सुबह से ही आयुष की तबीयत ठीक नहीं थी। फिर भी वो तैयार हो हॉस्पिटल के लिए निकलने लगा।
रुबीना- भाईजान आज आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही। आप आज मत जाएं।
आयुष- भाभी, मैं ठीक हूं। आज जाना ज़रूरी है।
आदिल- (अपना बैग लेकर आया) कोई ज़रूरी नहीं है। बैठ इधर। तुझे चैक करूं।
आदिल आयुष का चैकअप करता है तो पता चलता है कि उसे तेज़ बुखार है।
आदिल- तुम कहीं नहीं जाओगे आज। इतना तेज़ बुखार है।चुपचाप दवा लो और आराम करो।
आयुष- भाई मैं ठीक हूं। प्लीज़ जाने दे।
रुबीना- आप कहीं नहीं जाएंगे भाईजान।चलिए दवा लीजिए और आराम करिए।
आयुष को उन दोनों की ज़िद्द के आगे झुकना पड़ता है। वह दवाई खा बिस्तर पर लेट जाता है। आज उसने मन बना लिया था कि वह प्रिया को सब सच बता देगा। पर यह बात वह उससे आमने-सामने और एकांत में करना चाहता था।
आदिल और रुबीना को अपने पासपोर्ट के सिलसिले में एयरपोर्ट जाना पड़ता है। वह आयुष को हिदायत देकर जाते हैं कि वह कहीं नहीं जाएगा। सिर्फ आराम करेगा।
दोपहर होते-होते आयुष का बुखार बड़ जाता है। उसका शरीर तेज़ बुखार से जल रहा था। मुरली काका प्रिया को फोन मिलाते हैं।
प्रिया- काका, डॉक्टर आदिल बता रहे थे कि आयुष की तबीयत ठीक नहीं है। अब कैसे हैं वो?
मुरली काका- प्रिया बिटिया, उसकी तबीयत ठीक नहीं है। आदिल और रुबीना बिटिया भी अपने पासपोर्ट के काम से गये हैं। तुम आ सकती हो?
प्रिया- काका, मैं अभी आती हूं।
प्रिया ने फोन रखा और तुरंत आयुष के घर के लिए निकल पड़ी। कुछ देर में वो उसके घर पहुंच गई। मुरली काका उसे आयुष के कमरे में ले गए। आयुष रजाई ओढ़ नींद में ठंड से कांप रहा था। प्रिया उसके पास गई और उसका माथा छू कर देखा। उसे बहुत तेज़ बुखार था। उसने तुरंत काका को ठंडे पानी की पट्टी लाने को कहा।
प्रिया ने उसके माथे पर ठंडी पट्टी रखी और उसके पास बैठ गई। आयुष की हालत प्रिया से देखी नहीं जा रही थी। वह नम आंखों से आयुष के सिर पर हाथ फेर रही थी कि तभी आयुष नींद में उसका नाम बड़बड़ाने लगा। तभी प्रिया के फोन की घंटी बज उठी।
घंटी की आवाज़ से आयुष हड़बड़ा के उठ गया। उसने प्रिया को अपने करीब पाया तो हैरान हो गया।
आयुष- प्रिया, तुम यहां? क्या... हुआ?
प्रिया- आयुष, आप लेट जाएं। आपको बहुत तेज़ बुखार है।
आयुष- मैं... मैं बिल्कुल ठीक हूं प्रिया।
प्रिया-(थोड़े गुस्से से) आयुष आप लेट जाइए।(मुरली काका को आवाज़ लगाती है) काका, खाना ले आएं।
मुरली काका जल्द ही खाना ले आते हैं।
प्रिया- काका आप अब आराम कर लीजिए। मैं संभाल लूंगी।
आयुष-(काका के जाने के बाद) प्रिया, मुझे तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी है।
प्रिया- बिल्कुल करिएगा। पर पहले कुछ खा लीजिए। उसके बाद मुझे आपको दवाई देनी है।
आयुष- यह सब छोड़ो। पहले मेरी बात सुन लो।
प्रिया- (गुस्से से) आयुष, प्लीज़।
प्रिया आयुष को उठने में मदद करती है। फिर उसे खाना खिला, दवा देती है।
आयुष- (प्रिया की आंखों में देखते हुए) थैंक्स।
प्रिया बिना कुछ बोले बस आयुष की आंखों में देखती रहती है।
आयुष- (प्रिया का हाथ अपने हाथ में लेकर बोला) प्रिया, बहुत तकलीफ़ दे रहा हूं ना तुम्हें?
