shabd-logo

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 15

28 मई 2022

33 बार देखा गया 33
जतिन और नेहा, प्रिया को उसके घर से गाड़ी में लेकर जाने के लिए आते हैं। 

प्रिया- पर जाना कहां है? ये तो बताओ? 

नेहा- प्रिया, बिना सवाल पूछे चल ले बहन।

प्रिया- लेकिन.... ऐसे कैसे? 

जतिन और नेहा दोनों प्रिया को कार में खींच कर बैठा देते हैं। घर से थोड़ी दूर आने पर जतिन गाड़ी रोकता है। 

जतिन- प्रिया, आज की एक गलती माफ कर देना प्लीज़। तुम्हें दोस्ती का वास्ता।

प्रिया- कौन सी गलती डॉक्टर जतिन?

जतिन-(कार से उतरते हुए बोला) जो मैं अब करने जा रहा हूं।

जतिन ने पीछे वाली सीट का दरवाज़ा खोला और प्रिया की आंखों पर कस के पट्टी बांध दी। और हाथ भी बांध दिए। 
नेहा कान पकड़कर आगे बैठी थी। 

नेहा- माफ़ी बहन, माफ़ी।

प्रिया- ( चिल्लाती हुई बोली) तुम दोनों को हुआ क्या है?ये मेरी आंखों पर पट्टी क्यों बांधी?

नेहा- ताकि तुझे दिखे ना कि हम तुझे कहां ले जा रहे हैं। 

प्रिया- क्यों ? क्यों ना देखूं। 

जतिन-( वापस कार में बैठते हुए बोला) प्रिया हम अभी कुछ नहीं बता सकते। बस ये समझ लो कि हम जो कर रहे हैं दोस्ती की खातिर कर रहे हैं। 

नेहा- और तुम्हें आयुष की कसम जो ज़रा सी भी आवाज़ की तो।

प्रिया- वैसे... मैं...कसम में मानती नहीं हूं। पर ठीक है। डॉक्टर जतिन, मैं छोड़ूंगी नहीं आपको। रिवैंज लेकर रहूंगी।

जतिन- ( नेहा के कानों में कहता है) ये दोनों डॉक्टर- डॉक्टरनी मुझे आज मार कर ही दम लेंगे। इरादे ठीक नहीं हैं इनके। एक मुझसे रिवैंज लेगी और एक मेरा ऐसा हाल करेगा कि तुम मुझसे शादी से इंकार कर दोगी। बहुत बड़ी गलती हो गई जो तुम्हें गुलाब देकर प्रपोज कर दिया। लाओ वापस।

नेहा- क्या? क्या वापस दूं। 

जतिन - मेरा गुलाब और क्या? 

नेहा- चुपचाप गाड़ी चलाओ नहीं तो गुलाब नहीं कांटे मिलेंगे आपको।

प्रिया- ये तुम दोनों इतनी देर से क्या बातें कर रहे हो। एक तो कुछ दिख नहीं रहा और‌ लगता है कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा।

नेहा - हे भगवान! तुमको हियरिंग लॉस हो गया क्या?

प्रिया- ओ! आधी अधूरी डॉक्टर। अपने डॉक्टर को बोल जल्दी चलाएं। 

कुछ समय बाद वह सब मंज़िल तक पहुंच गए। जतिन और नेहा, प्रिया को गाड़ी से उतारते हैं। 

प्रिया- अब तो आंखें खोल दो।

नेहा- बस दो मिनट और रुक जा। 

तभी आयुष वहां आता है। वह दोनों से इशारों में बातें करता है। और प्रिया को अंदर लाने को कहता है।

प्रिया- ( हैरान होकर बोली) नेहा! आयुष हैं यहां पर? 

नेहा- (घबराते हुए) न...नहीं, डॉक्टर आयुष यहां क्यों आएंगे?

