प्रिया के घर पर सब बैठकर रात की पार्टी की प्लेनिंग कर रहे थे।
मिस्टर कपूर (प्रिया के पापा) - ऐसा है कि आप लोग बेकार ही यह सब कर रहे हैं। बेकार का खर्चा है।
प्रिया- आ गये आप अपने असली कंजूस वाले रंग में। पापा आपका पचासवां जन्मदिन है। कुछ तो खर्चा करो।
मिस्टर कपूर- लो भाई, अब पचास का होना भी गुनाह हो गया।
प्रिया उनसे रूठ कर बैठ जाती है।
मिस्टर कपूर- अरे! मेरी परी। तेरे लिए तो जान हाज़िर है। मैं तो मज़ाक कर रहा था। बोल कहां चलना है।
नेहा- अंकल वो प्रिया ने तय कर लिया है। आपको बस तैयार होना है।
जया(प्रिया की मां) - और क्या! आप तैयार हो जाइए। आज रात को बारह बजे केक कटेगा।
मिस्टर कपूर- पर कहां?
प्रिया-( मिस्टर कपूर के गले लगते हुए) शॉपिंग मॉल में जो नया रेस्टोरेंट खुला है वहां।
जया- तो फिर तैयार हो जाओ सब। नेहा तेरे पापा - मम्मी सीधे वहीं आएंगे।
नेहा - जी आंटी।
प्रिया और नेहा तैयार होने रूम में चली जाती हैं। नेहा प्रिया को तैयार होने में मदद करती है। तभी प्रिया के फोन की घंटी बजती है।
प्रिया- ( फोन को देखते हुए) डॉक्टर कुमार का फोन आ रहा है। इन्हें क्या हो गया?
वह जैसे ही फोन उठाती है उधर से डॉक्टर आयुष के चिल्लाने की आवाज़ आती है।
आयुष- डॉक्टर कपूर, आप इसी वक्त हॉस्पिटल आइए। आप मुझे आधे घंटे में यहां चाहिएं। इट्स माई ऑर्डर।
प्रिया कुछ बोल पाती इससे पहले डॉक्टर आयुष ने फोन काट दिया।
नेहा- कितना चिल्ला रहे थे डॉक्टर कुमार! क्या हुआ है?
प्रिया- पता नहीं। बस कहा आधे घंटे में हॉस्पिटल आओ। इट्स माई ऑर्डर..... मिस्टर हिटलर।
प्रिया बाहर जाकर अपने माता-पिता को सब कुछ बताती है। वह मायूस हो जाती है कि पार्टी कैंसल करनी पड़ेगी।
मिस्टर कपूर- बेटा तू एक डॉक्टर है। और डॉक्टर की लाइफ़ में एमरजेंसी कभी भी आ सकती है। तू जा जन्मदिन कल मना लेंगे।
प्रिया गाड़ी लेकर हॉस्पिटल पहुंचती है। नेहा भी उसके साथ आती है। वह दोनों भागते हुए डॉक्टर आयुष के कमरे की तरफ बढ़ रहे होते हैं कि वह डॉक्टर जतिन से टकरा जाते हैं।
जतिन- क्या बात है डॉक्टर कपूर । आज तो आप चमक रहीं हैं। वैसे जानकारी के लिए बता दूं कि शायद आप जिस पार्टी के लिए इतना तैयार होकर जा रही थीं वह यहां नहीं कहीं और है। आप गलती से यहां आ गई शायद।
प्रिया- ( थोड़ा परेशान होते हुए) डॉक्टर जतिन, गलती से नहीं आई हूं। सर ने बुलाया है। आप जानते हैं कि क्यों बुलाया है?
जतिन- ( थोड़ा घबराते हुए) ओह!तो वो आप हैं? आज आप रिया को उसकी अस्थमा की दवाई देना भूल गयीं थी शायद। उसको अटैक हुआ अस्थमा का।
प्रिया कुछ बोल पाती इतने में डॉक्टर आयुष वहां आता है।
प्रिया ने हॉस्पिटल आने से पहले अपनी पार्टी ड्रेस चेंज नहीं करी थी। आयुष उसे एक पल के लिए देखता है। फिर गुस्से में बोलता है।
आयुष- पांच मिनट में मुंह धोकर मेरे कैबिन में आइए। डॉक्टर जतिन आप घर जा सकते हैं अब।
यह कहकर आयुष गुस्से में वहां से चला जाता है।
नेहा- ( परेशान होते हुए) प्रिया, तू मिल आ मैं तेरा यहीं इंतज़ार करती हूं।
प्रिया- नहीं नेहा, तू जा मुझे देर लगेगी। पर तू जाएगी कैसे? गाड़ी तो तुझे आती नहीं चलानी। ड्राइवर भी आज नहीं है।
जतिन- अगर तुम्हें ठीक लगे तो मैं छोड़ दूं इन्हें?