प्रिया- तकलीफ़ में तो आप हैं आयुष। प्लीज़, जो बात दिल में है उसे कह डालें। दिल हल्का हो जाएगा।
आयुष- प्रिया, क्या तुम्हें भी ये लगता है कि इतने दिनों से जो मैं तुमसे बात नहीं कर रहा, वह सिर्फ इसलिए कि तुम सोनल की बहन हो?
प्रिया- आयुष मैं आपको अच्छी तरह जानती हूं। इतना तो कह ही सकती हूं कि आपकी बेरुखी की यह वजह नहीं है। बात कुछ और है।
आयुष- प्रिया मैं बहुत समय से तुम्हें कुछ बताना चाह रहा था। उस दिन आश्रम में भी मैंने तुमसे बात करनी चाही। पर तुमने यह कह कर मुझे रोक दिया कि तुम्हें मेरे अतीत के बारे में नहीं जानना।
प्रिया- आयुष, मैं तो आज भी यही कहूंगी कि मुझे आपके अतीत में कोई दिलचस्पी नहीं। भले ही आज मुझे ये पता चल गया है कि आपका अतीत मेरी बहन रह चुकी है। फिर भी मैं कुछ जानना नहीं चाहती। पर अगर आप कुछ बताना चाहते हैं तो मैं आपको रोकूंगी नहीं। आपको जो कहना है कह डालिए।
आयुष- (प्रिया का हाथ पकड़ कर बोला) प्रिया, अब जो मैं कहने जा रहा हूं , प्लीज़ उसे सुनकर यह मत सोचना कि मेरा प्यार तुम्हारे लिए कभी भी कम था। बल्कि वो और बढ़ गया है। पर, प्यार हुआ क्यों था उसकी वजह कुछ और है।
प्रिया- आयुष, आज जो भी दिल में है बोल दीजिए।
आयुष- प्रिया, सोनल के ज़िंदगी से जाने के बाद भी मैंने हमेशा उसे अपनी यादों में बसा के रखा। जब तुमसे मिला तो ना जाने क्यों तुम्हारे आस पास होने से सोनल के होने का एहसास होता था। तुम्हारा अंदाज़ सोनल से बहुत मिलता जुलता था। और शायद तुम्हारी तरफ खिंचाव की एक वजह यह भी थी। या फिर सही कहूं तो यही एक वजह थी। तुम मुझे सोनल के होने का एहसास दिलाती थीं। और मैं इस बात से खुश था कि इस बहाने मैं सोनल को हमेशा अपने पास महसूस कर पाऊंगा। पर फिर मुझे लगा कि मुझे तुम्हें यह बात बता देनी चाहिए। अंदर ही अंदर एक गिल्ट पैदा हो गया। उस दिन यही बताना चाहता था तुम्हें पर तुम मेरे अतीत के बारे में कुछ सुनना ही नहीं चाहती थीं। आई एम सॉरी प्रिया। एक तरह से ये भी तो एक धोखा ही हुआ।
प्रिया- (मुस्कुराते हुए) आयुष, आपने मुझे कोई धोखा नहीं दिया है। आयुष, हम इंसानों का एक नेचर होता है कि हम अपने जीवन साथी में अपने पहले प्यार को, या फिर पहले क्रश को, या फिर उस एक्टर या एक्ट्रेस को ढूंढते हैं जिसे हम पसंद करते हैं। ये तो एक बहुत नेचुरल सी बात है कि आपने मेरे अंदर सोनू दीदी को ढूंढने की कोशिश करी। और बहुत हद तक आपकी कौशिश सफल रही क्योंकि वो मेरी बहन हैं और मैं काफी हद तक अपने नेचर में उनसे रिज़ेम्बल करती हूं। इसके लिए गिल्टी फील करने की ज़रूरत नहीं है आयुष।
आयुष- तुमने बहुत समझदारी से मेरी ये उलझन दूर कर दी प्रिया। पर बात काश यहीं खत्म हो जाती। मेरी उलझन इससे भी बड़ी है।
प्रिया- इसका भी अंदाज़ा है मुझे। आप बोलिए आयुष।
आयुष- प्रिया, तुम्हारे एहसास में सोनल का एहसास शामिल है। पर उस दिन सोनल को अपने सामने ज़िन्दा देख कर और उसके झूठ को सुनने के बाद दिल उसके प्रति नफ़रत से भर गया। और उससे ज़्यादा नफ़रत अपने आप से होने लगी।
प्रिया- क्यों आयुष, अपने आप को कसूरवार क्यों ठहरा रहे हो। आपकी क्या ग़लती है इसमें?
