"सत्यार्थ प्रकाश" को पढकर बडे-बडे कट्टर लोग बदल गये, आर्य (हिन्दू या सनातनी) हो गये !
(१.) वर्तमान में महेन्द्रपाल आर्य जो कि अमृतसरमें फारसी भाषा के विद्वान मौलवी थे ! २००३ से जाकिर नाइक को चैलेन्ज कर रहे है मगर आज तक हिम्मत नही हुई डिबेट की
आज जाकिर नायक भी इनसे डिबेट करने से कतराता है !
(२.) जिसे पढ़ कर लाला लाजपत राय ने वकालत छोड़ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में पूरा जीवन लगा दिया !
==> लाला लाजपत राय के बारे में बताने की आवश्यकता नही कितने महान क्रांतिकारी थे।
(३.) जिसे पढ़ कर पण्डित लेख राम ने अपने मरते हुए बच्चे कोभी छोड़ कर ,
मुस्लिम होने जा रहें लाखों हिन्दुओं को बचानेनिकल पडे
और ट्रेन के न रुकने पर उसमे से छलांग लगा दी और
उन्हें मुस्लिम होने से बचा लिया !
==>कहा जाता है की इस्लाम की सबसे ज्यादा पोल खोलने वाली पुस्तक रंगीला रसूल इन्ही की रचना है
(४.) जिसे पढकर पण्डित गुरुदत्त विधार्थी जो उस समयजगदीश चन्द्र बसु के अलावा वि ज्ञान के इकलौते प्रोफेसर थे को ऐसा पागल कर दिया
कि वे अपने शरीर पर आर्यसमाज के नियम के लिखे कपड़े को पहन कर नुक्क्डो पर सत्यार्थ प्रकाश बाँटा करते थे !
आर्य समाज में इन जैसा आज तककोई नहीं हुआ !
इनका प्रचार करने का तरीका ही अलग था !
इन्होंने एक धोती जैसे कपडे के दोनों ओर आर्य समाज के पाँच पाँच नियम लिखवाकर शीर पर टाँग लेते थे,
जिसमें पीँच नियम आगे होते थे
और पाँच नियम पीठ के पीछे !
==>पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी को भारत का दुसरा विवेकानन्द माना जाता है।
(५.) जिसे पढ़ कर राम प्रसाद बिस्मिल जो की एक जमानेमें बुरे व्यसनों में फँसे थे !
सच्चे देश भक्त बन गए और पिताजी के कहने पर कि आर्यसमाज छोड़ दे या
मेरा घर छोड़ दे तो
तत्काल घर छोड़ कर चल दिए !पिताजी ने कहा कि ये कपड़े भी मेरे दिए हैं तो
उन्हें भी उतार कर
बनियान में ही चल दिए !
==>राम प्रसाद बिस्मिल का जीवन चरित्र इतना बदल गया की इनके जीवन चरित्र को पढ़कर भारत का नया स्वामी विवेकानन्द राजीव भाई दिक्षित जी के रूप में सामने आया
(६.) जिसे पढ़ कर व्यसनी मांसाहारी मुंशीराम बदल गए
और संन्यासी श्रद्धानन्द बनकर अंग्रेजो की गोलियों के आगे सीनातान के खड़े हो गए
और दिल्ली आगरा के लगभग सवा तीनलाख मुसलमानो को
शुद्धि आंदोलन से फिर से
आर्य बना करकट्टर मुस्लिम की गोली खा कर बलिदान हो गए !
==> स्वामी श्रधानन्द जी ने भारत में २७ लाख मुसलमान को हिन्दू बनाया था।
(७.) जिसे पढ़ कर वीर सावरकर ने कहा कि जब तक येपुस्तक भारतीयो के पास है
तब तक कोई विधर्मी अपने मतकी शेखी नही बघार सकता !
==> सवारकर भारत के ऐसे अकेले क्रांतिकारी है जिन्हें 2 बार काला पानी की सजा और 50 साल अलग सजा मिली थी सावरकर के बारे में गाँधी का कहना था ये ऐसे क्रांतिवीर है जिन्होंने भारत को हमसे पहले समझा
स्वदेशी आन्दोलन और बंगाल का बंग भंग आन्दोलन 1903 में इन्होने ही चलाया था
वन्दे मातरम की शुरुआत सावरकर ने ही की थी राष्ट्रिय मंच से।
(८.) जिसे पढ़ कर भगत सिंह के दादा अर्जुनसिंह कट्टरआर्यसमाजी हो गए और
अपने सब बेटो को देशभक्त बना गएऔर
देश को भगत सिंह जेसा वीर दे गए !