प्रिया- नेहा आयुष के परफ्यूम की खुशबु आ रही थी। 

तीनों अपना सिर पीट लेते हैं। जतिन भाग कर आयुष के पास जाता है।

जतिन- सर, बहुत ख़तरनाक लड़की है। अरे! परफ्यूम की खुशबु पहचान लेती है। सर, अभी भी मौका है सोच लो।

आयुष- ( जतिन के कान में फुसफुसाते हुए) अब तो सोच लिया। चल जल्दी अंदर ले कर आ।

जतिन और नेहा प्रिया को एक बड़े से हॉल में लेकर आते हैैं। वहां चारों तरफ गुलाब की खुशबू महक रही थी। नेहा प्रिया की आंखों की पट्टी खोलती है। प्रिया कुछ देर अपनी आंखें मलती है और फिर नज़रें उठा कर देखती है।‌

धीरे- धीरे उस कमरे में रौशनी होने लगती है। चारों तरफ दिल के आकार वाले गुब्बारे लटके थे। हर तरफ सुंदर रौशनी से सारा हॉल जगमगा रहा था। गुलाब के फूलों से हॉल का हर कोना महक रहा था। 

तभी सारी लाइट्स जल उठती हैं। और उसे अचानक एक शोर सुनाई देता है। 'हैप्पी वेलेंटाइन डे प्रिया दीदी'।

प्रिया, चौंक जाती है। आश्रम के सब बच्चे वहां थे। साथ ही नेहा, जतिन और आदिल भी थे।

प्रिया- डॉक्टर आदिल, ये सब क्या है? 

आदिल-( एक स्टेज की तरफ इशारा करता है) वहां देखो।

प्रिया स्टेज की तरफ देखती है। स्टेज पर एक बहुत बड़ा सा दिल बना था। उस दिल पर बहुत रंगीन अक्षरों में लिखा था
' टू प्रिया विद लव - आयुष' 

तभी कंचन प्रिया के पास आती है। 

कंचन- दीदी, हैरान मत होइए। यह तो सिर्फ शुरुआत है। 

प्रिया हैरानी से कंचन को देखती है। तभी सारी लाइट्स बंद हो जाती हैं। और सिर्फ स्टेज पर लाइट रहती है। 

प्रिया को उस बड़े से दिल के पीछे से एक बहुत ही सुंदर गिटार की धुन सुनाई पड़ती है। प्रिया उस धुन की तरफ खिंची चली जाती है। तभी एक लाइट का फोकस उसपर होता है। 

उस हॉल में सिर्फ प्रिया, वो स्टेज और वो धुन सुनाई पड़ रही थी। तभी उस दिल के पीछे से आयुष अपने हाथों में गिटार पकड़े और वह धुन बजाते हुए निकलता है। पास ही ऑर्केस्ट्रा वाले खड़े होकर उसकी गिटार की धुन के साथ अपनी सुरीली सी धुन दे रहे थे।

प्रिया आयुष को देख हैरान हो जाती है।

आयुष- प्रिया, ये गाना सिर्फ तुम्हारे लिए।

आयुष गिटार बजाते हुए एक गाना गाता है।


चले ना ज़ोर इश्क पे,
फिर क्यों हम दूर इश्क से,
क्यों बन गये हम तेरे तू ही बता।
देखूं तुझे ही हर जगह,
मानूं तुझे ही मैं खुदा,
कैसे कहूं तुझे बता
तू ही तो है मेरा जहां।

क्यों होता है ये प्यार में,
चाहे जिसे वही जुदा,
होता यही क्यों है हर दफा।
रहे तू ही दुआओं में,
फिर क्यों नहीं है बांहों में
तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।

(आयुष अपनी बाहों को फैला प्रिया को इशारे से बुलाया है। प्रिया भाग कर आयुष की बाहों में समा जाती है। आयुष प्रिया को अपने साथ नाचने को कहता है। प्रिया अपना हाथ आयुष के हाथों में दे देती है। आयुष उसे अपनी बाहों में भर धीरे-धीरे डांस करते हुए गाता है)

मांगी है बस यही दुआ,
मिले तू ही मुझे सदा,
तू ही तो है मेरी वफ़ा।
आ जा तुझे मेरी कसम,
तू ही तो है मेरा सनम
तू ही मेरे दिल का सुकून।

चले ना ज़ोर इश्क पे,
फिर क्यों हम दूर इश्क से,
क्यों बन गये हम तेरे तू ही बता।

गाना खत्म होता है तो पूरे हॉल में रौशनी हो जाती है। सब आयुष और प्रिया के लिए तालियां बजाने लगते हैं। प्रिया शर्मा जाती है। आयुष उसे फिर से अपनी बाहों में भर लेता है। 

आयुष- प्रिया, आई....

