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चले ना ज़ोर इश्क पे!! भाग 16

28 मई 2022

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आयुष और प्रिया अपने व्यस्त कार्यक्रम में से चंद लम्हे निकाल लेते थे एक दूसरे के साथ बैठकर समय व्यतीत करने के। 

आयुष कैबिन में प्रिया और प्रीति के साथ एक केस पर बात कर रहा था कि तभी जतिन वहां आया।

आयुष- (आराम से अपनी कुर्सी पर बैठते हुए) कहें डॉक्टर जतिन, क्या हुआ अब? ये सूरजमुखी आज मुर्झाया सा क्यों है? 

जतिन- सर, मैं तो अकेले , तन्हा सारी मुसीबतों का सामना करता रहता हूं। अब देखिए, दो दिन से तीन चपरासी काम पर नहीं आए। अब आप राउंड पर निकलेंगे तो आपको जगह-जगह धूल और गंदगी दिखाई देगी। और आप वहां मेरी कब्र खोद देंगे।

आयुष- (हंसते हुए) ऐसा होता ना जतिन, तो इस हॉस्पिटल के चप्पे-चप्पे पर तुम्हारी कब्र एक अरसा पहले ही खुद चुकी होती। 

ये सुन कर प्रीति और प्रिया हंस पड़ते हैं। 

जतिन- बहुत हंसी आ रही है आप दोनों को। ऐसे दोस्तों से तो दुश्मन अच्छे। 

आयुष- अब इन्होंने क्या किया है? 

जतिन- सर, यहां सब लोग अपना-अपना भविष्य सेट कर के बैठें हैं। (प्रीति को देखते हुए) कोई पायलट के साथ उड़ने को तैयार हैं और (प्रिया को देखते हुए) कोई डॉक्टर के साथ ज्वॉइंट ऑपरेशन करने को तैयार हैं। पर मेरा कोई नहीं सोच रहा। मेरे घर को भी तो एक आर्किटेक्ट की ज़रूरत है। 

आयुष- जतिन, उस बारे में सोच लिया है मैंने। तेरे घर का पूरा रैनवैशन हो जाएगा। आज शाम सात बजे प्रिया के घर आ जाना। अंकल ने नेहा के फादर को बुलाया है। 

जतिन- (खुशी से उछलते हुए) सच। थैंक्स सर। 

प्रिया- जतिन, आप फ़िक्र ना करें। पापा सब संभाल लेंगे।

आयुष- पर फिलहाल, डॉक्टर जतिन, आप सफाई कराएं वरना सच में आज कब्र खुद जाएगी।


उस रात सब ने नेहा के पेरेंट्स से बात करके जतिन और नेहा के रिश्ते को क्लीन चिट दे दी। वैसे, नेहा के पिता मिस्टर कपिल सूद इस बात से थोड़ा चिंतित थे कि जतिन का परिवार के नाम पर सिर्फ एक चाचा हैं। उसके माता-पिता की दस साल पहले एयरक्रेश में मृत्यु हो गई थी। पर वह इस बात से बहुत प्रभावित थे कि जतिन ने अपने बल पर इतना कुछ हासिल किया। 

आयुष- मिस्टर सूद, जतिन को मैं पिछले आठ सालों से जानता हूं। उसकी सबसे बड़ी खासियत है कि वह दिल का बहुत साफ़ है। और यही उसकी स्ट्रैंथ है। 

मिस्टर सूद- डॉक्टर आयुष, आई एम इम्प्रेसड। जल्द ही शादी की डेट निकलवाते हैं। 

मिसेज मालिनी सूद (नेहा की मां)- मैं तो कहती हूं दोनों सहेलियों की शादी एक ही मंडप में कर देते हैं। 

मिस्टर कपूर- ये तो इन दोनों पर निर्भर करता है। जब चाहेंगे कर लेंगे। पर आप लोग नेहा और जतिन के लिए मुहूर्त निकलवा लीजिए। 

सब इस बात पर सहमत हो जाते हैं। 

आयुष और प्रिया बहुत दिनों बाद फुर्सत निकाल के अपने फेवरेट सनसेट पॉइंट पर मिलते हैं। 

आयुष- सॉरी, थोड़ा लेट हो गया। तुम्हें इंतज़ार करना पड़ा।

प्रिया- (आयुष के गले में बाहें डालते हुए बोली) आपका इंतज़ार तो हम पूरी ज़िंदगी कर सकते हैं। 

आयुष- (प्रिया को अपनी तरफ खींचते हुए बोला) क्या बात है आज आप बहुत रोमांटिक मूड में हैं। इरादे तो ठीक हैं। 

प्रिया- (आयुष के और करीब आते हुए बोली) इरादे तो मेरे हमेशा से नेक थे। 

आयुष- आज मौसम कितना अच्छा है। हल्की सी ठंडी हवा चल रही है। और तुम मेरे पास हो....तो ऐसे में...