प्रिया- हां, यह ठीक रहेगा। डॉक्टर जतिन आप मेरी कार ले जाइए। और नेहा को घर छोड़ दीजिए। आप चाहें तो कार अपने घर भी ले जा सकते हैं।
जतिन- डॉक्टर कपूर, मेरे पास बाइक है। उससे....
प्रिया- ( जतिन को बीच में टोकते हुए) नहीं, बाइक नहीं। नेहा के पापा ने देख लिया तो मुसीबत हो जायेगी। आप प्लीज़ मेरी कार ले जाइए।
जतिन- (मुस्कुराते हुए) ठीक है। मैं अभी आता हूं।
नेहा- यार! मैं कैसे इनके साथ जाऊंगी। मैं तो जानती ही नहीं।
प्रिया- डॉक्टर जतिन बहुत ही अच्छे इंसान हैं। कोई प्रोब्लम नही होगी तुझे। जा अब।
प्रिया मुंह धोकर डॉक्टर आयुष के कैबिन में जाती है।
आयुष- ( चिल्ला कर बोला) डॉक्टर कपूर, आपने रिया को अस्थमा की दवाई दी थी कि नहीं।
प्रिया- सर, आप मेरी बात तो सुनिए।
आयुष- ( टेबल पर अपना हाथ मारते हुए) येस और नो।
प्रिया- ( डरती हुई आवाज़ में बोली) नो..सर।
आयुष- डॉक्टर कपूर, आपने आज मुझे बहुत चोट पहुंचाई है। जानती हैं आप वो पहली इंटर्न हैं जिसकी मैंने सबके सामने इतनी तारीफ़ करी। पर शायद आप इस तारीफ़ के काबिल ही नहीं हैं। मेरी पहली राय ही ठीक थी आपके बारे में। आप एक लापरवाह डॉक्टर हैं। कैसे भूल सकती हैं आप मरीज़ को दवाई देना? मैंने पहले ही कहा था कि हमारे इस प्रोफेशन में गलतियों की कोई गुंजाइश नहीं है। एक बात ध्यान रखिएगा डॉक्टर कपूर अगर आज रिया को कुछ हो गया तो ये आपके मेडिकल प्रोफेशन का आखिरी दिन होगा।
प्रिया की आंखों में आंसू थे । आज आयुष का एक अलग चेहरा उसके सामने था। आयुष कुछ सुनने को तैयार नहीं था पर प्रिया चीखते हुए बोली।
प्रिया- सर, आपको क्या लगता है कि मैं इतनी लापरवाह हो सकती हूं। रिया की इस मेडिसिन की आखिरी दो डोज़ जब बचीं थी तब ही मैंने डॉक्टर शायना को बता दिया था। आज जब रिया की दवाई नहीं थी तो मैंने डॉक्टर शायना को इंफोर्म किया था। उन्होंने मुझे यह कहा कि कुछ ही देर में डिस्ट्रीब्यूटर आकर सारी दवाइयां दे जाएगा। और वह खुद रिया को दवा दे देंगी। क्योंकि उन्होंने यह ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली इसलिए मैं घर आ गई। अगर मुझे पता होता सर, तो मैं खुद केमिस्ट शॉप से रिया को दवा लाकर देती।
आयुष आश्चर्य से प्रिया को देख रहा था। उसे विश्वास नहीं हुआ कि शायना से इतनी बड़ी लापरवाही हो सकती है।
प्रिया- सर, मुझे पता है कि आप मुझे लापरवाह और गैर- ज़िम्मेदार समझते हैं। पर मुझे भी अपने प्रोफेशन से और अपने मरीजों से उतना ही लगाव है जितना आपको। आपने सोचा भी कैसे कि मैं इतनी बड़ी गलती कर सकती हूं। गलतियां औरों से भी हो सकती हैं। बिना मेरी बात सुने आपने मुझ पर इतना बड़ा इल्ज़ाम लगा दिया।
आयुष अब भी चुपचाप प्रिया को सुन रह था। उसको एहसास था कि गलती उसकी थी। उसे पहले प्रिया की बात सुन लेनी चाहिए थी। प्रिया ने आयुष को बोलने का मौका ही नहीं दिया और कैबिन से बाहर आ गई।
आयुष- ( शायना को फोन करता है) शायना, आज डॉक्टर कपूर ने जब तुम्हें बताया था कि रिया की दवाई खत्म हो गई तब तुमने डिस्ट्रीब्यूटर से दवा क्यों नहीं मंगवाई।
शायना- क्या हुआ कुमार? इतना अपसेट क्यों लग रहे हो?