प्रिया- ( आयुष के होंठों पर अपने हाथ रख देती है) कुछ शब्द अनकहे ही रहें तो ही अच्छा है। आपने जो कहना था वो तो मैं पहले ही सुन चुकी हूं। 

आयुष- (हैरान होते हुए बोला) कल तक तो कह रहीं थीं कि ऑफिशियली प्रपोज नहीं किया। अब कह रही हो कि मेरे दिल की बात पहले ही सुन ली। कमाल हो तुम। 

प्रिया- (हंसते हुए आयुष के गले लग जाती है) ऐसी ही हूं मैं।

प्रेरणा- क्या दीदी, ये ग़लत है। हमें भी प्रपोजल सुनना है। कहने दो ना भाई को। 

प्रिया- ( शर्माते हुए बोली) बिल्कुल नहीं। 

आयुष- औरतों को कोई आज तक समझ नहीं पाया है। दिमाग में कुछ चलता है, दिल कुछ और चाहता है और ज़ुबान कुछ और कहती है। 

प्रिया- जी बिल्कुल नहीं। हमारे दिमाग में जो चलता है वही दिल चाहता है और उसी को ज़ुबान बयां करती है। 

आयुष- चलें आप सब अब पार्टी एंजॉय करें। ऑर्केस्ट्रा म्यूजिक बजाएं। 

सब बच्चे प्रिया और आयुष के साथ म्यूजिक पर डांस करने लगते हैं। काफी देर डांस के बाद आयुष चुपके से प्रिया को सबसे दूर बाहर ले जाता है।

प्रिया- आयुष कहां ले जा रहे हैं। 

आयुष- ( एक कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए बोला) तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं।

आयुष उसे उस कमरे में ले जाता है। 

प्रिया- ( उस कमरे को अनुभव करते हुए बोली) आयुष ये आपका कमरा है क्या?

आयुष- ( हैरान होकर पूछता है) हां, पर तुमने कैसे पहचाना?

प्रिया- बस अंदर घुसते ही आपका एहसास होने लगा। 

आयुष- ( हंसते हुए) बाप रे! तुमसे बचकर रहना पड़ेगा। तुम इस प्रोफेशन में क्यों हो। तुम्हें तो रॉ एजेंट होना चाहिए था। 

प्रिया- ( आयुष के गले में बाहें डालते हुए बोली) हां, बात तो ठीक है पर फिर आपसे कैसे मिलती डॉक्टर आयुष कुमार।

आयुष- मैडम, आपको हम कहीं से भी ढूंढ लेते।

प्रिया नज़र घुमा कर आयुष का कमरा देखती है। एक दीवार पर बहुत सारे मेडल्स लटके थे। बहुत सारे सर्टिफिकिट को फ्रेम करके बहुत कायदे से लगा रखा था।
सामने एक छोटी सी अलमारी थी। उसपर बहुत सारी तस्वीरें सजा रखीं थीं। उन तस्वीरों में बहुत सी आयुष और आश्रम के बच्चों की थीं, कुछ आयुष और उसके दोस्तों की थी। खिड़की पर एक बहुत ही सुंदर आवाज़ करने वाला विंड चाइम लटका था। 

प्रिया- आपका ये कमरा कितनी सादगी से भरा है आयुष। 

आयुष- तुम्हें अपने आप से मिलवाने लाया हूं प्रिया। ये मैं हूं। प्रिया तुम्हें कुछ बताऊं। तुम मानती हो ना कि हर इंसान का एक अतीत हो सकता है। अगर मेरा...मतलब ... कोई अतीत हो तो।

प्रिया- अगर है भी तो मुझे नहीं सुनना।

आयुष- प्रिया पर...एक बार सुन तो लो।

प्रिया- ( आयुष के होंठों पर अपने हाथ रख उसको चुप कराते हुए बोली) शशशशश... बहुत बोलते हैं आप। आयुष मुझे आपके अतीत से कोई मतलब नहीं है। और ना ही आपको मेरे अतीत से होना चाहिए। जो बीत गया उसे बीत जाने दीजिए। हम दोनों मिलकर अपना आज और अपना भविष्य बनाएंगे।

आयुष एकटक प्रिया को देखते रहा। उसकी आंखें नम हो गईं। तभी श्रीधर बाबा ने दरवाज़े पर दस्तक दी। 

आयुष- बाबा आप, आइए ना अंदर।

प्रिया और आयुष ने तुरंत बाबा के पांव छुए।

बाबा- ( प्रिया के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले) बेटी, हमेशा मेरे आयुष की ज़िंदगी में फूलों की तरह महकती रहना।

आयुष- देखा, बेटी के आते ही बेटे को भूल गए ना आप। मुझे कोई आशीर्वाद नहीं दिया।

बाबा- तेरे हिस्से का सारा आशीर्वाद अब प्रिया को मिलेगा।

प्रिया ने आयुष को चिढ़ाते हुए जीभ निकाली और बाबा के गले लग गई।

बाबा- आयुष-प्रिया, तुम्हारे आज इस खास दिन को और भी खास बनाना चाहता हूं। एक सर्प्राइज़ है तुम दोनों के लिए।

आयुष- क्या सर्प्राइज़ है बाबा?