प्रिया-‌ (आयुष की आंखों में देखते हुए) ऐसे में क्या?

आयुष- (अपने फोन पर उन दोनों का मनपसंद गाना चलाते हुए बोला) ऐसे में एक रोमांटिक डांस तो बनता है। 

मोबाइल पर उनका फेवरेट गाना बज रहा था और वह एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल हल्के-हल्के कदमों से डांस कर रहे थे।

लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो
लग जा गले से ...

हमको मिली हैं आज, ये घड़ियाँ नसीब से
जी भर के देख लीजिये हमको क़रीब से
फिर आपके नसीब में ये बात हो न हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो।

तभी एकदम से प्रिया आयुष को वो गाना बंद करने को कहती है।

आयुष- (गाना बंद करते हुए बोला) प्रिया, क्या हुआ? ये गाना बंद करवाया तुमने? ये तो ....

प्रिया- फेवरेट गाना है। जानती हूं। पर आज इस गाने को सुन कर एक अजीब सी बैचेनी हो रही है।

यह कह कर प्रिया आयुष के सीने में अपने आप को छुपा लेती है। आयुष उसे प्यार से अपने आलिंगन में ले लेता है।

आयुष- कैसी घबराहट प्रिया? 

प्रिया- आज इस गाने को सुन ऐसा लगा कि ये मुझे आपसे दूर लेकर जा रहा हो। 

आयुष- (हंसते हुए) मुझे तुमसे दूर कौन कर सकता है भला? 

प्रिया- कोई भले ही ना करे पर आपने कर दिया किसी दिन तो?

आयुष- ऐसा कभी नहीं होगा प्रिया। और अगर किसी दिन ऐसा हुआ तो शायद ज़िंदा रहने की कोई वजह ही नहीं रहेगी।

ये कह कर आयुष प्रिया को बाहों में भर लेता है। 

आयुष- तो किसी और गाने से तुम्हारा मूड ठीक करूं। लेकिन इस बार तुम्हें भी गाना होगा।

प्रिया- ठीक है। पर शुरूआत में करूंगी।

आयुष- मैं कौन सा गाना गाऊंगा, ये कैसे पता तुम्हें? 

प्रिया- (मुस्कुराते हुए आयुष का हाथ अपने हाथों में लेकर गाना शुरू करती है) चले ना ज़ोर इश्क पे

आयुष- फिर क्यों हम दूर इश्क से

प्रिया और आयुष इकठ्ठे - क्यों बन गये हम तेरे तू ही बता।

आयुष- देखूं तुझे ही हर जगह

प्रिया- मानूं तुझे ही मैं खुदा

आयुष- कैसे कहूं तुझे बता

दोनों एक साथ- तू ही तो है मेरा जहां।

प्रिया- वैसे मुझे नहीं पता था आप इतना अच्छा लिख भी सकते हैं। कितना समय लगा आपको लिखने में?

आयुष- नहीं, मैंने कभी कुछ नहीं लिखा पहले। ये भी बस तुम्हें देख कर दिमाग में आता गया और मैं गाता गया।

प्रिया- ओहो! कवि महोदय, छा गये आप तो।

दोनों एक दूसरे को देखते हुए हंसने लगे।

दूर आसमान में सूरज ढलने लगता है। ऐसा लग रहा था मानो उन दोनों के प्यार के रंग ने आसमान को और भी रंगीन बना दिया हो।


कुछ दिनों बाद प्रिया आयुष का एक मॉल के बाहर बहुत बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। दूर से उसे आयुष आता दिखाई दिया।

प्रिया- (तेज़ कदमों से उसके पास पहुंची) कितनी देर लगा दी आपने।

आयुष- मरीजों को देखना ज़्यादा ज़रूरी था प्रिया।

प्रिया- हां, सॉरी, अब जल्दी चलो मुझे आपको किसी से मिलवाना है। 

आयुष- पर किससे मिलवाना है। यह तो बताओ। 

प्रिया- मैंने आपको सोनू दीदी के बारे में बताया था ना। वो कल ही यहां आई हैं। मैंने अभी तक आपके और मेरे बारे में उन्हें कुछ नहीं बताया। उन्हें सर्प्राइज़ देना चाहती थी। यहां मॉल में बुलाया था उन्हें। 

प्रिया बातें करते - करते आयुष को फूड कोर्ट ले गयी। वहां उसने अपनी दीदी को बैठै देखा। प्रिया ने आयुष को उनके पीछे रुकने का इशारा किया और खुद उनके सामने पहुंच उनको आवाज़ दी।

प्रिया- (उछलते हुए बोली) सोनू दीदी। कैसे हैं आप? 