आयुष- गलती है प्रिया। मैंने आज तक उसे अपनी यादों में ज़िन्दा रखा, ( प्रिया के चेहरे को अपने हाथों में भरकर बोला) तुमसे मिलने वाले एहसास में ज़िन्दा रखा। और उसने मुझे क्या दिया? धोखा!
प्रिया- आयुष, भूल जाओ उस धोखे को। उस झूठ को। उन यादों को अपने दिल से निकाल फेंको, वरना ये तुम्हें सिवाए तड़प के और कुछ नहीं देंगी।
आयुष की आंखों से आंसू बह निकले। प्रिया उसके दर्द को महसूस कर रही थी। उसने आयुष के हाथों को अपने हाथों में पकड़ लिया। आयुष ने प्रिया को खींच कर अपने पास बैठा लिया और उसकी आगोश में मुंह छुपा के रोने लगा।
प्रिया- (आयुष को अपनी बाहों में भरकर बोली) आयुष, परेशानी की असली वजह क्या है ये बताओ।
आयुष- (प्रिया की आंखों में देखते हुए बोला) तुम्हारे अंदर सोनल के होने का एहसास मुझे मार डालेगा प्रिया। मैंने अपने दिल - दिमाग को बहुत समझाने की कोशिश करी कि तुम सिर्फ तुम हो। पर तुम्हारे करीब आते ही मुझे वो एहसास अंदर ही अंदर तड़पा देता है। और जिस एहसास से जिस अंदाज़ से मैं इतनी मोहब्बत करता हूं वो एकाएक नफ़रत में बदल जाती है।
आयुष की इस बात ने प्रिया को अंदर तक हिला दिया। वो आयुष के लिए पूरी दुनिया से लड़ सकती है पर उस नफ़रत से कैसे लड़ सकती है जो आयुष को उसके पास होने के एहसास से होती है।
आयुष- प्रिया, तुमसे बहुत प्यार करता हूं। तुम्हारे बिना जीने के बारे में सोच भी नहीं सकता। पर तुम्हें धोखा नहीं दे सकता। शायद तुम्हारे प्यार के काबिल ही नहीं हूं मैं। एक ऐसे इंसान से तुम भला कैसे प्यार कर सकोगी जिसके अंदर इतनी नफ़रत भरी हुई है।
प्रिया- आयुष, नफ़रत खत्म भी तो की जा सकती है। हमारा प्यार उस नफ़रत को खत्म कर देगा, यकीन मानो मेरा।
आयुष- (अपने हाथों से अपने चेहरे को ढकते हुए बोला) जिस प्यार के एहसास से ही नफ़रत हो जाए वो प्यार भला कैसे नफ़रत को खत्म कर सकता है?
