी जैसा ज्ञान
सुप्त ज्ञान के चच्क्षु खोलकर
भर देते नवप्राण
हे ---------
जीवन के तुम रंग बदल दो
जीवन के तुम ढंग बदल दो
जगा दो आशाओ के
नित नए आयाम
हे ---------
ज्ञान और विज्ञानं सीखाते
मानवता का पाठ पढ़ाते
ऐसे मानव स्रस्टा को
शत - शत बार प्रणाम
हे ---------