प्रिया रैस्ट रूम में बैठकर अपनी फाइल और रजिस्टर पूरे कर रही थी। आज उसे घर जाने में थोड़ा देर हो गई। सब घर के लिए निकल चुके थे।
तभी अंकुर वहां आता है।
अंकुर- प्रिया एक एमरजेंसी आ गई है। मुझे अभी घर जाना पड़ेगा। मेरी आज रात की ड्यूटी है। क्या तुम मेरी जगह आज रुक सकती हो?
प्रिया- ठीक है अंकुर तुम चले जाओ, मैं रुक जाऊंगी।
अंकुर- थैंक्स प्रिया, मैं डॉक्टर शायना को बता देता हूं।
तभी शायना अंदर आती है।
अंकुर- डॉक्टर शायना आज मेरी जगह पर प्रिया नाईट ड्यूटी कर लेंगी। मुझे एमरजेंसी में घर जाना पड़ रहा है।
शायना- मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है। डॉक्टर कपूर तैयार हैं तो ठीक है। ( फिर वह प्रिया की तरफ देखते हुए बोली) वैसे भी दोस्तों को एक दूसरे के काम आना चाहिए। क्यों डॉक्टर कपूर? सही कह रही हूं ना मैं?
प्रिया- जी, डॉक्टर शायना।
शायना- वैसे तो कुमार के हिसाब से आप बहुत परफेक्ट हैं। इसलिए रात को आपको कोई प्रोब्लम नहीं आएगी। पर फिर भी मदद चाहिए हो तो आप मुझे फोन करिएगा। कुमार को हर छोटी-बड़ी बात के लिए परेशान करना सही नहीं है।
प्रिया- (फीकी सी मुस्कान के साथ) येस डॉक्टर शायना।
शायना के जाने के बाद प्रिया अपने घर फोन करती है।
जया- बेटा आज बहुत देर हो गई तुझे। अब तक आएगी?
प्रिया- मां, आज मेरी नाईट ड्यूटी है। मैं कल सुबह आऊंगी।
जया- अरे! इस हफ्ते तेरी ड्यूटी तो हो गई थी। ये फिर से कैसे लग गई तेरी ड्यूटी।
प्रिया- मां, अंकुर को आज घर जाना पड़ा। इसलिए मैं रुक गयी।
जया- प्रिया, समाज सेवा का ठेका क्या तुमने ही ले रखा है।
तेरी आज तबियत भी ठीक नहीं थी।
प्रिया- मैं ठीक हूं अब मां। सुबह आ जाऊंगी। आप चिंता मत करो।
जया- ठीक है अपना ध्यान रखना।
प्रिया वॉर्ड का राउंड लगा के रैस्ट रूम में आकर लेट गई।
आयुष अपना काम ख़त्म कर निकल रहा था कि उसकी निगाह रैस्ट रूम में लेटी प्रिया पर पड़ी।
आयुष- ( रिसेप्शन पर जाकर बोला) मोनिका, आज डॉक्टर कपूर की ड्यूटी कैसे है? अभी तो उन्होंने नाइट ड्यूटी की थी।
रिसेप्शनिस्ट- सर, डॉक्टर अंकुर को जाना पड़ा तो डॉक्टर कपूर ने रुकने के लिए हां कर दी। पर सर, मुझे लग रहा है कि उनकी तबीयत थोड़ी खराब है।
आयुष रैस्ट रूम में पहुंचा। प्रिया बहुत गहरी नींद में सो रही थी। हवा से उसके बाल उसके चेहरे पर गिर रहे थे। आयुष कुछ देर एक हल्की सी मुस्कान लिए प्रिया को देखता रहा। फिर उसने देखा कि प्रिया सिकुड़ कर सो रही है। आयुष को लगा कि शायद उसे ठंड लग रही थी। उसने रैक से कंबल निकाल प्रिया को उड़ा दिया। प्रिया कंबल के उड़ाते ही उसमें ऐसे सिमट गई जैसे छोटा सा बच्चा कंबल उड़ानें पर करता है। आयुष प्रिया की इस मासूमियत पर मुस्कुराने लगा। आयुष उसकी तबीयत जानने के लिए उसे नींद से जगाना नहीं चाहता था। इसलिए वह चुपचाप वहां से चला गया।
