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चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 3

7 मई 2022

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हॉस्पिटल में काम का पहला दिन सब के लिए बहुत अहम था। आज सब अपना बैस्ट देना चाहते थे। 

जतिन- आप सब लोग जनरल वार्ड नंबर एक में पहुंचिए। डॉक्टर कुमार आपको वहीं मिलेंगे।

सब लोग वहां पहुंच गए। वार्ड एकदम साफ़ दिखाई दे रहा था। अमूमन सरकारी हॉस्पिटल में वार्ड इतने साफ नहीं लगते। पर चिल्ड्रन वॉर्ड काफी साफ दिख रहा था। आयुष, शायना के साथ वहां पहुंचा। जतिन ने सब को एक साइड पर खड़े होने को कहा।

आयुष- गुड़ मॉर्निंग। मेरे हिसाब से आप सब तैयार हैं प्रेक्टिकल नॉलेज के लिए। मुझे वार्ड में अनुशासन चाहिए। इस बात का ख्याल रहे।

सब ने एक साथ उत्तर दिया, ' येस सर'

आयुष- हमारे पास दो वार्ड हैं। जिसमें अभी दस बच्चे हैं। आप सब हममें से किसी एक डॉक्टर के मरीज़ को देखेंगे। डॉक्टर शायना, लिस्ट तैयार है। तो बताईए कि कौन किस मरीज़ को देखेगा।

शायना- बिल्कुल तैयार है। देखिए, बेड नम्बर एक, दो और तीन डॉक्टर जतिन के मरीज़ हैं, बेड नम्बर पांच और छह मेरे मरीज़ हैं और अगले वार्ड के पांचों मरीज़ डॉक्टर कुमार के हैं। 

शायना ने एक - एक कर सबको उनके मरीज़ों के बेड बता दिए। प्रिया को डॉक्टर आयुष के दो मरीज़ दिये। वह मन ही मन अपनी किस्मत को कोस रही थी। आयुष ने एक एक करके सब डॉक्टरों का प्रेक्टिकल लिया। अब प्रिया की बारी थी।

आयुष- डॉक्टर कपूर, आप बेड नम्बर चार के मरीज़ की नब्ज़ चैक करिए। 
पर प्रिया ने आयुष की बात नहीं सुनी। वो बेड पांच की मरीज़ के साथ मस्ती कर रही थी।

आयुष-( गुस्से से) डॉक्टर कपूर। आपको क्या लगता है यहां कपिल शर्मा शो चल रहा है या कॉमेडी सर्कस। मैंने आप सब को बोला था कि मुझे अनुशासन चाहिए। दस मिनट पहले बोली बात आप भूल गयीं।

प्रिया- सॉरी सर, उस बच्ची ने अपने पास बुला लिया था।

आयुष- ओह! प्लीज़ डॉक्टर कपूर। मुझे ये बहाने मत दीजिए। आप बहुत ही अन्प्रफेशनल हैं। लीव द रूम। 

प्रिया- सर आई एम सॉरी।

आयुष- ( नाराज़ होते हुए) बाहर जाइए डॉक्टर कपूर।

प्रिया वहां से रोते हुए रैस्ट रूम में आ जाती है। उसे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आता है। क्या ज़रूरत थी उसे उस बच्ची के साथ खेलने की। वह अपने आप को कोसती रही थी। कुछ समय बाद सब वापस रैस्ट रूम में आ जाते हैं।

वसुधा- प्रिया तू ठीक है?

प्रिया- हां। ( और फिर वह रो पड़ती है)

गौरव- देख, गलती तेरी है। जा जाकर माफी मांग ले सर से।

सब लोग गौरव का समर्थन करते हैं। प्रिया हिम्मत जुटा कर डॉक्टर आयुष के रुम में माफी मांगने जाती है।

प्रिया- ( रूम का दरवाज़ा खटखटाते हुए) मैं अंदर आ सकती हूं सर?

आयुष उसे इशारे से अंदर आने को कहता है।

प्रिया- सर, में माफी मांगना चाहती हूं। मुझे एहसास है कि मैंने अनुशासन तोड़ा। आगे से ऐसा नहीं होगा। 

आयुष चुपचाप उसकी बात सुनता रहा। फिर उसकी मार्कशीट उसके सामने रखते हुए बोला।

आयुष- डॉक्टर कपूर, मैं आपके नम्बर देख रहा था। बहुत बढ़िया हैं। सबसे बेस्ट क्या है, पता है आपको? आपके प्रेक्टिकल में बहुत अच्छे नंबर आए हैं। एक अच्छे डॉक्टर की पहचान ही ये होती है कि वह प्रेक्टिकली कितना अच्छा है। मैंने पहले भी कहा था मैडिकल प्रोफेशन में गलती की गुंजाइश नहीं होती। इस बार आपको माफ कर रहा हूं। पर अगली बार...

