यहां दोस्तों हमारे अंदर एक बहुत बुरी आदत है काम को टाल देने की। अपनी इसी आदत के कारण हम कभी.कभी अपने बनते हुए कामों को बिगाड़ बैठते हैंए जिससे हमारी बड़ी भारी हानि हो जाती है और कभी.कभी तो अपनी मंजिल पर पहुँचते.पहुँचते रह जाते हैं।
जो काम हमें आज करने हैंए वह कल भी उतने ही महत्व के रहेंगेए यह नहीं कहा जा सकता। परिस्थितियाँ क्षण.क्षण पर बदलती रहती हैं और उनके अनुसार पिछड़े हुए कार्यों का कोई महत्व नहीं रह जाता।
संभव है आज किसी कार्य के सम्मुख आते ही हम उसे ताजा जोश में कर डालेंए परन्तु कल पर टालते ही उस कार्य के प्रति दिलचस्पी भी कम हो सकती है और इस प्रकार वह कार्य सदा के लिए ही टल सकता है।
जिस व्यक्ति में टालमटोल का यह रोग लग जाता है वह अपने जीवन में अनेक काम नहीं कर पाता। बल्कि उसके सब काम अधूरे पड़े रह जाते हैं। यद्यपि ऐसे लोग हर समय व्यस्त रहते दिखाई पड़ते हैंए फिर भी अपना काम पूरा नहीं कर पाते। कामों का बोझ उनके सिर पर लदा रहता है और वे उससे डरते हुए कामों को धकेलने की कोशिश करते रहते हैं।
टालने की आदत वाला मनुष्य परिस्थितियों का शिकार भी हो सकता है। स्वास्थ्य का खराब होनाए मस्तिष्क की निर्बलताए आर्थिक या दूसरे प्रकार की चिन्ता आदि कारण भी कार्य को टालना पड़ता है।
अतः जहाँ तक हो सके आज के काम को कल पर कभी न छोड़ें क्यूंकि वर्तमान क्षण ही हमारा है।