==> भगत सिंह पर इस ग्रन्थ का बहुत प्रभाव था।
(९.) जिसके बारे में अबुल कलाम आजाद ने कहा किपता नही क्या है
इस पुस्तक में जो हिन्दू
एक बार इसे पढ़ लेतो वो
अधिक जोशीला और दृढ़ देशभक्त बन जाता है !
==> कलाम शाहब ने इस किताब की प्रशंसा बहुत की थी।
(१०.) जिसे पढ़ कर भारत रत्न महामना मदनमोहन मालवीय जो आर्यसमाज के विरुद्ध थे
ने अपने अंतिम समय जब कुछब्राह्मणों से पूछा कि
अब हमे कौन मार्गदर्शन करेगा तो इस ग्रन्थ को देकर कहा
की यही अब तुम्हे मार्ग दिखाएगा !
==> महान ग्रन्थ के भक्त बन गये थे मालवीय जी
(११)- आर्य समाज ने ही भारत का सबसे बड़ा गौ रक्षा आन्दोलन छेडा था और अग्रेजो की रिपोर्ट बताती है ये गौ रक्षा का ये संगठन 7 लाख गाव् में अपनी शाखा लगाता था और हर गाव में इसमें कम से कम 25 कार्यकर्त्ता थे
ये इसी ग्रन्थ के रचयिता स्वामी दयानन्द सरस्वती का प्रभाव था।
(१२) जिसे पढ़ कर आज भी कुछ लोग रात रात भर जाग करहिन्दुओ को जगाने के लिए प्राणपण से
तत्पर है !
मित्रो सोचिये ऐसा क्या है
इस ग्रन्थ में ???
यदि जानना चाहते हो तो इसे एक बार पढ़ के देखोये
आपको कहीं भी आर्य समाज में मिल जायेगा !
●क्या आपने पढ़ी ये भारत की नायाब किताब।
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"सत्यार्थ प्रकाश" को पढकर बडे-बडे मौलवी और पादरी बदल गये, आर्य (हिन्दू या सनातनी) हो गये !
(१.) वर्तमान में महेन्द्रपाल आर्य जो कि अमृतसरमें फारसी भाषा के विद्वान मौलवी थे ! २००३ से जाकिर नाइक को चैलेन्ज कर रहे है मगर आज तक हिम्मत नही हुई डिबेट की
आज जाकिर नायक भी इनसे डिबेट करने से कतराता है !
(२.) जिसे पढ़ कर लाला लाजपत राय ने वकालत छोड़ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में पूरा जीवन लगा दिया !
==> लाला लाजपत राय के बारे में बताने की आवश्यकता नही कितने महान क्रांतिकारी थे।
(३.) जिसे पढ़ कर पण्डित लेखराम ने अपने मरते हुए बच्चे कोभी छोड़ कर ,
मुस्लिम होने जा रहें लाखों हिन्दुओं को बचानेनिकल पडे
और ट्रेन के न रुकने पर उसमे से छलांग लगा दी और
उन्हें मुस्लिम होने से बचा लिया !
==>कहा जाता है की इस्लाम की सबसे ज्यादा पोल खोलने वाली पुस्तक रंगीला रसूल इन्ही की रचना है
(४.) जिसे पढकर पण्डित गुरुदत्त विधार्थी जो उस समयजगदीश चन्द्र बसु के अलावा विज्ञान के इकलौते प्रोफेसर थे को ऐसा पागल कर दिया
कि वे अपने शरीर पर आर्यसमाज के नियम के लिखे कपड़े को पहन कर नुक्क्डो पर सत्यार्थ प्रकाश बाँटा करते थे !
आर्य समाज में इन जैसा आज तककोई नहीं हुआ !
इनका प्रचार करने का तरीका ही अलग था !
इन्होंने एक धोती जैसे कपडे के दोनों ओर आर्य समाज के पाँच पाँच नियम लिखवाकर शीर पर टाँग लेते थे,
जिसमें पीँच नियम आगे होते थे
और पाँच नियम पीठ के पीछे !