आयुष- रिया को समय पर दवाई नहीं मिली शायना। उसको अस्थमा अटैक आ गया।
शायना- क्या? पर कुमार, मैंने उसी समय डिस्ट्रीब्यूटर को फोन किया था। उसने कहा था कि वह रात आठ बजे से पहले दवाई पहुंचा देगा। मुझे ज़रूरी काम था तो मैंने रिसेप्शन पर और नर्स को, दोनों को कह दिया था कि दवाई आते ही रिया को दे दें।
आयुष- एक बार दुबारा चैक तो करना चाहिए था?
शायना- मुझे ख्याल नहीं रहा। और फिर हॉस्पिटल से फोन भी नहीं आया तो ऐसी कोई बात भी ध्यान में नहीं आई। मैं अभी हॉस्पिटल आती हूं।
आयुष- नहीं, अब कोई ज़रूरत नहीं है। रिया खतरे से बाहर है।
यह कह कर आयुष ने फोन रख दिया। पर वह आज कितनी बुरी तरह प्रिया पर चिल्लाया इस बात का उसे अफसोस था। गलती उसकी थी तो माफी भी उसको मांगनी चाहिए। यह सोच वह उठ प्रिया को ढूंढने कैबिन से बाहर चला गया।
प्रिया आई. सी .यू में रिया के बेड के पास बैठी थी। आयुष प्रिया को इशारे से बाहर चलने को कहता है। प्रिया उसकी बात को नज़रंदाज़ कर देती है।
आयुष- डॉक्टर कपूर, इट्स माई ऑर्डर। कम आउट प्लीज़।
प्रिया गुस्से से बाहर आती है। और आयुष के पास आकर खड़ी हो जाती है।
आयुष- डॉक्टर कपूर, आए एम सॉरी। आज बहुत बड़ी गलतफहमी हो गई। गलती डिस्ट्रीब्यूटर की थी। उसने समय पर दवाइयों का स्टॉक नहीं भेजा। इट वॉज़ नॉट योर फॉल्ट।
प्रिया- ( आयुष से अभी भी नाराज़ थी) सर, आपको मेरी बात एक बार सुननी तो चाहिए थी।
आयुष- सॉरी, मैं इतने गुस्से में था कि कुछ सूझा ही नहीं।
प्रिया आयुष से बिना बात किए चुप चाप खड़ी रही।
आयुष-( कान पकड़ कर खड़ा हो गया) अब तो माफ़ कर दीजिए डॉक्टर कपूर। मैं जानता हूं आज मैं बहुत ज़्यादा ही बोल गया। पर मैं गुस्से में था।
प्रिया-(आयुष की इस हरकत पर हंस दी) इट्स ऑल राइट सर। मैं समझ सकती हूं। शायद, मैं भी ऐसे ही रिएक्ट करती।
आयुष- वैसे आप आज शायद किसी पार्टी में जा रहीं थीं? आपके कपड़ों से ऐसा लग रहा है।
प्रिया- सर, कल पापा का बर्थडे है। तो हमने सोचा था कि आज रात बारह बजे रेस्टोरेंट में केक काट कर सैलिब्रेट करेंगे। पर अब प्लैन कैंसल हो गया।
आयुष- ( अपनी घड़ी देखते हुए) अभी ग्यारह ही बजे हैं। आप घर जाइए एंड सैलिब्रेट।
प्रिया- कोई नहीं सर, मैं कल सुबह चली जाऊंगी। वो मेरी कार डॉक्टर जतिन लेकर गये हैं।
आयुष- ( हैरान होकर पूछता है) जतिन? क्यों?
प्रिया- सर, मेरे साथ मेरी सहेली नेहा आई थी। तो मैंने ही डॉक्टर जतिन से रिक्वेस्ट की थी कि वह उसे मेरी गाड़ी में घर छोड़ दें। नेहा को ड्राइविंग नहीं आती। तो अब कार नहीं है तो मैं कैसे....
