कभी - कभी हम अपनी नफ़रत के चलते कुछ ऐसे फैसले कर लेते हैं जिसके लिए हमें ज़िन्दगी भर पछताना पड़ता है। आयुष भी एक ऐसा ही फैसला लेता है।
आदिल उसे बहुत समझाता है पर वह कुछ सुनने और समझने को तैयार ही नहीं था।
उस शाम आयुष अपने कैबिन में बैठकर प्रिया के साथ बिताए उन खूबसूरत पलों को याद कर रहा था कि जतिन ने आकर उसे उसकी यादों से बाहर निकाला।
आयुष- हां जतिन, बोलो अब क्या समस्या आ गई।
जतिन- सर, आपको शायद याद नहीं कि आज हम सबको जाना है।
आयुष- (कुछ पलों तक सोचता रहा) याद नहीं आ रहा जतिन, कहां जाना है?
जतिन- सर, आज अंकुर और साक्षी की सगाई है। सात बजे तक वहां पहुंचना है। सब निकल भी गए।
आयुष- सब...सब चले गए?
जतिन- (एक प्रश्न भरी निगाह से देखते हुए बोला) क्यों सर, किसी को रुकना चाहिए था क्या?
आयुष- (हड़बड़ाहट में बोला) नहीं, क्यों.. किसी को भी रुकने की क्या ज़रूरत है। चलो चलें।
जतिन- (मुस्कुराते हुए) सर, आपके 'किसी' ने ही मुझे यहां भेजा है। और ये सूट भी भिजवाया है। प्लीज़ पहन लीजिए।
आयुष तैयार हो जाता है और वह दोनों अंकुर - साक्षी की सगाई के लिए निकल जाते हैं। रास्ते में आयुष को मिस्टर चौधरी का फोन आता है।
आयुष- जी सर, कैसे हैं आप?
मिस्टर चौधरी- मैं ठीक हूं। तुम्हारी तबियत कैसी है अब।
आयुष- बढ़िया है सर।
मिस्टर चौधरी- आयुष, डॉक्टर कपूर ने ट्रेनिंग प्रोग्राम से अपना नाम वापस ले लिया है।
आयुष- (चौंक कर बोला) क्या? ऐसा कैसे हो सकता है?
मिस्टर चौधरी- मुझे लगा तुम्हें रीज़न पता होगा।
आयुष- (कुछ पल खामोश रहा, फिर बोला) सर, आप मुझे थोड़ा वक़्त दीजिए, मैं आपको वापस फोन करता हूं।
जतिन- क्या बात है सर क्या हुआ?
आयुष- जतिन, प्रिया ने ट्रेनिंग प्रोग्राम से अपना नाम वापस ले लिया?
जतिन- (थोड़े रुखे स्वर में बोला) तो इसमें हैरानी की क्या बात है सर।
आयुष- ये तुम क्या कह रहे हो जतिन? यह ट्रेनिंग प्रोग्राम प्रिया का सपना था। वो ऐसे कैसे कर सकती है?
जतिन- सपने टूट भी तो जाते हैं सर।
आयुष- (थोड़ा तेज़ स्वर में बोला) जतिन, ये क्या कह रहे हो तुम? कुछ अंदाज़ा है ?
जतिन- माफ कीजिएगा सर। आज तक हम दोनों ने कभी एक दूसरे की पर्सनल लाइफ में दखल नहीं दिया है। पर सर आज कुछ बोलूंगा। क्योंकि प्रिया मेरी बहुत अच्छी दोस्त है इसलिए बोलूंगा। सर, लोग प्यार में अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं पर आपसे प्यार करके प्रिया ने अपनी पहचान ही खो दी।
ये कह जतिन की आंखें भीग जाती हैं। वह चुपचाप बिना आयुष से बात करे गाड़ी चलाता रहता है।
कुछ देर बाद वह दोनों सगाई में पहुंचते हैं। आयुष को देख अंकुर अपने माता-पिता के साथ उनके पास आता है।
अंकुर- थैंक्स ए लॉट फॉर कमिंग सर। ये मेरे पेरेंट्स हैं। मेरे पापा, रवि गुप्ता और मेरी मम्मी वंदना गुप्ता।
आयुष- (उसके पापा से हाथ मिलाते हुए) मुबारक हो मिस्टर गुप्ता। बेटे की सगाई की भी और अंकुर के ट्रेनिंग प्रोग्राम में सलेक्ट होने की भी।
रवि गुप्ता- सर, हमें बहुत खुशी है कि अंकुर को आपके अंडर इंटर्नशिप का मौका मिला। और आपके यहां आने के लिए बहुत शुक्रिया।
आयुष- शुक्रिया कैसा सर। दोस्तों की खुशी में शामिल तो होना ही चाहिए।
वंदना गुप्ता- बिल्कुल। और आप कब खुशखबरी दे रहें हैं?