तभी आदिल, जतिन और नेहा प्रिया के मां - पापा को कमरे में लाते हैं। प्रिया हैरान हो जाती है। 

बाबा- आयुष, प्रिया की परिवार को भी सब पता होना ज़रूरी है। और तेरी तरफ से ये काम मैं न नहीं करूंगा तो कौन करेगा?

आयुष आगे बढ़ कर मिस्टर कपूर और जया के पांव छूता है। 

जया- आयुष, तुमसे अच्छा जीवन साथी प्रिया को मिल ही नहीं सकता।

मिस्टर कपूर- (हंसते हुए) और क्या! आयुष तुम ही हो जो इसे सुधार सकते हो। 

आयुष- (प्रिया की तरफ देखते हुए बोला) अंकल, मुझे तो लगता है कि मैं इन्हें क्या सुधारूंगा बल्कि, ये मुझे बिगाड़ देंगी।

प्रिया आयुष को गुस्से से देखती है। फिर अपने माता-पिता के गले लग जाती है।

मिस्टर कपूर- आयुष, तुम दोनों मेच्योर हो। अपने फैसले खुद ले सकते हो। जब तुम दोनों को लगे कि अब तुम तैयार हो एक रिश्ते में बंधने के लिए हमें बता देना। हम तो तैयार हैं।

आदिल, नेहा और जतिन तालियां बजाते हैं।

आयुष- अंकल, दिल का रिश्ता तो कब का बंध गया है। रही बात ऑफिशियली डिक्लेयर करने की तो यह मैं प्रिया पर छोड़ता हूं। (आयुष हंसते हुए प्रिया को देखता है) अंकल, आपकी बेटी का कोई भरोसा नहीं। पहले कहती है ऑफिशियली डिक्लेयर करो और फिर खुद ही कुछ भी कहने- करने से मना कर देती है।

जतिन- पता चला, सर वरमाला लेकर खड़े हैं और प्रिया कहे कि आज मूड नहीं है।

सभी जतिन की बात पर हंस देते हैं।

शाम को सब वहां से चल पड़ते हैं। आयुष और प्रिया एक साथ निकलते हैं।

आयुष- (रास्ते में प्रिया से पूछता है) इतना सब प्लैन किया था। तुमने मुझे बोलने क्यों नहीं दिया।

प्रिया- आयुष मुझे आपसे वो शब्द सुनने ही नहीं थे। वो तो मेरा दिल पहले से ही जानता है। आपको पता है मैजिक उन तीन शब्दों का नहीं है, मैजिक उसके पीछे किए एफर्ट्स का है। दिन में चार बार वो शब्द बोलने की जगह अगर हम एक-दूसरे को एक बार भी स्पेशल फील करा सकें तो वो मैजिक होगा। यह मैंने मां - पापा से सीखा है।

आयुष- वाह! क्या सोच है तुम्हारी। वैसे आंटी - अंकल से क्या सीखा है।

प्रिया- वो दोनों एक दूसरे के लिए दिन में कुछ ना कुछ स्पेशल ज़रुर करते हैं। मां के सिर दर्द होने पर पापा मां के सिर की मालिश कर देते हैं। पापा के कहे बिना मां उनके लिए चाय बना कर ले आती है। मेरे हिसाब से ये रोमांस है। एक दूसरे की बात को बिना कहे समझना। आज आपने मुझे इतना स्पेशल फील कराया। जिस एहसास को हमने फील कर लिया उसे सुनने की क्या ज़रूरत। 