आयुष- ( प्रिया को बीच में टोकते हुए) देट्स नॉट ए प्रोब्लम। मैं छोड़ दूंगा। और आपके पापा से माफी भी मांगनी है कि मेरी वजह से उनकी पार्टी खराब हो गई।
आयुष और प्रिया घर के लिए निकल जाते हैं। दोनों, प्रिया के घर पहुंचते हैं तो वहां कमला ताई ने हंगामा खड़ा कर रखा था।
कमला ताई - सब यहां आराम से बैठकर चाय पी रहे हैं। कोई पूछेगा कि मेरे बिटिया वहां कैसी है। भागती हुई गई थी। क्यों बुलाया था उस कम्बखत ने? कोई बताएगा।
मिस्टर कपूर - ( कमला ताई को और परेशान करते हुए बोले) कमला, हमारी बिटिया शेरनी है। उस शेर के पिंजरे से झट से निकल आएगी।
कमला ताई - हे भगवान! उस कम्बखत ने उसे पिंजरे में कैद कर रखा है क्या? अरे! हम कहते हैं हमें वहां ले चलो। उसको उठा के पटक देंगे।
आयुष और प्रिया यह सब सुन रहे थे। आयुष के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी।
प्रिया- ( धीरे से आयुष से बोली) सॉरी सर, कमला ताई ऐसी ही हैं। ( फिर उसने ज़ोर से मिस्टर कपूर को आवाज़ लगाई) पापा, मैं आ गई....और साथ में देखें.....
मिस्टर कपूर- ( प्रिया की बात को बीच में ही काटते हुए) ये लो कमला आ गई तुम्हारी लाड़ली। शेर का पिंजरा तोड़ कर।
प्रिया- ( अपने पापा को चुप कराने की कोशिश करती हुई) पापा, देखें कौन आए हैं। डॉक्टर कुमार!
मिस्टर कपूर- ( आयुष की तरफ हाथ बढ़ाते हुए) डॉक्टर कुमार! आईए। बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर। माफ कीजिएगा अभी चंद मिनटों पहले आपकी कुछ ख़ास ही तारीफ हो रही थी। मैं उम्मीद करता हूं आपको बुरा तो नहीं लगा होगा।
आयुष- ( मिस्टर कपूर से हाथ मिलाते हुए) सर, बिल्कुल बुरा नहीं लगा। ऐसी तारीफों की तो मुझे आदत है। ( आयुष प्रिया को देखते हुए बोलता है)
जया- आईए डॉक्टर कुमार, प्लीज़ बैठिए। यह तो कमला ताई और विनय कि आपस की नोंक-झोंक रोज़ चलती रहती है।
कमला ताई आयुष से कुछ बोलने ही वाली थी कि प्रिया उनको खींच कर अंदर ले जाती है।
कमला ताई- अरे! अंदर क्यों लाईं। आज हम उसकी सारी डॉक्टरी उतार देते।
प्रिया- ओह! कमला ताई! आप चाए बनाओ प्लीज़।
प्रिया जल्दी से नेहा को फोन करके बुला लेती है। फिर बाहर आ जाती है।
मिस्टर कपूर- डॉक्टर कुमार, आज प्रिया से क्या कुछ ग़लती हो गई?
आयुष- नहीं सर, दरअसल, कुछ ग़लत फहमी हो गई थी।
( फिर आयुष उनको सारी बात बताता है) मैंने बेवजह ही डॉक्टर कपूर को बहुत कुछ कह दिया। जबकि इनकी कोई ग़लती ही नहीं थी।
जया- नो प्रोब्लम डॉक्टर कुमार, आप अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। मैं तो बल्कि यह कहूंगी कि आप बहुत ही ज़िम्मेदार डॉक्टर हैं। वरना आजकल कौन मरीज़ के बारे में इतना सोचता है।
मिस्टर कपूर- बिल्कुल सही। मुझे खुशी है कि प्रिया आपके अंडर काम कर रही है। बहुत कुछ सीखेगी आपसे।
आयुष- सर, मेरी वजह से आपकी पार्टी कैंसल हो गई। उसके लिए माफी चाहता हूं। वैसे आपको आपके जन्मदिन की बधाई। ( आयुष मिस्टर कपूर से हाथ मिलाते हुए उनको बधाई देता है)
मिस्टर कपूर- थैंक्स डॉक्टर कुमार, और ये सर मत बुलाइए। अंकल ज़्यादा अच्छा लगता है। इससे अपनापन बढ़ता है।