==>पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी को भारत का दुसरा विवेकानन्द माना जाता है।
(५.) जिसे पढ़ कर राम प्रसाद बिस्मिल जो की एक जमानेमें बुरे व्यसनों में फँसे थे !
सच्चे देश भक्त बन गए और पिताजी के कहने पर कि आर्यसमाज छोड़ दे या
मेरा घर छोड़ दे तो
तत्काल घर छोड़ कर चल दिए !पिताजी ने कहा कि ये कपड़े भी मेरे दिए हैं तो
उन्हें भी उतार कर
बनियान में ही चल दिए !
==>राम प्रसाद बिस्मिल का जीवन चरित्र इतना बदल गया की इनके जीवन चरित्र को पढ़कर भारत का नया स्वामी विवेकानन्द राजीव भाई दिक्षित जी के रूप में सामने आया
(६.) जिसे पढ़ कर व्यसनी मांसाहारी मुंशीराम बदल गए
और संन्यासी श्रद्धानन्द बनकर अंग्रेजो की गोलियों के आगे सीनातान के खड़े हो गए
और दिल्ली आगरा के लगभग सवा तीनलाख मुसलमानो को
शुद्धि आंदोलन से फिर से
आर्य बना करकट्टर मुस्लिम की गोली खा कर बलिदान हो गए !
==> स्वामी श्रधानन्द जी ने भारत में २७ लाख मुसलमान को हिन्दू बनाया था।
(७.) जिसे पढ़ कर वीर सावरकर ने कहा कि जब तक येपुस्तक भारतीयो के पास है
तब तक कोई विधर्मी अपने मतकी शेखी नही बघार सकता !
==> सवारकर भारत के ऐसे अकेले क्रांतिकारी है जिन्हें 2 बार काला पानी की सजा और 50 साल अलग सजा मिली थी सावरकर के बारे में गाँधी का कहना था ये ऐसे क्रांतिवीर है जिन्होंने भारत को हमसे पहले समझा
स्वदेशी आन्दोलन और बंगाल का बंग भंग आन्दोलन 1903 में इन्होने ही चलाया था
वन्दे मातरम की शुरुआत सावरकर ने ही की थी राष्ट्रिय मंच से।
(८.) जिसे पढ़ कर भगत सिंह के दादा अर्जुनसिंह कट्टरआर्यसमाजी हो गए और
अपने सब बेटो को देशभक्त बना गएऔर
देश को भगत सिंह जेसा वीर दे गए !
==> भगत सिंह पर इस ग्रन्थ का बहुत प्रभाव था।
(९.) जिसके बारे में अबुल कलाम आजाद ने कहा किपता नही क्या है
इस पुस्तक में जो हिन्दू
एक बार इसे पढ़ लेतो वो
अधिक जोशीला और दृढ़ देशभक्त बन जाता है !
==> कलाम शाहब ने इस किताब की प्रशंसा बहुत की थी।
(१०.) जिसे पढ़ कर भारत रत्न महामना मदनमोहन मालवीय जो आर्यसमाज के विरुद्ध थे
ने अपने अंतिम समय जब कुछब्राह्मणों से पूछा कि
अब हमे कौन मार्गदर्शन करेगा तो इस ग्रन्थ को देकर कहा
की यही अब तुम्हे मार्ग दिखाएगा !
==> महान ग्रन्थ के भक्त बन गये थे मालवीय जी
(११)- आर्य समाज ने ही भारत का सबसे बड़ा गौ रक्षा आन्दोलन छेडा था और अग्रेजो की रिपोर्ट बताती है ये गौ रक्षा का ये संगठन 7 लाख गाव् में अपनी शाखा लगाता था और हर गाव में इसमें कम से कम 25 कार्यकर्त्ता थे
ये इसी ग्रन्थ के रचयिता स्वामी दयानन्द सरस्वती का प्रभाव था।
(१२) जिसे पढ़ कर आज भी कुछ लोग रात रात भर जाग करहिन्दुओ को जगाने के लिए प्राणपण से
तत्पर है !
मित्रो सोचिये ऐसा क्या है
इस ग्रन्थ में ???
यदि जानना चाहते हो तो इसे एक बार पढ़ के देखोये
आपको कहीं भी आर्य समाज में मिल जायेगा !
●क्या आपने पढ़ी ये भारत की नायाब किताब।
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