प्रिया- ( आयुष की बात को बीच में ही काटते हुए) सर, अगली बार ऐसा कुछ नहीं होगा। आई प्रोमिस। 

तभी शायना रूम में आती है।

आयुष - (मुस्कुराते हुए प्रिया को देखता है) वो बच्ची आपकी मरीज़ है अब।

प्रिया- पर वो तो साक्षी की मरीज़ थी? 

आयुष- अब आप की है। आप वार्ड में चलिए मैं आता हूं।

प्रिया- जी, थैंक्स सर

शायना-( प्रिया के बाहर जाने के बाद) ये क्या कुमार? तुमने उसे वो मरीज़ क्यों दी? मैंने लिस्ट तैयार की थी ना?

आयुष- शायना, तुम जानती हो ना उस बच्ची को मेरे सिवाय कोई हैंडल नहीं कर सकता। पर डॉक्टर कपूर ने एक झटके में उससे दोस्ती कर ली। तो मेरे हिसाब से वो उनकी मरीज़ होनी चाहिए ना।
यह कह कर वह उठकर वॉर्ड में चला गया। वॉर्ड के बाहर प्रिया उसका इंतज़ार कर रही थी।

आयुष- आप अंदर नहीं गई?

प्रिया- आप फिर डांटते। इसलिए मैं यहीं खड़ी थी।

आयुष- डांटते? मैं डांटता तो बिल्कुल नहीं।

प्रिया- कुछ देर पहले वॉर्ड में सब बच्चों के सामने आप डांट ही तो रहे थे।

आयुष- डांट नहीं समझा रहा था। आईए अंदर चलिए।

अंदर पहुंच आयुष सब को गुड़ मॉर्निंग करता है। पर कोई जवाब नहीं देता।

आयुष- ( बच्चों सी शक्ल बनाते हुए) आज कोई हमें विश भी नहीं करेगा।

सब चुप चाप उस बच्ची की तरफ देख कर इशारा करते हैं।

आयुष- ( उस बच्ची के पास जाते हुए) तो रिया द ग्रेट ने सबको हमसे बात करने से मना कर दिया है। है ना।

रिया- आपने डॉक्टर दीदी को क्यों डांटा? आप गंदे हो। मैं नहीं बात करूंगी। और सूई भी नहीं लगवानी मुझे आपसे।

आयुष- ये क्या बात हुई? मैंने डॉक्टर कपूर को डांटा नहीं था समझाया था। 

रिया- ( मुंह बनाते हुए) ऐसे समझाते हैं? उनकी गलती भी नहीं थी। मैंने बुलाया था उन्हें इसलिए वो आईं थीं।

आयुष- वैसे तो मेरे अलावा आप किसी को अपने पास नहीं आने देतीं, आज अचानक आप ने पार्टी बदल ली?

रिया- क्योंकि डॉक्टर दीदी बहुत खूबसूरत हैं। उनकी मुस्कान आपसे भी अच्छी है।

आयुष और प्रिया एक पल के लिए खामोश हो गये। फिर आयुष ने नर्स को इंजेक्शन के लिए आवाज़ लगाई।

रिया- मैं इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगी।

आयुष- रिया ज़िद्द नहीं करते। इंजेक्शन तो ज़रूरी है।

रिया- तो पहले आपको यह मानना पड़ेगा कि डॉक्टर दीदी बहुत खूबसूरत हैं। तभी इंजेक्शन लूंगी।

आयुष- ( थोड़ा हिचकिचाते हुए) अरे! ये क्या शर्त है? मैं आपसे सॉरी बोल रहा हूं ना । मैं अब आपकी दीदी को नहीं डाटूंगा। अब लगवा लो इंजेक्शन।

रिया- नहीं पहले आप बोलो।

प्रिया- रिया अच्छे बच्चे ज़िद्द नहीं करते। 

रिया- ( आयुष को गुस्से से देखती हुई) अच्छे डॉक्टर भी ज़िद्द नहीं करते।

आयुष- ( रिया की मासूमियत पर मुस्कराते हुए बोला) अच्छा मेरी मां। आपकी दीदी बहुत खूबसूरत है। बस।

रिया- थोड़ा प्यार से।

आयुष- ( प्रिया की तरफ देखते हुए) आपकी दीदी बहुत खूबसूरत हैं। 

प्रिया एक पल के लिए आयुष को देखती है फिर नज़रें झुका लेती है।
आयुष उसको इंजेक्शन पकड़ाते हुए कहता है- डॉक्टर कपूर, आप इंजेक्शन दीजिए रिया को।

प्रिया बहुत प्यार से रिया को इंजेक्शन लगाती है। आयुष उसकी केस स्टडी प्रिया को दिखाता है। उसे रिया को कौन सी दवाई कब देनी है यह भी समझाता है। फिर दोनों वॉर्ड से बाहर आ जाते हैं।

प्रिया- सर, माफ कीजिए, रिया बेकार ज़िद्द कर बैठी। 

आयुष- कोई बात नहीं डॉक्टर कपूर। बच्चों की बात का मैं कभी बुरा नहीं मानता। ( फिर वह प्रिया को देख एक शरारत भरी मुस्कान देते हुए बोला) वैसे भी वो ग़लत नहीं कह रही थी।

प्रिया ने चौंक कर आयुष को देखा। 

आयुष- बच्चों में एक खूबसूरत दिल को पहचानने की कला होती है। उसने आपमें वही देखा। मेरे हिसाब से आपने बच्चों के दिल को छू लिया आज। डॉक्टर कपूर आप जैसी हैं हमेशा वैसे ही रहिएगा। दुनिया में खूबसूरत दिल की बहुत कमी है।

यह कह आयुष अपने रूम में चला गया। प्रिया उसे देखती रही। वह अपने आप से सोचती रही कि आयुष का कौन सा रूप असली था। वो जो आयुष सबके सामने दिखाता है या फिर यह जो उसने अभी देखा। यह सोचते हुए वह मुस्कुराते हुए वापस बाकी सब डॉक्टरों के पास चली गई।


घर पहुंच कर प्रिया अपने बिस्तर पर जाकर लेट गई। तभी नेहा दौड़ती हुई आई। 

नेहा- कैसा रहा आज का पहला दिन?

प्रिया- बहुत थकान वाला। कमला ताई चाय लाओ।

तभी प्रिया के मां-बाप अंदर आते हैं।

जया- कैसी है गुड़िया? कितना थक गई।

प्रिया मां की गोद में सिर रख कर लेट जाती है। उसकी मां प्यार से उसका सिर सहलाने लगती है। 

मिस्टर कपूर- अरे! डॉक्टर साहिब, एक दिन में ही थक गई।

प्रिया- पापा! आपकी बिटिया इतनी कमज़ोर नहीं है। बस थोड़ा सा थकी हूं। ( यह कह वह हंसने लगी)

कमला ताई सबके लिए चाय लेकर आती हैं। चाय पीकर सब अपने कमरे में चले जाते हैं। नेहा थोड़ी देर और प्रिया के पास रुकती है।

नेहा- तो अब बता क्या हुआ आज! 

प्रिया ने सुबह से लेकर शाम तक की सारी जानकारी नेहा को दे दी। 

नेहा- ( हंसते हुए) जाते ही डांट पड़ गई। 

प्रिया- तुझे बहुत हंसी आ रही है। मेरी गलती नहीं थी। वो बच्ची इतनी प्यारी थी। क्या करती मैं?

नेहा- और भी कुछ हुआ है क्या?

प्रिया- ( थोड़ा हिचकिचाते हुए) नहीं...सब तो बता दिया।

नेहा- बता दे अब! तेरा चेहरा बता रहा है कि कुछ और भी बात है। 

प्रिया- वो छोटी बच्ची रिया, वो डॉक्टर कुमार से ज़िद्द करने लगी कि पहले वो ये कहें कि मैं बहुत खूबसूरत हूं। तभी वो इंजेक्शन लगवाएगी।

नेहा- ओह! बेटा! डॉक्टर कुमार तो भड़क गए होंगे।

प्रिया- अरे! यही तो ताज़ुब की बात है। मुझे भी लगा कि वो रिया को डांट देंगे। पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। 

नेहा- मतलब!!! उन्होंने .... बोला ...कि तू ....

प्रिया- हम्म.. कि आपकी दीदी बहुत खूबसूरत हैं।

नेहा गश खा कर प्रिया की गोद में गिर जाती है। 

नेहा- वैसे ... ( प्रिया को छेड़ते हुए) साक्षी कल बता रही थी कि डॉक्टर कुमार बहुत हैंडसम हैं।
प्रिया ने नेहा की बात का जवाब नहीं दिया। तो नेहा ने फिर से उसे छेड़ा।

नेहा- बता ना। हैंडसम हैं कि नहीं।

प्रिया- यार! इससे फर्क नहीं पड़ता। हां...( थोड़ा सोचते हुए) हैंडसम हैं पर उससे भी ज़्यादा अहम बात यह है कि वह दिल के बहुत अच्छे हैं। खडूस हैं। पर...(फिर वह चुप कर जाती है)

नेहा के जाने के बाद भी प्रिया के दिमाग में आयुष का बोला हुआ वह वाक्य गूंज रहा था 'दुनिया में खूबसूरत दिल की बहुत कमी है।' वह सोचती रही कि कितनी गहरी बात कही डॉक्टर कुमार ने। पर जब वह यह बात कह रहे थे तो बहुत दर्द था उनके चेहरे पर। ऐसा क्यों था। क्या हुआ होगा ऐसा? अगला दिन क्या इम्तेहान लेकर आएगा यह सोचते हुए वह गहरी नींद में सो गयी।

क्रमशः
आस्था सिंघल







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चले ना ज़ोर इश्क पे (एक छोटी सी प्रेम-कहानी)
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