आयुष अपने कैबिन में बैठकर काम कर रहा था। तभी शायना अंदर आई और आयुष को हैरत भरी निगाहों से देखने लगी।
आयुष- क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रही हो?
शायना- देख रही हूं कि कोई अचानक कैसे बदल सकता है। दोस्तों और दोस्ती को कैसे भूल सकता है।
आयुष- किसने धोखा दे दिया तुम्हें?
शायना- ( थोड़े ऊंचे स्वर में बोली) तुमने कुमार। तुम इतना बदल जाओगे ये मैंने कभी नहीं सोचा था।
आयुष- क्या हुआ शायना?
शायना- कुमार, तुमने मुझसे ड्यूटी चार्ट की रिस्पांसिबिलिटी कैसे छीन ली? सिर्फ इसलिए की प्रिया को बैच नहीं मिला?
आयुष- ( आयुष उसे सोफे पर बैठाते हुए बोला) शांत हो जाओ शायना। हां ये सच है कि ड्यूटी चार्ट की रिस्पांसिबिलिटी मैंने अपने ऊपर ले ली। पर इसकी एक वजह है। तुम शायद काम से ओवरलोडिड हो। इसलिए तुम रूल्स फॉलो नहीं कर पा रही हो।
शायना- मैंने कौन से रूल्स फॉलो नहीं किए कुमार?
आयुष- एक ही इंटर्न एक डॉक्टर को ओ.पी.डी में चार बार कैसे असिस्ट कर सकता है? एक इंटर्न की ड्यूटी हफ्ते में एक से ज़्यादा इतवार को नहीं लग सकती। पर तुमने लगा दी। रूल्स के हिसाब से जिस इंटर्न ने नाइट ड्यूटी की है उसे अगले दिन फ्री करना ज़रूरी है। पर तुमने तब भी ड्यूटी लगा दी। एक ही इंटर्न लगातार दो रातों तक ड्यूटी करता है। ये भी रूल्स के खिलाफ है। अब बताओ, इससे ये साबित नहीं होता क्या कि तुम शायद ओवरलोडिड हो काम से। तभी रूल्स तोड़ रही हो। ध्यान नहीं दे पा रहीं सही से।
शायना- तुम रूल्स तोड़ो तो कुछ नहीं , मैंने थोड़ी स्ट्रिक्टनेस दिखा दी तो वो ग़लत हो गया?
आयुष- मैं रूल्स किसी की जान बचाने के लिए तोड़ता हूं शायना। और तुम्हारी स्ट्रिक्टनेस की वजह से इंटर्नस बिमार पड़ सकते हैं। रेस्ट बहुत ज़रूरी है बॉडी के लिए।
शायना- ( व्यंग्यात्मक लहजे में बोली) हां, खासतौर से अगर वह बॉडी डॉक्टर कपूर की हो तो।
आयुष- (गुस्से में तिलमिला उठा) बस शायना, यू आर गेटिंग पर्सनल। मैंने ये सब इंटर्नस के लिए कहा है।
शायना- ( गुस्से में) हां, लेकिन हुआ तो ये सब सिर्फ डॉक्टर कपूर के साथ है।
आयुष- ( व्यंग्यात्मक हंसी हंसते हुए) दैट्स इट। यही तो सुनना चाहता था मैं तुमसे। ये सब सिर्फ डॉक्टर कपूर के ही साथ क्यों किया शायना? क्या बिगाड़ा है उन्होंने तुम्हारा? जानती हो अगर वो तुम्हारी शिकायत अथोरिटी को कर देतीं तो?
शायना- तो करी क्यों नहीं? कर देती। मैं डरती नहीं किसी से।
आयुष- ( शायना को समझाते हुए) इसलिए नहीं की क्योंकि वो तुम्हारी बहुत रिस्पेक्ट करती है। आज तक उसने तुम्हारे अगेंस्ट मुझे भी कुछ नहीं कहा। और तुम उसे नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती। क्यों शायना? ये मेरी शायना नहीं है? तुम ऐसी कभी नहीं थीं।
शायना- ( रोते हुए आयुष के गले लग जाती है) क्योंकि वो तुम्हारी लाइफ में ज़्यादा अहम हो गई अब। आयुष... तुम मेरी फीलिंग्स जानते हो। मैं तुम्हारा उसकी तरफ अट्रैक्ट होना नहीं सहन कर पा रही।
आयुष - ( शायना के आंसू पोंछते हुए) शायना, मैं तुम्हारी फीलिंग्स जानता हूं। पर तुम भी तो मेरा जवाब जानती हो।
शायना- कॉलेज से हम-तुम साथ हैं आयुष। जितना मैंने तुम्हारे साथ वक्त बिताया है उतना किसी और ने नहीं बिताया। इतने सालों में एक बार भी मेरे लिए तुम्हारे दिल में फीलिंग्स नहीं आईं?