आयुष- (थोड़ा चौंक कर) जी, कैसी खुशखबरी?
वंदना गुप्ता- अपनी और प्रिया की सगाई की।
आयुष उनकी बात सुन थोड़ा झेंप जाता है। और अंकुर की तरफ देखता है।
अंकुर- (बात को घुमाते हुए) मां, वो देखो बड़े ताऊजी आ गये। जाओ, उन्हें रिसीव करो।
तभी प्रीति वहां आ जाती है।
प्रीति- डॉक्टर कुमार, आपको किसी से मिलवाना है।
आयुष- (पीछे मुड़ कर प्रीति को देखते हुए बोला) डॉक्टर गांधी! आप बहुत अच्छी लग रहीं हैं आज। कहें, किससे मिलवाना है आपको।
प्रीति- सर, ये हैं हितेश। मेरे...
आयुष- समझ गया। हैलो हितेश। कैसे हैं आप?
हितेश- बढ़िया सर, प्रीति आपकी बहुत तारीफ़ करती है।
आयुष- थैंक्स, डॉक्टर गांधी। और आप क्या करते हैं हितेश?
हितेश- सर, मैं जैट एयरलाइंस में पायलेट हूं।
आयुष- ओह! तो आप हैं जिनकी वजह से डॉक्टर गांधी को प्लेन के बारे में इतना कुछ पता है। मुझे तो लगता था कि इन्होंने गलत प्रोफेशन सलेक्ट कर लिया है।
तीनों इस बात पर हंस देते हैं। तभी वसुधा, अनीता और प्रिया साक्षी को लेकर आते हैं।
प्रीति- साक्षी कितनी प्यारी लग रही है।
आयुष की नज़रें तो सिर्फ प्रिया पर टिकीं हुई थीं। गुलाबी लहंगे में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। प्रिया भी चोरी- चोरी नज़रें बचाकर आयुष को देख रही थी। पहली बार उसे सूट में देखा था। उसके भेजे हुए सूट में वो बहुत स्मार्ट दिख रहा था।
आयुष प्रिया से पूछना चाहता था कि उसने ट्रेनिंग प्रोग्राम से अपना नाम वापस क्यों लिया। पर प्रिया उसकी तरफ आ ही नहीं रही थी।
सगाई की रस्म खत्म होने के बाद अंकुर के फादर स्टेज पर आए।
रवि गुप्ता- वैसे तो सगाई के बाद सब लोग मिलकर स्टेज पर धमाल मचाते हैं पर आज हमने कुछ अलग सोचा है। आज हमारे बीच बहुत सारे यंग कपल्स मौजूद हैं। तो सब बारी-बारी से अपनी पसंद के गाने पर डांस करेंगे। और प्लीज़ कोई ना नहीं कहेगा। गौरव आओ स्टेज संभालो।
गौरव- (स्टेज पर आकर) सबसे पहले तो आज के कपल ऑफ अट्रैक्शन अंकुर और साक्षी का डांस होगा।
अंकुर और साक्षी दोनों स्टेज पर आकर अपने फेवरेट गाने पर डांस किया।
साथिया साथिया मद्धम मद्धम तेरी गीली हसी
साथिया साथिया सुनके हमने सारी पीई ली हसी।
डांस खत्म होने पर सबने बहुत तालियां बजाईं।
गौरव-(वापस स्टेज पर आकर) अब मैं जतिन सर से रिक्वेस्ट करुंगा कि वो अपनी मंगेतर नेहा के साथ आएं।
जतिन ने डी.जे. के कानों में जाकर एक गाना रिक्वेस्ट किया। फिर वो नेहा का हाथ पकड़ उसे स्टेज पर ले आया।
ओ मेरे दिल के चैन
ओ मेरे दिल के चैन
चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिये।
आयुष और प्रिया इस गाने को सुन जैसे अतीत में खो गये।
सनसेट पॉइंट पर एक दिन आयुष और प्रिया ने इस गाने पर बहुत इंजॉय किया था। प्रिया के होंठों पर गाने के आखिरी अंतरे को सुन एक हल्की सी मुस्कान आ गई। आयुष ने कैसे उसे अपनी बाहों में भर ये अंतरा गुनगुनाया था।
आपका अरमां, आपका नाम
मेरा तराना और नहीं
इन झुकती पलकों के सिवा
दिल का ठिकाना और नहीं
जंचता ही नहीं आँखों में कोई