आयुष- (आयुष प्रिया को मुस्कुराते हुए देखता है) आई लव यू। 

प्रिया - (ज़ोर से हंसते हुए) आई लव यू टू।

क्रमशः
आस्था सिंघल







20
रचनाएँ
चले ना ज़ोर इश्क पे (एक छोटी सी प्रेम-कहानी)
5.0
प्यार - हमारे जीवन का अस्तित्व है। यह एक एहसास है जो दिमाग से नहीं दिल से होता है। सच्चा प्यार वहीं होता है जो अच्छे - बुरे सभी हालातों में हमारा साथ दे। प्यार इंसान को बदल देता है। उसके अंदर एक निर्मल और स्वच्छ भाव पैदा करता है। दुनिया में लोगों ने कितनी नफरतों को प्यार से जीत लिया। तो नफरत प्यार के आगे हमेशा हार जाती है? शायद! पर क्या हमारे दिल में किसी के लिए इतनी नफ़रत हो सकती है कि किसी का प्यार हमें दिखाई ही ना दे? क्या नफ़रत में इतनी ताकत है कि वह सच्चे प्यार को हरा सके। ऐसी ही एक कहानी है आयुष और प्रिया की। आयुष के दिल में बसी नफ़रत को प्रिया के निश्छल प्रेम ने हराया ज़रूर पर क्या ख़त्म कर पाई? ऐसा क्या हुआ कि आयुष की नफ़रत प्रिया के मासूम प्यार पर भारी पड़ गई।
1

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 1

5 मई 2022
6
3
3

प्यार - हमारे जीवन का अस्तित्व है। यह एक एहसास है जो दिमाग से नहीं दिल से होता है। सच्चा प्यार वहीं होता है जो अच्छे - बुरे सभी हालातों में हमारा साथ दे। प्यार इंसान को बदल देता है। उसके अंदर एक निर्म

2

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 2

6 मई 2022
2
1
0

प्रिया और साक्षी की कार तेज़ी से हॉस्पिटल की तरफ जा रही थीं कि अचानक उनकी गाड़ी का टायर पंचर हो गया।प्रिया- ( हड़बड़ाते हुए बोली) क्या हुआ ड्राइवर? ड्राइवर- प्रिया दीदी, टायर पंचर हो गया है।प्रिय

3

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 3

7 मई 2022
1
1
0

हॉस्पिटल में काम का पहला दिन सब के लिए बहुत अहम था। आज सब अपना बैस्ट देना चाहते थे। जतिन- आप सब लोग जनरल वार्ड नंबर एक में पहुंचिए। डॉक्टर कुमार आपको वहीं मिलेंगे।सब लोग वहां पहुंच गए। वार्ड एकदम

4

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 4

12 मई 2022
1
1
0

अगली सुबह प्रिया समय से पहले हॉस्पिटल पहुंच गई। आज साक्षी उसके साथ नहीं आ पाई। वहां पहुंचकर देखा तो वहां अफरातफरी मची हुई थी। एक महिला रिसेप्शन पर रो रही थी कि उसके बेटे को एडमिट कर लिया जाए।प्रिया

5

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 5

12 मई 2022
0
0
0

इंटर्नस की आज की ड्यूटी खत्म होने वाली थी। सभी रूम में बैठकर बातें कर रहे होते हैं। तभी नर्स वहां आती है। नर्स- डॉक्टर गौरव, आज रात आपकी ड्यूटी थी ना?गौरव- हां मुझे पता है।नर्स- आप आज जा सकते हैं

6

चले ना ज़ोर इश्क पे!!भाग 6

20 मई 2022
0
0
0

आयुष गंभीर मुद्रा में सबके सामने आकर खड़ा हो जाता है।प्रीति-(घबरा कर पूछती है) सर, ये इतने सारे सीरिंज ? आप किसी को इंजेक्शन लगाएंगे क्या?आयुष-( गंभीर आवाज़ में बोलता है) आप सब को।सब लोग चौंक कर खड़

7

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 7

20 मई 2022
0
0
0

प्रिया के घर पर सब बैठकर रात की पार्टी की प्लेनिंग कर रहे थे।मिस्टर कपूर (प्रिया के पापा) - ऐसा है कि आप लोग बेकार ही यह सब कर रहे हैं। बेकार का खर्चा है। प्रिया- आ गये आप अपने असली कंजूस वाले रं

8

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 8

20 मई 2022
0
0
0

प्रीति ओ.पी.डी. से थक के आती है और धम्म से सोफे पर बैठ जाती है।प्रिया- क्या हुआ तुझे? बहुत थकी हुई लग रही है।अनीता- आज मेडम की डॉक्टर कुमार के साथ ओ. पी. डी. थी। थकान तो होगी ही। प्रिया- यार! तुम

9

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 9

20 मई 2022
1
1
0

प्रिया रैस्ट रूम में बैठकर अपनी फाइल और रजिस्टर पूरे कर रही थी। आज उसे घर जाने में थोड़ा देर हो गई। सब घर के लिए निकल चुके थे। तभी अंकुर वहां आता है। अंकुर- प्रिया एक एमरजेंसी आ गई है। मुझे

