रामू बहुत गरीब घर का लडका था सिर्फ एक मॅा ही थी , जो दूसरो के घरांे में खाना बनाती थी और वहाॅ से जो मिलता था उससे घर का खर्चा चलाती थी। अब मॅा भी बीमार रहने लगी तो उसने सोचा कि क्या किया जाये तो उसकी मॅा ने कहा कि बेटा तुम रोटी सब्जी बनाकर सड़क पर बेचांे। मॅा के सहयोग से उसने रोटी सब्जी बनाई और एक होटल के सामने बेचने लगा, कुछ देर बाद एक लड़का आया और जोर -जोर से गालियॅा देते हुए कहने लगा कि होटल के सामने से भागों , होटल का काम खराब करोगें क्या। तो वह थेाड़ी दूर पर एक पेड़ के नीचे जाकर खाना बेचने लगा। धीरे-घीरे रात हो गयी , उसका खाना भी लगभग समाप्त होगया था केवल दो रोटी बची थी । वह वहॅा से जाने की तैयारी करने लगा तभी वही होटल का लड़का आया और बोला भैया कुछ खाना बचा है क्या ,उसने पूछा तुम तो इतने बड़े होटल में काम करते हो क्या मालिक खाना नही देता । वह बोला मैं सुबह से भूखा हूॅ पर किसी ने भी एक रोटी तक नही दी । तो रामू को उस पर दया आ गयी और दो रोटी जो उसने अपने और अपनी मॅा के लिये बचा कर रक्खी थी उस लड़के को दे दी। आज मॅा बेटे भूखे पेट सोकर भी खूश थे ।