ये कह वह रोने लगा। प्रिया को समझ नहीं आ रहा था कि वह आयुष को कैसे इस दर्द से बाहर निकाले। उसने आयुष के हाथों को उसके चेहरे से हटाया और उसके आंसुओं को पोंछने लगी।
प्रिया- आयुष, अभी आप आराम करें। हम बाद में इस बारे में बात करते हैं।
आयुष- प्रिया मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, पर मैं अपने अंदर की नफ़रत को खत्म नहीं कर पा रहा हूं। मैं बहुत बुरा इंसान हूं प्रिया। आई हेट माई सेल्फ।
प्रिया- (आयुष को ज़बरदस्ती लेटाने की कोशिश करती है) प्लीज़, लेट जाइए। और आंखें बंद करके सो जाइए।
आयुष प्रिया का हाथ पकड़ कर लेट जाता है। काफी देर तक प्रिया उसके पास बैठी रहती है। उसके गहरी नींद में सो जाने के बाद वह धीरे से अपने हाथ को उसके हाथ से छुड़ाती है और एक नज़र उसको प्यार से देख कमरे से बाहर निकल जाती है।
तभी वहां रुबीना और आदिल आ जाते हैं।
रुबीना- (प्रिया को गले लगाते हुए बोली) कैसी हो प्रिया? हम लोगों का मिलना ही नहीं हो पाया अभी तक।
प्रिया- जी भाभी, बस इन दिनों काम थोड़ा ज़्यादा रहा।
रुबीना- आओ बैठो। एक कप कॉफी हो जाए साथ में।
सब बैठकर कॉफी पीने लगे।
आदिल- प्रिया, अब आयुष ठीक है?
प्रिया- जी, उस वक़्त बुखार थोड़ा तेज़ हो गया था। पर अब ठीक हैं। रैस्ट करेंगे तो और ठीक हो जाएंगे।
आदिल- कुछ बात की उसने। बताया क्या चल रहा है उसके दिमाग में? उसको इतना परेशान और लाचार कभी नहीं देखा पहले।
प्रिया ने आयुष के दिल की सारी बात रुबीना और आदिल को बताई।
रुबीना- मैं नहीं मानती प्रिया कि भाईजान तुमसे या तुमसे जुड़ी किसी भी चीज़ से नफ़रत कर सकते हैं।
प्रिया- भाभी, मैं आयुष की खुशी के लिए अपने आपको बदल सकती हूं। पर मेरे जिस एहसास से आयुष को प्यार हुआ था उस एहसास को कैसे बदल सकती हूं।
आदिल- प्रिया आयुष को यह समझना होगा कि तुम सोनल नहीं हो। तुम्हारा एक अलग वजूद है। और ये बात उसे तुम्हारा प्यार ही समझा सकता है।
प्रिया- कौन सा प्यार डॉक्टर आदिल, उसी प्यार के एहसास से ही तो उन्हें नफ़रत है।
आदिल- प्रिया, मैं नहीं समझता कि नफ़रत में इतनी ताकत है कि वह और सारे जज़्बातों को आसानी से मिटा दे। अगर ऐसा होता तो अब तक इतनी सारी नफरतों की लपेट में आकर ये दुनिया कब की ख़त्म हो चुकी होती। इसे तो छोटी-छोटी मोहब्बतों ने बचा रखा है। और मैं मानता हूं कि तुम्हारी मोहब्बत में इतनी ताकत है, कि वो आयुष के अंदर समाई नफ़रत को खत्म कर सकती है।
प्रिया- पता नहीं डॉक्टर आदिल, पर मैं आयुष को ऐसे तड़पते हुए नहीं देख सकती। वह अपने आप को मुझसे मोहब्बत करने की सज़ा दे रहे हैं। और ऐसा मैं हरगिज़ नहीं होने दूंगी। इसलिए अगर मेरे दूर रहने से उनको शांती मिलती है तो मैं ये भी करूंगी। (प्रिया जाने के लिए खड़ी होते हुए बोली) डॉक्टर आदिल, शायद मेरी मोहब्बत में इतनी ताकत नहीं थी कि वह दीदी के लिए आयुष के दिल में भरी नफ़रत को खत्म कर सकती।
आदिल और रुबीना ने उसे रोकने की बहुत कोशिश करी पर वह नहीं रुकी।
घर पहुंच कर उसने देखा कि जतिन और नेहा उसका इंतज़ार कर रहे हैं। घर के सब लोग बहुत खुश हैं।
कमला ताई- लो आ गई लाडो। आ जल्दी से मुंह मीठा कर ले।
प्रिया- (बुझे मन से पूछती है) क्या हुआ? क्यों मिठाई बांट रहे हो? अरे! तुम दोनों की सगाई की तारीख़ तय हो गई क्या?
मिस्टर कपूर- इन दोनों ने अभी सगाई ना करने का फैसला लिया है।
प्रिया- (चौंक कर पूछती है) क्यों? डॉक्टर जतिन, अभी तो अंकल तैयार हैं। कल को उनका मूड बदल गया तो?