दिल तुमको ही चाहे तो क्या कीजिए।
प्रिया की आंखों में आंसू आ गए। काश! उसे उसका पुराना, हंसता - मुस्कुराता आयुष वापस मिल जाए। तालियों की आवाज़ से प्रिया आयुष के ख्वाब से निकल बाहर आई।
गौरव- अब मैं दि मोस्ट डेशिंग मिस्टर हितेश और प्रीति को स्टेज पर बुलाना चाहूंगा।
हितेश और प्रीति ने भी बहुत खूबसूरत गाने पर डांस किया।
तुम से मिलके, ऐसा लगा तुम से मिलके
अरमाँ हुए पूरे दिलके
ऐ मेरी जाने वफ़ा, तेरी मेरी मेरी तेरी
एक जान है
साथ तेरे रहेंगे सदा, तुम से ना होंगे जुदा।
गौरव- (स्टेज पर वापस आकर) अब मैं रिक्वेस्ट करूंगा, उन दो लोगों से जिनकी लव स्टोरी हर प्यार करने वाले के दिल की धड़कन बढ़ा दे। आयुष सर और प्रिया।
आयुष- नहीं नहीं गौरव, प्लीज़ मैं नहीं। मुझे डांस नहीं आता।
रवि गुप्ता- डॉक्टर कुमार, आज मैंने सभी से अनुरोध किया था कि कोई ना नहीं कहेगा। प्लीज़, आईए ना। वैसे भी ऐसे मौके लाइफ में कम मिलते हैं।
आयुष के पास स्टेज पर जाने के सिवा और कोई चारा नहीं था। सभी इंटर्नस मन ही मन अपने प्लैन पर खुश हो रहे थे। वो सब इतना जानते थे कि आयुष-प्रिया के बीच कोई टेंशन चल रही है। वजह उन्हें नहीं पता थी। इसलिए आज सब ने मिलकर यह प्लैन तैयार किया।
प्रिया के स्टेज पर आते ही सबने तालियां बजानी शुरू कर दीं। आयुष ने डांस के लिए अपना हाथ बढ़ाया। प्रिया ने अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया। एक दूसरे के हाथों के स्पर्श से दोनों के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। गाना शुरू हुआ,
तू सफर मेरा है तू ही मेरी मंज़िल तेरे बिना गुज़ारा
ऐ दिल है मुश्किल ।
तू मेरा खुदा तूही दुआ में शामिल तेरे बिना गुज़ारा
ऐ दिल है मुश्किल ।
मुझे आजमाती है तेरी कमी मेरी हर कमी को है तू लाज़मी जूनून है मेरा बनू मैं तेरे क़ाबिल
तेरे बिना गुज़ारा ऐ दिल है मुश्किल।
आयुष और प्रिया शुरू में थोड़ा सा हिचकिचाए पर फिर प्रिया को आयुष के स्पर्श में वही गर्माहट महसूस हुई जो उसे अक्सर उसके पास होने पर होती थी। आयुष की सांसों में वही अपनापन था जो प्रिया को हमेशा महसूस होता था।
ये रूह भी मेरी ये जिस्म भी मेरा
उतना मेरा नहीं जितना हुआ तेरा।
तूने दिया है जो वो दर्द ही सही
तुझसे मिला है तो इनाम है मेरा।
मेरा आसमान ढूंढें तेरी ज़मीं
मेरी हर कमी को है तू लाज़मी।
ज़मीं पे ना सही तो आसमां में आ मिल
तेरे बिना गुज़ारा ऐ दिल है मुश्किल।
पर अचानक आयुष की पकड़ ढीली पड़ गई। उसके हाथ फर्श के समान ठंडे पड़ गये। माथे पर पसीना साफ छलक रहा था। प्रिया ने जब यह सब महसूस किया तो उसकी आंखों में आंसू भर आए। पर उसने आयुष से इशारों में गाना पूरा होने तक डांस करने पर ज़ोर दिया।
डांस खत्म होने पर सबने मिलकर बहुत तालियां बजाईं। आयुष ने धीरे से प्रिया को बाहर गार्डन में आने को कहा और दोनों स्टेज से उतर गए।
आयुष गार्डन में प्रिया का इंतज़ार कर रहा था।
प्रिया- (पीछे से आयुष को आवाज़ देती है) बोलिए आयुष, क्या कहना था आपको?
आयुष- (प्रिया का हाथ पकड़ उसे अपने पास बैठाते हुए बोला) प्रिया, अभी जो हुआ, उसके लिए आई एम सॉरी।
प्रिया- इट्स ऑल राइट आयुष। मैं समझ सकती हूं।
आयुष- प्रिया मैं बहुत कोशिश कर रहा हूं पर ना जाने क्यों मेरी हर कोशिश बेकार हो जाती है।
प्रिया- (अपने आंखों के आंसुओं को छुपाते हुए बोली) आपने यहां क्यों बुलाया था?
आयुष- प्रिया तुमने ट्रेनिंग प्रोग्राम से अपना नाम वापस क्यों लिया?
प्रिया- बस ऐसे ही। अभी इतनी बड़ी ट्रेनिंग के लिए तैयार नहीं हूं मैं।
आयुष- पागल मत बनो प्रिया। ये ट्रेनिंग तुम्हारा सपना था। और ये क्या बात हुई कि तुम तैयार नहीं हो। तुम कितनी काबिल हो इसका अंदाज़ा तुम्हें खुद नहीं है।
आयुष की इस बात पर प्रिया कटाक्ष में हंस पड़ती है।
आयुष- प्रिया, मैं संजीदा हूं। मज़ाक नहीं चल रहा यहां। अपने सपनों से मुंह मोड़ लेना कहां की समझदारी है।
प्रिया- सपनों का क्या है आयुष, सपने तो अक्सर टूट जाते हैं।
आयुष- प्रिया, अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को अलग - अलग रखो।
प्रिया- नहीं रख सकती आयुष। ये गुण आपमें है मुझमें नहीं।
आयुष- क्यों कर रही हो ऐसा प्रिया?
प्रिया- आप जानना चाहते हैं तो सुनिए। आयुष, मैं आपके सामने रहूंगी तो आप कभी अपने अतीत से वर्तमान में नहीं आ सकेंगे। अतीत की यादों को अगर आपको भुलाना है तो मेरा आपसे दूर रहना ही सही रहेगा। मैं सामने रहूंगी तो आप मुझे इग्नोर करेंगे। उससे मुझे तकलीफ़ होगी और मेरी तकलीफ़ से आपको तकलीफ़ होगी। और आप फिर अपने आप को सज़ा देंगे। आयुष, ना मैं आपको और ना आप मुझे तकलीफ़ में देख सकते हैं। तो बेहतर है कि हम दूर रहें।
आयुष- (प्रिया का हाथ अपने हाथों में पकड़ कर बोला) मैं तुमसे दूर नहीं रह सकता प्रिया।
प्रिया- और पास भी तो नहीं रह सकते आयुष। मेरी मौजूदगी आपके अंदर की नफ़रत को बढ़ा देती है।
आयुष- प्रिया, इसके लिए अपने सपने को मत छोड़ो।
प्रिया- (आयुष के चेहरे को अपने हाथों में भरकर बोली) मेरे सपने तो आपसे जुड़े हैं आयुष। मैं आपके लिए पूरी दुनिया से लड़ सकती हूं आयुष। पर अपने आप से कैसे लड़ूं। मेरे साथ होने पर आपको किसी और का एहसास होता है। उस एहसास से कैसे लड़ सकती हूं। आपकी कड़वी यादों से और आपके अंदर बसी नफ़रत से कैसे लड़ूं आयुष।
आयुष- पर प्रिया मैं तुमसे...
प्रिया- मैं कोई याद नहीं हूं आयुष जिसे चोट नहीं लगती। इसलिए इस समय हमारा एक-दूसरे से दूर होना ही सही है।
आयुष- पर प्रिया, हम दोनो जानते हैं कि हम एक दूसरे से दूर नहीं रह सकते।
प्रिया- आयुष, शायद आज मेरी मोहब्बत में आपकी नफ़रत को खत्म करने की ताकत नहीं है।
आयुष- प्रिया ... तुम्हारे बिना मैं... कैसे...
प्रिया- ज़िन्दगी के जिस मोड़ पर मैं और आप अलग हो रहे हैं , प्रिया हमेशा आपको उसी मोड़ पर आपका इंतज़ार करती खड़ी मिलेगी। पर आप तब लौटना जब आप प्रिया के पास आना चाहो। उस एहसास के पास नहीं जिससे आपको अब नफ़रत है।
ये कह प्रिया उठकर जाने लगी। आयुष ने उसका हाथ पकड़ कर रोकना चाहा। प्रिया ने उसे पलट कर देखा। उसकी आंखों में आंसू थे। आयुष की आंखें भी नम थीं।
आयुष- फिर कह रहा हूं प्रिया, मेरे लिए अपने सपनों को मत कुर्बान करो।
प्रिया- मैं भी फिर कह रही हूं आयुष, मेरे सपने तो आपसे जुड़े हैं।
यह कह कर प्रिया अंदर हॉल में चली गई और आयुष उसे बहुत देर तक देखता रहा। फिर वहां से चला गया।
प्रिया अपने रूम में बैठकर हॉस्पिटल का कुछ काम कर रही थी। अचानक जतिन और नेहा उसके पास आए।
नेहा- प्रिया डॉक्टर आयुष जा रहे हैं।
प्रिया- (चौंक कर बोली) कहां?
जतिन- डॉक्टर आदिल के साथ अमेरिका।
नेहा - उन्होंने कोई छुट्टी भी नहीं ली।
जतिन - और ना ही छह महीने की लीव एप्लिकेशन दी है।
नेहा- प्रिया, शायद हमेशा के लिए जा रहे हैं।
प्रिया ये सुन खामोश हो गई।
नेहा- (प्रिया के साथ से फाइल छीनते हुए) बैठी क्यों है। रोकेगी नहीं उनको।
प्रिया- (आंखों में आंसू लिए) मैं क्यों रोकूं। मुझे बता के थोड़ा ही जा रहे हैं।
नेहा- ओहो! प्रिया बेवकूफी की बातें मत करो। रोकना चाह भी रही हो, रोक भी सकती हो पर रोकोगी नहीं। अजीब पागलपन है, बेवकूफी है। दोनों धोखा दे रहे हो अपने आप को।
जतिन- प्रिया, ये वक़्त निकल जाएगा ना तो दोनों पछताओगे।
नेहा- (प्रिया से फाइल छीनते हुए) बहुत हो गया प्रिया! चल उठ।
जतिन और नेहा प्रिया को लेकर एयरपोर्ट निकलते हैं।
प्रिया के लिए यह सफर जैसे ज़िन्दगी और मौत का सफर बन गया था। उसकी ज़िंदगी उससे दूर जा रही थी। और बिना आयुष के जीवन मौत से कम भी तो नहीं होगा।
एयरपोर्ट पहुंच तीनों फ्लाइट का स्टेटस देखने भागे। अमेरिका की फ्लाइट जा चुकी थी। जतिन ने रिसेप्शन पर फिर से चैक किया। पर वहां से भी यही जवाब मिला।
तीनों हताश हो वापस कार के पास आ गये। जतिन ने नेहा और प्रिया को घर छोड़ दिया।
प्रिया ने अपनी गाड़ी की चाबी उठाई और सनसेट पॉइंट निकल गई।
वहां पहुंच प्रिया दूर आसमान में सूरज के डूबने का इंतज़ार कर रही थी। आंखों के आगे आयुष के साथ बिताए हर हसीन पल रह - रह कर सामने आ रहे थे। आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। वह मन ही मन सोचने लगी, 'क्या नफ़रत में सच में इतनी ताकत होती है कि वह मोहब्बत को भी हरा दे। कोई किसी से इतनी नफ़रत कैसे कर सकता है कि अपने सामने खड़ी मोहब्बत को नहीं पहचान सका।'
ल ला ला ला ल ल ल ला
ल ला ला ला ल ल ल ला
ला ला ल ला ला ला ल ला,
देखूं तुझे ही हर जगह,
मानूं तुझे ही मैं खुदा,
कैसे कहूं तुझे बता
तू ही तो है मेरा जहां।
प्रिया ने पलट कर देखा तो आयुष दूर अपनी कार के पास खड़ा था। उसने धीरे-धीरे प्रिया की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किए। और प्रिया ने उसकी तरफ। आमने-सामने आने पर आयुष उसे देख मुस्कुरा दिया।
प्रिया- आप तो चले गए थे?
आयुष- मैं तुम्हें छोड़कर कहां जा सकता हूं प्रिया। सभी रास्ते तुम तक ही तो आते हैं।
प्रिया- पर मैंने आपसे कहा था कि अब जब आप आएंगे तो प्रिया के पास आएंगे। किसी याद या एहसास के पास नहीं।
आयुष- (प्रिया को अपनी तरफ खींचते हुए बोला) जानती हो प्रिया, आज जब चैक इन करवा के मैं प्लेन तक जा रहा था तो उस पूरे सफर में सिर्फ तुम थीं मेरी यादों में। तुम्हारे एहसास में किसी और का एहसास शामिल नहीं था प्रिया।
प्रिया- पर आपकी नफ़रत...
आयुष- (प्रिया के होंठों पर अपना हाथ रखते हुए बोला) तुम्हारे इश्क के ज़ोर के आगे मेरी नफ़रत का ज़ोर बहुत कम था प्रिया। तुम सिर्फ तुम हो, और तुम मेरी हो।
आयुष ने प्रिया को अपने आगोश में ले लिया।
आयुष- आज ये आयुष पूरी तरह से अपनी हर कड़वी याद को दिल से निकाल चुका है। मेरे दिल में और मेरी यादों में सिर्फ तुम हो। प्रिया आई लव....
प्रिया- (आयुष को चुप कराते हुए बोली) ये तो मुझे पता है। कुछ नया बोला।
आयुष- (प्रिया के गले में अपनी बांहें डालते हुए बोला) आजकल मैरिज सीज़न चल रहा है। तो... मुझसे शादी करोगी।
प्रिया आयुष को देखती रह जाती है। आयुष उसके उत्तर का इंतज़ार कर रहा था। तभी वहां बहुत तेज़ तालियों की आवाज़ आने लगती हैं।
प्रिया- ये आवाज़ें कहां से आ रही हैं?
आयुष प्रिया को इशारे से पीछे देखने को कहता है। वहां सब खड़े थे। मिस्टर एंड मिसेज कपूर, श्रीधर बाबा, जतिन- नेहा, अंकुर- साक्षी, प्रीति-हितेश, गौरव, वसूधा, गगन, और अनीता।
सब को देख प्रिया चौंक गयी।
गौरव- सर, ऐसे नहीं सही तरीके से पूछिए।
आयुष- (घुटनों के बल बैठता हुआ बोला) डॉक्टर प्रिया कपूर, क्या आप मुझसे शादी करेंगी।
सब प्रिया की हां का इंतज़ार कर रहे थे।
प्रिया- (शर्माते हुए बोली) हां।
ये कह कर उसने आयुष को गले लगा लिया।
आसमान में सूरज ढलने लगा था। पर प्रिया और आयुष के प्यार का सूरज अब कभी नहीं ढलेगा। नफ़रत चाहे कितनी भी गहरी क्यों ना हो, सच्चे प्यार की शिद्दत के आगे उसका ज़ोर नहीं चल सकता।
समाप्त 🙏
आस्था सिंघल
लेखिका