10

चले ना ज़ोर इश्क पे!!भाग 10

20 मई 2022
1
1
0

आयुष अपने कैबिन में काम कर रहा था कि जतिन सब इंटर्नस को लेकर उसके कमरे में आता है। आयुष- आएं आप सब प्लीज़। डॉक्टर जतिन आप प्लीज़ डॉक्टर शायना को भी बुला लाइए। आयुष सब को सोफे पर बैठने का इशा

11

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 11

28 मई 2022
1
1
0

थोड़ी देर में आयुष प्रिया को उस बताई जगह पर ले आता है। आयुष- डॉक्टर कपूर, एक शर्त है। आप तब तक आंखें नहीं खोलेंगी जब तक मैं नहीं कहूंगा। ( गाड़ी से उतर कर वह प्रिया की तरफ का दरवाज़ा खोलता है) आइ

12

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 12

28 मई 2022
1
1
0

अगली सुबह आयुष ठीक दस बजे प्रिया के घर के बाहर पहुंच जाता है। प्रिया- (मुस्कुराते हुए) गुड़ मॉर्निंग आयुष- (मुस्कुराते हुए) गुड़ मॉर्निंग, आप तैयार हैं तो चलें।प्रिया- ( कमला ताई को आवाज़ दे

13

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 13

28 मई 2022
1
1
0

आयुष अपने कैबिन में बैठकर काम कर रहा था। तभी शायना अंदर आई और आयुष को हैरत भरी निगाहों से देखने लगी।आयुष- क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रही हो?शायना- देख रही हूं कि कोई अचानक कैसे बदल सकता है। दोस्तों और दो

14

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 14

28 मई 2022
2
1
0

अगले दिन आयुष हॉस्पिटल जल्दी पहुंच गया। उसे लगा कि रोज़ की तरह शायद प्रिया भी जल्दी आ जाएगी। सभी इंटर्नस आ चुके थे। पर प्रिया का कहीं कोई पता नहीं था।आयुष- (अंकुर से) अभी डॉक्टर कपूर और डॉक्टर साक्षी

15

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 15

28 मई 2022
1
1
0

जतिन और नेहा, प्रिया को उसके घर से गाड़ी में लेकर जाने के लिए आते हैं। प्रिया- पर जाना कहां है? ये तो बताओ? नेहा- प्रिया, बिना सवाल पूछे चल ले बहन।प्रिया- लेकिन.... ऐसे कैसे? जतिन और ने

16

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 16

28 मई 2022
1
0
0

आयुष और प्रिया अपने व्यस्त कार्यक्रम में से चंद लम्हे निकाल लेते थे एक दूसरे के साथ बैठकर समय व्यतीत करने के। आयुष कैबिन में प्रिया और प्रीति के साथ एक केस पर बात कर रहा था कि तभी जतिन वहां आया।आ

17

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 17

28 मई 2022
1
0
0

प्रिया सोनल को घर लेकर आती है। सोनल बच्ची को अंदर रूम में सुलाने चली जाती है। प्रिया चुपचाप सोफे पर बैठ जाती है। उसकी बाहर की खामोशी से उसके अंदर चल रहे युद्ध का पता नहीं चल रहा। वह चुपचाप बैठ सोनल क

18

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 18

28 मई 2022
1
0
0

अगले दिन प्रिया थोड़ा जल्दी हॉस्पिटल पहुंच गई। इस उम्मीद में कि आयुष से अकेले में बात कर पाएगी। पर आयुष उस दिन ओ.पी.डी. शुरू होने के समय पर पहुंचा।आयुष और प्रिया दोनों अपने काम के प्रति बहुत जिम्मेदार

19

चले ना ज़ोर इश्क पे!!भाग 19

28 मई 2022
1
1
0

सुबह से ही आयुष की तबीयत ठीक नहीं थी। फिर भी वो तैयार हो हॉस्पिटल के लिए निकलने लगा। रुबीना- भाईजान आज आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही। आप आज मत जाएं।आयुष- भाभी, मैं ठीक हूं। आज जाना ज़रूरी है। आ

20

चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 20 (आखिरी भाग)

28 मई 2022
1
1
0

कभी - कभी हम अपनी नफ़रत के चलते कुछ ऐसे फैसले कर लेते हैं जिसके लिए हमें ज़िन्दगी भर पछताना पड़ता है। आयुष भी एक ऐसा ही फैसला लेता है। आदिल उसे बहुत समझाता है पर वह कुछ सुनने और समझने को तैयार ही

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए