आयुष अपने कैबिन में काम कर रहा था कि जतिन सब इंटर्नस को लेकर उसके कमरे में आता है।
आयुष- आएं आप सब प्लीज़। डॉक्टर जतिन आप प्लीज़ डॉक्टर शायना को भी बुला लाइए।
आयुष सब को सोफे पर बैठने का इशारा करता है। सब अंदर से काफी डरे हुए थे कि आयुष ने अचानक सबको क्यों बुलाया होगा। थोड़ी देर में शायना भी आ जाती है।
आयुष-( मुस्कुराते हुए) आप सब बहुत टेंशन में लग रहें हैं। चलिए आपकी टेंशन को और बढ़ा देता हूं। ये मेरे हाथों में आप सबकी दो महीनों की रिपोर्ट है। क्या लगता है आपको कैसी आई होगी?
गौरव- ( घबरा कर बोला) पता नहीं सर। आप जानते होंगे।
आयुष- (हंसते हुए) नहीं, मैंने भी नहीं पढ़ी है। सोचा हम सब साथ में पढ़ेंगे। पर इस बार थोड़ा सा बदलाव किया है। वैसे तो हमेशा इंटर्नस को पॉइंट दिए जाते थे पर इस बार पॉइंट के साथ बैच भी दिए जा रहे हैं।
साक्षी- सर कैसे बैच।
आयुष- चार अलग रंग के बैच हैं। ब्ल्यू बैच फॉर आउटस्टैंडिंग पर्फार्मेंस, ग्रीन बैच फॉर बेस्ट परफॉर्मेंस, ऑरेंज फॉर मीडियम परफोर्मेंस और रेड फॉर इंप्रूवमेंट।
अब डॉक्टर जतिन आप सब को बताएंगे कि आपने कौन से बैच जीते हैं। पर इससे पहले मैं एक बात कहना चाहता हूं कि आई एम वैरी हैप्पी विद यू ऑल। आप सब बहुत अच्छे डॉक्टर हैं। जतिन बताएं अब सबका रिजल्ट।
जतिन- सर, रेड से स्टार्ट करते हैं। डॉक्टर अनीता और डॉक्टर गगन को रेड बैच मिला है।
आयुष- डॉक्टर गगन, आप वॉर्ड में डिसीप्लिन नहीं रख पाते। थोड़ा बच्चों को हेंडल करना सीखिए। और डॉक्टर अनीता आपको मेडिसिन का कम्पोजिशन कभी - कभी याद नहीं रहता।
गगन और अनीता अपने - अपने बैच ले लेते हैं और आयुष से अपनी गलतियों को सुधारने का प्रोमिस करते हैं।
जतिन- डॉक्टर वसुधा, डॉक्टर अंकुर को ऑरेंज बैच मिलता है।
आयुष- डॉक्टर अंकुर आपके वॉर्ड के राउंड कम थे। और डॉक्टर वसुधा आप बहुत अच्छा कर रही हैं। थोड़ा नर्वस कम हुआ करें। ओ.पी.डी. में आप थोड़ा नर्वस नज़र आती हैं।
उन दोनों ने भी अपनी गलतियों को सुधारने का प्रोमिस किया।
जतिन- डॉक्टर साक्षी और डॉक्टर गौरव को ग्रीन बैच मिलता है।
आयुष- आप दोनों बहुत ही अच्छा कर रहे हैं। बस प्रेक्टिकल नॉलेज को थोड़ा और ठीक करें।
जतिन- सर ब्ल्यू बैच ...
सब एक साथ बोलते हैं, " प्रिया और प्रीति को "
जतिन- नहीं, सर सिर्फ डॉक्टर प्रीति को मिलता है।
आयुष- डॉक्टर गांधी, ब्रिलियंट जॉब। सब लोग डॉक्टर गांधी के लिए तालियां तो बजाएं।
सब प्रीति के लिए तालियां बजाते हैं। पर किसी को यह समझ नहीं आता कि प्रिया को कोई बैच क्यों नहीं मिला।
आयुष- जतिन, रिपोर्ट दिखाओ।
आयुष रिपोर्ट पढ़कर हैरान रह जाता है। पर वह इस समय इस बात को उठाना ठीक नहीं समझता।
आयुष- डॉक्टर कपूर, आपका बैच अभी ऑथोरिटी ने तय नहीं किया है। आपकी रिपोर्ट थोड़ा लेट गई थी। नो प्रोब्लम। कल तक आ जाएगी। आप सब जाएं अब और इंजॉय करें।
सब वहां से चले जाते हैं।
आयुष- ( शायना से पूछता है) ये सब क्या है? डॉक्टर कपूर को कोई भी बैच कैसे नहीं मिला?
शायना- ( लापरवाह अंदाज़ में बोली) मुझे नहीं मालूम कुमार। हो सकता है कि ऑथोरिटी को उनका काम पसंद नहीं आया होगा।
आयुष- कम ऑन शायना। तुम जानती हो कि यह सच नहीं है। सच यह है कि डॉक्टर कपूर के लिए तुम्हारी और मेरी रिपोर्ट में ज़मीन आसमान का अंतर है। ऐसा कैसे?