आयुष- शायना, तुम मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो। मैं जानता हूं कि रात के दो बजे भी मैं तुम्हें फोन करूंगा तो तुम आ जाओगी। ऐसी है हमारी दोस्ती। पर सिर्फ दोस्ती। शायना, दोस्ती और मोहब्बत में बहुत फर्क होता है। तुम्हारे साथ मैं हंस-बोल सकता हूं, बैठ कर समय बिता सकता हूं पर तुम्हारे साथ एक छत के नीचे पूरी ज़िंदगी नहीं बिता सकता।
शायना- ( रोते हुए) इतनी बुरी हूं मैं? हम दोनों ने एक दूसरे के साथ कितना खूबसूरत वक्त बिताया है कुमार। प्रिया के आने से सब खत्म हो गया।
आयुष- तुम बिल्कुल बुरी नहीं हो। बात को समझो शायना। प्रिया के आने से कुछ खत्म नहीं हुआ। तुम दस साल से मेरी दोस्त हो और हमेशा रहोगी। पर मेरे दिल में तुम्हारे लिए आज क्या कभी भी ऐसी फीलिंग्स नहीं थीं। और ये बात पिछले दस सालों से हर तरीके से तुम्हें समझाने की कोशिश करी है मैंने।
शायना- तो प्रिया के लिए फीलिंग्स हैं?
आयुष चुप हो जाता है।
शायना- बोलो कुमार, प्रिया के लिए क्या है तुम्हारे दिल में?
आयुष- ( कुछ सोचते हुए बोला) पता नहीं शायना। पर उसके साथ एक सुकून मिलता है। उसकी मौजूदगी से मुझे एक अजीब सी बेचैनी होती है। शायद इसे ही किसी के लिए फीलिंग्स कहते हैं।
शायना- तो तुम डॉक्टर कपूर से प्यार करते हो? क्लीयर बोलो ना कुमार।
आयुष- शायना, क्लीयर बात यह है कि तुम और मैं सिर्फ दोस्त हैं। मेरे दिल में तुम्हारे लिए फीलिंग्स सिर्फ एक दोस्त की हैसियत से है। और कुछ नहीं।
शायना- चलो अच्छा हुआ आज सब साफ़ हो गया। फैसला करने में आसानी हो गई।
आयुष- कैसा फैसला?
शायना- अक्षय को जानते हो? एक बार मेरे घर पर पार्टी में मिलाया था तुम्हें।
आयुष- (थोड़ा सोचते हुए) हां, याद आया। जिनके फादर का दुबई में बिज़नेस है।
शायना- हां, वही। उनके घर से मेरे लिए शादी का प्रपोजल आया है। कन्फ्यूज थी कि हां करूं कि ना। पर अब आसानी से फैसला ले सकूंगी।
आयुष- शायना, ये फैसला तो तुम्हें बहुत पहले ही ले लेना चाहिए था।
शायना- हां, पर कहीं दिल में एक उम्मीद थी।पर आज...
आयुष-( शायना को बीच में रोकते हुए) शायना, हम किसी से ज़बरदस्ती ना मोहब्बत करा सकते हैं और ना ही कर सकते हैं।
शायना- मैं दुआ करती हूं आयुष, कि तुमको जल्द प्यार का एहसास हो सके।
आयुष- शायना, मैंने हमेशा तुम्हारे लिए नेक दुआएं की हैं।तुम अक्षय के साथ खुश रहोगी।
दोनों एक दूसरे को गले लगाते हैं। और शायना आयुष के कैबिन से बाहर चली जाती है।
जब इंटर्नस को पता चलता है तो सब खुश हो जाते हैं और खूब नाचते हैं और शायना को भी नचाते हैं।
जतिन- पर डॉक्टर शायना, आप यहां शादी नहीं कर रहीं और दुबई जाकर सेटल हो रहीं हैं। यह ग़लत है।
शायना- तुम्हें क्यों इतना अफसोस हो रहा है।
जतिन- एक आप ही तो थीं जो मुझे डॉक्टर कुमार के कहर से बचाती थीं।
शायना- जतिन तुम कभी नहीं सुधरोगे।
शायना सब को अच्छी सी पार्टी देती है। सब खूब मज़े करते हैं। फिर सब अपने राउंड पर चले जाते हैं। प्रिया रेस्ट रूम में बैठकर काम कर रही थी। शायना उसके पास आकर बैठ जाती है।
शायना- आप खुश हैं डॉक्टर कपूर। मैं जा रही हूं।
प्रिया- ( शायना को हैरानी से देखते हुए) डॉक्टर शायना, मैं खुश हूं कि आप सेटल होने जा रही हैं। पर आप यहां से जा रहीं हैं इस बात का दुख है। आप सीनियर डॉक्टर हैं और आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता।
शायना- आपको सीखने की क्या ज़रूरत है डॉक्टर कपूर। आप तो वैसे ही बहुत कुछ सीख कर आईं हैं।
प्रिया- (थोड़ा गुस्से में बोली) आप कहना क्या चाहती हैं डॉक्टर शायना?
शायना- मैं जो कहना चाहती हूं आप अच्छी तरह से समझती हैं। मैं क्या पूरा हॉस्पिटल देख रहा है। आपकी और कुमार की नज़दीकियों को। मज़ाक बन रहा है आपका। और आप ग़लत राह पर जाएंगी तो मेरा हक बनता है कि मैं आपको रोकूं।
प्रिया- जी नहीं, मैंने आपको यह हक कभी नहीं दिया। यह हक सिर्फ मेरे पेरेंट्स का है। और अच्छा हुआ डॉक्टर शायना कि आपने यह बात उठाई। आपने सही समझा, मैं डॉक्टर कुमार को पसंद करती हूं। और मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो मुझे पसंद करते हैं कि नहीं। (प्रिया गुस्से में उठती हुई बोली) वो इसलिए डॉक्टर शायना कि मोहब्ब्त और दुकानदारी में बहुत फर्क होता है। आपने अपनी सारी उम्र दुकानदारी की इसलिए आपको प्यार नहीं मिला।
प्रिया यह कह के रूम से जाने लगती है तो रूम के दरवाज़े पर आयुष को खड़ा देखती है। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगता है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आयुष ने उसकी बात सुन तो नहीं ली। वह आयुष से बिना कुछ कहे चली जाती है।
प्रिया रिसेप्शन पर रजिस्टर में साइन करने पहुंचती है। उसे पीछे से आयुष के कदमों की आहट सुनाई पड़ती है। उसका दिल बहुत तेज़ धड़कने लगता है। वह अपनी आंखें बंद कर लेती है। मन ही मन प्रार्थना कर रही होती है कि आयुष उसके पास ना आए। आज वह उससे नज़रें नहीं मिला पाएगी। पर भगवान भी हर वक्त कहां सुनते हैं। आयुष रिसेप्शन पर आया और प्रिया से रजिस्टर मांगा।
आयुष- (रजिस्टर पर साइन करते हुए) सब ठीक है ना डॉक्टर कपूर?
प्रिया- जी, सब ठीक है।
आयुष- मैं तो आया था आप लोगों के साथ कॉफी पीने, पर वहां तो कुछ और ही चल रहा था।
प्रिया- डॉक्टर कुमार, आप अभी आए थे ना?
आयुष- हां, क्यों?
प्रिया- मेरा मतलब है जस्ट अभी आए थे ना आप?
आयुष- डॉक्टर कपूर, क्या बार- बार एक ही सवाल कर रहीं हैं आप। बोला तो मैंने कि अभी आया था।
प्रिया- ( अपना पर्स उठाते हुए बोली) नहीं सर, कुछ नहीं। गुड इवनिंग सर।
प्रिया के जाते ही आयुष मुस्कुराने लगा। उसे अंदाज़ा था कि प्रिया उससे क्यों बार - बार एक ही सवाल पूछ रही थी।
वह भी साइन करके घर के लिए निकल गया।
उधर घर पर प्रिया अपने कमरे में इधर से उधर चक्कर लगा रही थी और अपने आप से बड़बड़ाती जा रही थी।
नेहा- (गुस्से से) अब बताएगी कि क्या हुआ है? इधर-उधर लेफ्ट - राइट कर रही है।
प्रिया ने उसे अपने और शायना के बीच हुई सारी बात बताई।
नेहा- क्या कमाल की औरत हैं डॉक्टर शायना। सही किया तूने।
प्रिया- क्या सही किया? मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। कितनी पुरानी दोस्ती है दोनों की। मुझे ऐसे रिएक्ट नहीं करना चाहिए था। और सबसे बड़ी बात, मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि डॉक्टर आयुष ने सब सुन तो नहीं लिया।
नेहा- तो अच्छा है अगर सुन लिया तो। समझते क्या हैं वो अपने आप को। इतना भाव क्यों खा रहे हैं। सीधे - सीधे बता क्यों नहीं देते कि उन्हें कौन पसंद है। बेकार में इतनी लंबी लाइन लगा रखी है।
प्रिया ( नेहा पर तकिया फेंकते हुए) चुप कर तू। कोई लाइन नहीं लगा रखी। और वैसे मुझे बोल रही है, तेरा क्या चल रहा है।
नेहा- वहीं तो बताने आई थी। कल जतिन ने बोल दिया। हाथ में गुलाब का फूल लेकर।
प्रिया- ( उछल कर बेड पर बैठते हुए) सच। कैसे कहा?
नेहा- मुंह से और कहां से।
प्रिया- तूने क्या बोला? बता ना?
नेहा- कुछ नहीं। मैंने कहा सोचकर बताऊंगी।
प्रिया- पागल है तू। बोल क्यों नहीं दिया?
नेहा- इतनी जल्दी क्यों बोलूं। इतने सड़े चुटकुले सुनाए हैं जतिन ने। उसका बदला तो लूंगी ही।
फिर दोनों हंस पड़ती हैं।
उधर आयुष अपने कमरे में बैठा मंद - मंद मुस्कुरा रहा था। तभी आदिल कमरे में आता है ।
तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है।
जहां भी जाऊं कि लगता है तेरी महफ़िल है।
आदिल को गाते सुन आयुष मुस्कुराने लगता है।
आदिल- क्या बात है भाई। ये चेहरे की हंसी बता रही है कि मकान किराए पर चढ़ चुका है।
आयुष- यार! कभी तो कुछ ऐसा बोला करो जो समझ में आए! अब ये किसके मकान की बात हो रही है।
आदिल- ( आयुष के दिल पर ऊंगली रखते हुए कहता है) ये मकान किराए पर चढ़ चुका है। लड़की का नाम तुम बताओगे या मैं ही अंदाज़ा लगा लूं।
आयुष आदिल की बात पर हंस पड़ा। फिर उसे उस दिन की सारी घटना सुनाई ।
आदिल- शायना से ऐसी उम्मीद नहीं थी। पर भाई अब देर किस बात की। अब तो तुझे पता चल गया ना कि प्रिया के दिल में क्या है। अब तो अपने दिल की बात कह दे।
आयुष- (खिड़की से बाहर देखते हुए) आदिल, डर लगता है। खुशियों ने जब भी दिल के दरवाज़े पर दस्तक दी है तब- तब मेरी किस्मत ने उसे मुझसे दूर कर दिया।
आदिल- पर इसका यह मतलब तो नहीं कि तुम दरवाज़ा खोलो ही नहीं। आयुष, तुमने ज़िन्दगी में बहुत कुछ बर्दाश्त किया है। अब ज़िन्दगी तुम्हें एक और मौका दे रही है। उसे यूं ही मत जाने दो। जो बीत गया उसे भूल जाओ और आने वाले वक्त को गले लगाओ।
आयुष- ठीक कह रहे हो आदिल। प्रिया वो फू़ल है जिसने मेरी जिंदगी को महका दिया है।
आदिल- तो कल ही बात कर उससे। देर मत करना।
आयुष मुस्कुराते हुए फिर से खिड़की के बाहर देखने लगा। अब उसे कल का बेचैनी से इंतज़ार था।
क्रमशः
आस्था सिंघल