आयुष- (रिसेप्शनिस्ट से) मुझे लगता है कि शायद वह थोड़ा थक गई हैं। अगर उनको लगे कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें कहना कि वह घर चलीं जाएं।
यह कह कर आयुष घर चला गया। उसकी आंखों में नींद आ ही नहीं रही थी। बार - बार उसको प्रिया की तबीयत का ख्याल आता। उसने काफी बार फोन उठा प्रिया को फोन करने की सोची पर हर बार ना जाने क्यों रुक जाता। किसी तरह उसने सोने की कोशिश करी।
अगली सुबह जब प्रिया घर जाने के लिए निकली तो रिसेप्शनिस्ट ने उसे बताया कि आज ओ.पी.डी. में डॉक्टर कुमार के साथ उसकी ड्यूटी है।
प्रिया- पर मेरी तो अभी रात की ड्यूटी थी। ठीक है मैं जाती हूं ओ.पी.डी. में।
आयुष जब ओ.पी.डी पहुंचता है तो प्रिया को देख चौंक जाता है।
आयुष- डॉक्टर कपूर आप यहां? आपकी तो कल नाइट ड्यूटी थी। रूल्स के हिसाब से नाइट ड्यूटी करने वाले को सुबह घर जाना होता है। उससे कोई और ड्यूटी नहीं करवाई जा सकती।
प्रिया- सर मुझे भी सुबह ही पता चला कि मेरी ओ.पी.डी. में ड्यूटी है। कोई बात नहीं सर। मैं तैयार हूं।
आयुष- पर डॉक्टर कपूर, आप थक गई होंगी। आप आज जाएं। मैं शायना से बात कर लूंगा। (आयुष फोन निकालते हुए बोला)
प्रिया- ( आयुष को रोकते हुए) रहने दीजिए सर। वैसे भी मैं इंतज़ार कर रही थी आपके साथ ओ.पी.डी. में असिस्ट करने के लिए। तो आज ही सही।
आयुष- ( मुस्कुराते हुए) क्यों? क्यों इंतज़ार कर रहीं थीं।
प्रिया- (आयुष की आंखों में देखते हुए बोली) सर, आपको असिस्ट करना मुझे अच्छा लगता है। आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
आयुष- ( हल्की मुस्कुराहट के साथ बोला) मैं भी इंतज़ार कर रहा था।
कुछ पल के लिए दोनों खामोश हो जाते हैं। बस एक-दूसरे को देखते रहते हैं।
प्रिया- ( खामोशी को तोड़ते हुए) वैसे सर, कल रात मुझे कंबल उड़ानें के लिए थैंक्स।
आयुष- ( चौंक कर प्रिया को देखता है) आपको.... कैसे पता चला कि मैंने उड़ाया था। आप...जाग रहीं थीं?
प्रिया- (मुस्कुराते हुए) सर, जाग तो नहीं रही थी पर पूरी तरह सो भी नहीं रही थी। उस समय आपके होने का एहसास हो रहा था।
आयुष- (थोड़ा हिचकिचाते हुए) मतलब? एहसास... कैसे हो रहा था... आपको।
प्रिया- सर.... वो ...आप जब कंबल उड़ा रहे थे तो आपके परफ्यूम की खुशबु आ रही थी। नींद में थी, काफी थकी हुई भी थी, इसलिए उठ कर थैंक्स बोलने की हिम्मत नहीं थी।
आयुष- (प्रिया की आंखों में देखते हुए) आपको कैसे पता चला कि वो मेरे परफ्यूम की खुशबु है?
प्रिया- सर, आप हमेशा एक ही खुशबू का परफ्यूम लगाते हैं।
आयुष- ( मुस्कुराते हुए) हां, सही कहा आपने। और आप भी तो ऐसा ही करती हैं।
प्रिया और आयुष हंस पड़े। तभी नर्स आ गई।
नर्स- सर, स्टार्ट करें। बाहर काफी लोग हैं।
आयुष और प्रिया अपनी उस प्यारी सी मुश्किल से मिलने वाली बातचीत के चंद लम्हों से बाहर निकले।
आयुष- बिल्कुल नर्स। स्टार्ट कीजिए।
उस दिन की ओ.पी.डी. में प्रिया को बहुत मज़ा आया। आयुष को असिस्ट करना उसे बहुत पसंद था। आयुष के साथ वह ज़्यादा कम्फ़र्टेबल महसूस करती थी। आयुष को भी उस दिन काफी अच्छा लगा। क्योंकि प्रिया काम करने में बहुत तेज़ थी। फिर चाहे वह झट से इंजेक्शन ढूंढ कर सुई लगानी हो, किसी बच्चे की मरहम-पट्टी करनी हो, या फिर माता-पिता को ढंग से दवाइयां समझानी हों। वह सब बहुत निपुणता से कर रही थी।
आयुष बीच - बीच में उसे देख रहा था। उसे अहसास हो रहा था कि आज प्रिया की तबीयत ठीक नहीं थी। शायना पर गुस्सा भी आ रहा था, क्योंकि वह कहीं ना कहीं यह जानता था कि शायना प्रिया को क्यों पसंद नहीं करती। पर वह प्रिया को परेशान कर अपनी नाराज़गी दिखाएगी, ऐसी उम्मीद नहीं थी उसे।
ओ.पी.डी. आज समय से पहले खत्म हो गई। नर्स बहुत खुश थी।
नर्स- सर, आज तो कमाल ही हो गया। इतना सारा पेशैंट था, पर सब कितना जल्दी खत्म हो गया।
आयुष और प्रिया उसकी हिन्दी पर हंस पड़े। प्रिया की तो हंसी ही नहीं रुक रही थी।
आयुष- ( हंसते हुए) मिस रूबीना, अपनी हिन्दी सुधारिए। पेशैंट जल्दी खत्म हो गये से मतलब है गॉड को प्यारे हो गये।
नर्स- (मुस्कुराते हुए) सॉरी सर, मेरा मतलब है हम जल्दी फ्री हो गये। सर... मैं जा सकती हूं। थोड़ा ज़्यादा देर रैस्ट करने को मांगता आज।
प्रिया फिर से ज़ोर से हंस पड़ी।
आयुष- (हंसते हुए) जी, प्लीज़ जाइए। रैस्ट कीजिए।
आयुष प्रिया को हंसते हुए देखता रहा। उसकी हंसी की खनक उसके दिल को अजीब सा सुकून पहुंचाती थी।
प्रिया ने आयुष को अपनी तरफ ऐसे देखते हुए देखा तो चुप हो गई।
प्रिया- सॉरी सर, ज़्यादा हो गया।
आयुष- इट्स ओके, हंसना सेहत के लिए अच्छा होता है।
प्रिया- तो आप हंसने में इतनी कंजूसी क्यों करते हैं।
आयुष- कंजूसी? अरे! अभी हंसा तो था मैं।
प्रिया- सर, दिल खोलकर हंसा करें। सारा दिन चेहरे पर इतना स्ट्रेस लेकर घूमते हैं। थोड़ा खुल कर हंसने से आपके गुरू बुरा नहीं मानेंगे।
आयुष- ( हैरान हो प्रिया को देखते हुए) गुरू? कौन गुरू?
प्रिया- सर, नेपोलियन बोनापार्ट। ( और फिर वह ज़ोर से हंसने लगती है)
आयुष भी काफी देर हंसता रहा। शायद इतना खुश और रिलेक्स वह पिछले कुछ सालों में कभी नहीं हुआ। प्रिया का साथ उसे अच्छा लगता है। एक अपनेपन का एहसास होता है।
आयुष- चलें अब। आप अब सीधा घर जाएंगी और रैस्ट करेंगी।
प्रिया- सर, मैं बिल्कुल ठीक हूं।
आयुष- दिख रहा है! आपके सिर में दर्द है और बॉडी पेन भी है ।
दोनों रूम से उठ कर ऊपर जाने के लिए लिफ्ट की तरफ जाते हैं। तभी प्रिया को अचानक चक्कर आ जाते हैं और वह गिरने लगती है। अपने आप को संभालने के लिए वह आयुष की बाजू थाम लेती है। प्रिया के अचानक ऐसे बाजू थामने से आयुष हैरान हो जाता है। उसके दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है। वह पलट कर देखता है तो प्रिया लड़खड़ाती हुई गिरने लगती है।
आयुष- ( उसको अपनी तरफ खींचते हुए) डॉक्टर कपूर, क्या हुआ? आप ठीक तो हैं।
इससे पहले कि प्रिया कुछ बोल पाती वह आयुष के कंधे पर सिर रख बेहोश हो गई। आयुष ने उसको अपनी बाहों का सहारा देते हुए संभाला।
वह उसे लिफ्ट में ऊपर ले गया। लिफ्ट से उतर कर उसने किसी को मदद के लिए बुलाने के लिए इधर उधर नज़र दौड़ाई। पर क्योंकि लंच टाइम था तो उसे वहां कोई वॉर्ड बॉय या नर्स नहीं दिखे। उसने प्रिया को गोद में उठाया और रेस्ट रूम में ले जाकर लिटा दिया। तभी अनीता वहां आ गयी।
आयुष- डॉक्टर वर्मा, जल्दी से ब्ल्ड प्रेशर की मशीन लेकर आइए।
अनीता कुछ ही पलों में मशीन ले आती है।
अनीता-( मशीन आयुष को देते हुए) सर क्या हुआ प्रिया को?
आयुष कुछ नहीं बोला और प्रिया का ब्ल्ड प्रेशर चेक करने लगा। बहुत कम ब्लड प्रेशर था। आयुष ने अनीता से शुगर टेस्ट की मशीन लाने को कहा। अनीता जल्दी से ले आई और स्ट्रिप डाल कर आयुष को दे दी। आयुष ने बहुत सावधानी से प्रिया का एक बूंद खून उस स्ट्रिप पर लिया। प्रिया का शुगर लेवल भी कम था।
आयुष- ( गुस्से से प्रिया को देखते हुए,जो अभी भी बेहोश थी) आपकी सहेली को सुपर वुमन बनने का बहुत शौक है। आज तबीयत ठीक नहीं थी। कल रात नाइट ड्यूटी करी थी। मैंने कहा भी कि ओ.पी.डी. रहने दो पर नहीं, इन्हें तो अपने मन की करनी है हमेशा।
अनीता आयुष को देख रही थी। आयुष की आवाज़ में प्रिया के लिए चिंता साफ छलक रही थी। अनीता मंद - मंद मुस्कुरा रही थी। आयुष स्टॉक रूम में जाकर वहां से इंजेक्शन लाता है। और प्रिया को लगा देता है। फिर सोफे पर बैठ जाता है। तब तक वहां प्रीति, गौरव और साक्षी भी आ जाते हैं।
सब अनीता से धीरे से पूछते हैं। अनीता उन्हें सब बता देती है।
गौरव- कोई बात नहीं। सर ने इंजेक्शन लगा दिया है तो फिक्र की कोई बात नहीं। अभी होश आ जाएगा।
कुछ देर में प्रिया को होश आ गया। सभी उससे उसका हाल पूछने लगे।
आयुष- (गौरव की तरफ देखते हुए बोला) डॉक्टर अग्रवाल, इन्हें सबसे पहले कुछ खिलाएं। इन्होंने शायद आज का ब्रेक फास्ट भी नहीं किया और कल रात सही से डिनर भी नहीं किया।
तभी साक्षी एक बड़ा सा टिफिन बॉक्स लेकर आई।
साक्षी- प्रिया के घर से इडली सांभर आया है।
प्रीति- वाह! आंटी के हाथ का इडली सांभर। बहुत स्वादिष्ट होता है।
आयुष- आप सब एक बात ध्यान से सुनें। माना कि हमारे प्रोफेशन में बहुत स्ट्रेस रहता है, भागदौड़ होती है। पर आप सब को अपनी हैल्थ का ध्यान रखना चाहिए। हम बिमार पड़ गये तो मरीज़ों को ठीक कैसे करेंगे। इसलिए समय पर खाना खाइए। चलें, आप सब इंज्वॉय करें।
प्रिया- सर, आप भी प्लीज़ हमें जॉइन कीजिए।
तभी जतिन अंदर आता है।
जतिन- बिल्कुल करेंगे। सर के फेवरेट हैं इडली सांभर।
आयुष- आज नहीं, मेरा खाना आया होगा घर से। वापस ले जाऊंगा तो काका दस बातें सुनाएंगे।
जतिन- सर, आपका खाना तो मैं का गया। आप लंच पर आए नहीं तो मैंने सोचा कि शायद बाहर चले गए होंगे। तो मैंने खा लिया।
वसुधा- सर अब तो आपको भी हमारे साथ पार्टी करनी होगी। अब तो आपका खाना भी नहीं है।
प्रिया- सर प्लीज़।
आयुष सब की बात मान जाता है और उनके साथ खाने के लिए बैठ जाता है।
क्रमशः
आस्था सिंघल