शायना- तुम्हारी अपनी जजमेंट है और मेरी अपनी। अलग-अलग हो सकती हैं।
आयुष- ( रिपोर्ट पढ़ते हुए) तुमने लिखा है कि डॉक्टर कपूर
ओ.पी.डी. में बच्चों को हेंडल नहीं कर पाती। ये ग़लत है।
शायना- मेरे साथ चार ओ.पी.डी. करीं उन्होंने। एक में भी वह सही से काम नहीं कर सकीं।
आयुष- तुम्हारे साथ चार बार ओ.पी.डी.? कैसे?
शायना- दो तो नॉर्मली होती हैं और दो किसी और की जगह की उन्होंने।
आयुष- पर ये रूल्स के खिलाफ है। मेरे साथ उनकी सिर्फ एक ओ.पी.डी. लगाई तुमने।
शायना- तो? क्या हुआ।
आयुष- हुआ ये कि मेरी एक रिपोर्ट और तुम्हारी चार रिपोर्ट और वो भी निगेटिव। ऑथोरिटी कंफ्यूज हो गई। और तुमने यह भी लिखा है कि वॉर्ड में उनके होते हुए डिसीप्लिन नहीं रहता?
शायना- हां, बहुत से पेरेंट्स मुझे कह चुके हैं। डॉक्टर कपूर बच्चों को बिगाड़ रही हैं।
आयुष- मुझे तो किसी ने नहीं कहा? और ये क्या लिखा है कि वह सारा दिन घूमती रहती हैं? कब देखा तुमने?
शायना- बहुत बार। काफी बार तो तुम्हारे कैबिन में देखा।
आयुष- ( गुस्से में) बस शायना। अब तुम लिमिट्स पार कर रही हो। अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को अलग - अलग रखो।
शायना- पर तुम तो मिक्स कर रहे हो। एक इंटर्न को बैच ना मिलने पर इतने लाल पीले हो रहे हो। क्योंकि तुम्हें उसमें इंट्रस्ट है।
आयुष- शायना, कितनी घटिया सोच है तुम्हारी। मैं इसलिए परेशान हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि डॉक्टर कपूर इज़ डिजर्विंग फॉर ए ब्ल्यू बैच। सिर्फ तुम उन्हें पसंद नहीं करती हो सिर्फ इसलिए मैं उनके साथ कोई अन्याय नहीं होने दूंगा। अब तुम देखो मैं क्या करता हूं।
यह कह कर आयुष कैबिन से बाहर चले जाता है।
उधर सब चिंता में हैं कि प्रिया को बैच क्यों नहीं मिला। तभी प्रिया सबके लिए कोल्ड ड्रिंक और पेस्ट्री लाती है।
प्रिया- कम ऑन। तुम सब ऐसे उदास मत बैठो। मिल जाएगा मुझे बैच। आओ इंजॉय करते हैं।
सब प्रिया की बात मान लेते हैं और पार्टी करने लगते हैं।
प्रिया कार पार्किंग में अपनी कार को स्टार्ट करने की कोशिश कर रही थी। पर कार स्टार्ट ही नहीं हो रही थी।
तभी आयुष वहां अपनी कार से गुज़र रहा था।
आयुष- डॉक्टर कपूर, क्या हुआ?
प्रिया- सर, कार स्टार्ट ही नहीं हो रही। आज का दिन ही खराब है।
आयुष- ( मुस्कुराते हुए) आइए मैं आपको घर छोड़ दूंगा।
प्रिया- नहीं सर, मैं ऑटो या कैब से चली जाऊंगी।
आयुष- ( हंसते हुए) तो मेरी कार को कैब समझ लीजिए और मुझे ड्राइवर। आइए प्लीज़।
प्रिया- थैंक्स सर।
प्रिया आयुष की कार में बैठ जाती है। दोनों हॉस्पिटल से बाहर निकल जाते हैं। प्रिया बिल्कुल खामोश बैठी थी। उसके मन में बहुत से सवाल चल रहे थे।
आयुष- क्या हुआ? आप बहुत अपसेट हैं आज।
प्रिया- सर, मेरी रिपोर्ट इसलिए नहीं आई ना क्योंकि मैंने प्रोटोकॉल तोड़ा था।
आयुष प्रिया को सच्चाई नहीं बताना चाहता था।
आयुष- डॉक्टर कपूर, ऐसा कुछ नहीं है। ट्रस्ट मी। एक दो दिन में आपकी रिपोर्ट और बैच आ जाएगा।
प्रिया- पर सर, आज आते तो अच्छा लगता। सब के साथ इंजॉय करने का मज़ा अलग होता।
आयुष- मैं समझ सकता हूं। आपका मूड बहुत खराब है।वैसे मूड फ्रेश करने का एक तरीका है मेरे पास।
प्रिया- सच में। फिर बताइए। मुझे बहुत ज़रूरत है।
आयुष- उसके लिए आपको मेरे साथ चलना पड़ेगा। यकीन मानिए बहुत ही सुंदर जगह है। चलेंगी मेरे साथ।
प्रिया- ( कुछ सोच कर बोली) ठीक है सर, चलिए।
क्रमशः
आस्था सिंघल