जया- यही हम समझा रहे हैं पर दोनों मान ही नहीं रहे।
नेहा- प्रिया, हमने फैसला लिया है कि जब तक डॉक्टर आयुष और तेरे बीच सब ठीक नहीं होगा हम सगाई नहीं करेंगे।
प्रिया- पागल मत बनो तुम दोनों। हमारी बात छोड़ो तुम अपना देखो।
जया- प्रिया, कुछ बात हुई आयुष से। अब ठीक है क्या वो?
तेरे और उसके बीच सोनू की वजह से जो प्रोब्लम उभरी थी वो सुलझ गईं?
प्रिया ने उन्हें सब बताया।
मिस्टर कपूर- बेटा, हम सब आयुष का दर्द समझ सकते हैं पर आयुष को अपनी नफ़रत को खत्म करना ही होगा। वरना ज़िन्दगी जहन्नुम बन जाएगी।
प्रिया- अरे! ये तो बताओ आप सब कि यह मिठाई किस खुशी में है?
जतिन- प्रिया, तुम्हें हॉस्पिटल ने ट्रेनिंग के लिए सलेक्ट किया है। इसी हॉस्पिटल में रह कर तुम सभी बड़े डॉक्टर्स को ओ.टी. में असिस्ट कर पाओगी। इसके अलावा प्रीति, गौरव और अंकुर को भी चुना है। पर ओ. टी में असिस्ट करने का मौका सिर्फ तुम्हें मिला है।
प्रिया के चेहरे पर खुशी के कोई भाव नहीं थे। उल्टे वो थोड़ा परेशान हो गयी थी।
जतिन- तुम खुश नहीं हुईं ? ये ट्रेनिंग हर किसी को नहीं मिलती।
प्रिया- ( बेमन से मुस्कुराते हुए बोली) खुश हूं। पर तुम दोनों के फैसले से खुश नहीं हूं।
नेहा- प्रिया, हम दोनो ने ज़िन्दगी में हर चीज़ एक साथ की है। तो सगाई भी एक साथ ही करेंगे। सब ठीक हो जाएगा।
प्रिया- ( रोते हुए नेहा को गले लगाते हुए बोली) नेहा, ये काम एकसाथ नहीं हो सकता। मेरे प्यार में इतनी ताकत नहीं है कि वो आयुष की नफ़रत को खत्म कर सके। प्लीज़ तुम दोनों मान जाओ।
जतिन- (प्रिया को संभालते हुए बोला) अच्छा ठीक है कर लेंगे हम सगाई। पर अभी थोड़ा रुक कर। नेहा के डिज़ाइनिंग के एग्जाम हो जाएं फिर करेंगे। ठीक है। अब तुम शांत हो जाओ।
रात भर प्रिया और आयुष को नींद नहीं आ रही थी। दोनों ने एक साथ कितने सपने संजोए थे। पर सब बिखर गए। दोनों ही एक-दूसरे को परेशान देख कर परेशान हो रहे थे। दोनों के कमरों में उस वक़्त एक ही गाना बज रहा था।
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो
लग जा गले से ...
हमको मिली हैं आज, ये घड़ियाँ नसीब से
जी भर के देख लीजिये हमको क़रीब से
फिर आपके नसीब में ये बात हो न हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो।
उस दिन आयुष की कही बात प्रिया के कानों में गूंज रही थी
"अगर किसी दिन तुम्हें अपने से दूर कर दूंगा तो शायद ज़िन्दा रहने की वजह ही खत्म हो जाएगी।"
प्रिया को समझ में आ जाता है कि अब उसे क्या करना है।
आयुष भी खिड़की के पास बैठ इसी गाने को सुनते हुए सोच रहा था कि अब उसे कोई हक नहीं बनता कि वो प्रिया को और परेशानी में डाले। उसने भी तय कर लिया कि अब उसे क्या करना है।
आयुष-प्रिया की इस छोटी सी प्रेम-कहानी में दो प्यार करने वाले दिल क्या एक हो पाएंगे, या अपने - अपने रास्ते बदल लेंगे, ये जानने के लिए पढ़िएगा इसका आखरी भाग।
क्रमशः
आस्था सिंघल