आयुष- तो फिर आप भी मुझे डॉक्टर कुमार मत बुलाइए। आयुष बुलाएं। अच्छी फीलिंग आती है। और कम से कम अपना नाम सुनने को तो मिलेगा। वरना मैं तो अपना नाम ही भूल गया था।
सब हंस पड़ते हैं। तभी नेहा वहां आ जाती है।
प्रिया- सर, ये मेरी बचपन की दोस्त नेहा है। अभी हॉस्पिटल आई थी मेरे साथ।
आयुष-( हाथ बढ़ाते हुए) हैलो नेहा। आई एम सॉरी। उस वक्त आपको देखा नहीं।
नेहा- नो प्रोब्लम डॉक्टर कुमार। मैं समझ सकती हूं, उस वक्त सिचूएशन ही कुछ ऐसी थी।
आयुष- आई हॉप, डॉक्टर जतिन ने आपको सही से घर छोड़ दिया था।
नेहा- ( प्रिया की तरफ देखते हुए) जी, बिल्कुल सही से छोड़ दिया था।
आयुष- अंकल, अब मैं इजाज़त चाहूंगा।
मिस्टर कपूर- अरे! ऐसे कैसे आयुष। बारह बजने में पांच मिनट ही हैं। केक कटने तक इंतज़ार करो।
आयुष- अंकल, लेट हो रहा है। मैं फिर कभी आऊंगा। आप एन्जॉय कीजिए।
मिस्टर कपूर- आपके बिना आज हम एन्जॉय नहीं करेंगे। आज हमारा जन्मदिन है और बर्थडे बॉय की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
आयुष- ( ज़ोर से हंसते हुए) ठीक है अंकल। आपकी इच्छा सर आंखों पर।
नेहा और प्रिया केक लेने किचन में जाते हैं।
नेहा- यार! ये तो बिल्कुल खडूस नहीं हैं?
प्रिया- तू हॉस्पिटल में मिल इनको। तुझे पता चलेगा।
नेहा- ( अपना गला साफ करते हुए) वैसे, डॉक्टर कुमार ऐसे ही आ गये आज? कोई और बात है क्या।
प्रिया-( चिढ़ते हुए बोली) अरे! और क्या बात होगी? मेरे पास कार नहीं थी तो उन्होंने मुझे लिफ्ट दे दी और क्या!
वह दोनों केक को सज़ा कर बाहर लाती हैं। फिर मिस्टर कपूर केक काटते हैं और सब केक खाते हैं।
आयुष- तो नेहा आप क्या करतीं हैं? आप भी डॉक्टर हैं?
नेहा- नहीं सर, मैंने आर्कीटेक्ट का कोर्स किया है। और अभी इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स भी कर रही हूं।
आयुष- बहुत बढ़िया। वैसे बाहर के गार्डन की डिजाइनिंग आपने की है?
नेहा- आपको कैसे पता?
आयुष- आप बुद्धा को फॉलो करतीं हैं शायद।
नेहा-( आश्चर्य से) जी हां! पर आपको....
आयुष- ( नेहा की शर्ट की तरफ इशारा करते हुए) आपकी शर्ट और बाहर बुद्धा की बड़ी सी मूर्ति से अंदाज़ा लगाया।
मिस्टर कपूर- वाह! आयुष मानना पड़ेगा। आपमें लोगों को पहचानने की गज़ब की क्वालिटी है।
आयुष- (गंभीर स्वर में बोलता है) बस अंकल, यहीं थोड़ा धोखा खा जाता हूं। लोगों के प्रोफेशन को पहचान सकता हूं। लोगों को नहीं।( वह चाए का कप टेबल पर रख कर उठता है) अंकल - आंटी अब इजाज़त दीजिए। मुझे वापस हॉस्पिटल जाना है। आप सब से मिलकर बहुत अच्छा लगा।
जया- हमें भी बहुत अच्छा लगा। आते रहा करो।
प्रिया आयुष को बाहर तक छोड़ने आती है।
प्रिया- थैंक्स सर।
आयुष- थैंक्स? किसलिए।
प्रिया- आप मुझे छोड़ने आए, पापा के ज़ोर देने पर सेलिब्रेशन के लिए रुके। इसलिए थैंक्स।
आयुष- थैंक्स तो मुझे कहना चाहिए आपका। आपने अपनी स्वीट सी फैमली से मुझे मिलवाया।
प्रिया- फैमली तो सब की स्वीट होती है।
आयुष- ( कार का दरवाज़ा खोलते हुए) नहीं डॉक्टर कपूर, बहुत से लोग ऐसे होते हैं इस दुनिया में जिनकी फैमिली ही नहीं होती। यू ऑर वेरी लकी।
यह कह आयुष कार में बैठ चला जाता है। प्रिया रात भर उसकी बात को सोचती रहती है। आखिर ऐसा क्यों कहा डॉक्टर कुमार ने? यह सवाल उसको परेशान कर रहा था।
क्रमशः
आस्था सिंघल