सोनू- (मुस्कुराते हुए) प्रिया....(प्रिया को गले लगा लिया) कहां रह गई थी तू। कब से तेरा इंतज़ार कर रही हूं। 

प्रिया- आपको एक सर्प्राइज़ जो देना था। 

आयुष सोनू के ठीक पीछे खड़ा था। इसलिए वह उन्हें देख नहीं पा रहा था। 

सोनू- क्या सर्प्राइज़ है? जल्दी से बता। 

प्रिया- आपको किसी से मिलाना है। मां- पापा से तो मिलवा दिया बस आप यह गये थे। 

सोनू- तू बहुत छुपी- रुस्तम निकली। अपनी दीदी से इतनी बड़ी बात छुपाई। चल अब मिलवा अपने मिस्टर परफेक्ट से।

प्रिया- (हंसते हुए बोली) आपके पीछे खड़े हैं। खुद देख लो।

सोनू मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ी। पीछे आयुष को खड़ा देख उसके चेहरे पर जो हंसी के भाव थे वह हैरानी में बदल गये।
वह आश्चर्य से उसे देखती रही।

आयुष उसे देखते ही अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पाया। उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

सोनू- (घबराते हुए बोली) आयुष.... तुम... यहां।

आयुष- (दर्द भरी आवाज़ में बोला) सोनल..... तुम... ऐसा कैसे हो सकता है.... तुम.... तुम ज़िन्दा हो। 

प्रिया आयुष के इस प्रश्न पर हैरान रह जाती है। 

प्रिया- आयुष? सोनू दीदी? आप एक-दूसरे को जानते हैं? और आयुष आप ऐसा क्यों कह रहे हैं कि 'सोनल तुम ज़िन्दा हो'? दीदी को क्या हुआ था? 

आयुष- (बिना प्रिया की बात पर ध्यान दिए सोनल से बोला) रचना ने मुझे कहा था कि तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया और डॉक्टर्स तुम्हें बचा नहीं पाए। तुम जानती हो इस बारे में कि नहीं? 

सोनू- (आयुष के गुस्से से डरती हुई बोली) आयुष... प्लीज़ मेरी बात सुनो। मैं समझाती हूं कि क्या हुआ था।

आयुष- (अपनी आवाज़ को थोड़ा तेज़ करते हुए बोला) तुम्हें पता था इस बारे में कि नहीं? सिर्फ.. हां या ना...

सोनू- (रोते हुए) हां, पता था। मैंने ही उसे ऐसा करने के लिए कहा था। 

आयुष को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। प्रिया को भी सोनल की बात कुछ अजीब सी लगी। 

आयुष- इतना बड़ा धोखा। क्यों सोनल? क्यों किया ऐसा तुमने?

तभी सोनल के पीछे बैठी उसकी चार साल की बेटी की आवाज़ सुनाई देती है।
'मम्मी एक और आईसक्रीम खानी है'

आयुष हैरानी से उस बच्ची को देखने लगा। प्रिया उसे प्यार से अपने साथ ले जाती है।

आयुष- ओह! अब समझ में आया। तो तुमने शादी कर ली।
(सोनल के थोड़ा नज़दीक आ कर बोला) मुझसे शादी नहीं करनी थी तो साफ बोल देतीं, इतना बड़ा झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी। 

सोनू- आयुष, ऐसा नहीं है। तुम ग़लत समझ रहे हो। प्लीज़ मुझे मौका तो दो अपनी सफाई का। 

आयुष- (व्यंग्यात्मक लहजे में हंसते हुए बोला) सफाई.... तुम्हें अब भी सफाई देनी है। पांच साल सोनल, पांच साल। पांच सालों तक मैं यह सोचकर अपने आप को कोसता रहा कि काश! उस दिन मैं तुम्हारे पास होता। शायद मैं तुम्हें बचा लेता। पांच सालों तक इस गिल्ट को अपने ऊपर ढ़ोता रहा। 

सोनू- आयुष एक बार तो सुन लो। 

आयुष- मेरे प्यार का, मेरे भरोसे का इतना बड़ा अपमान! पांच सालों तक तुम्हें अपनी यादों में ज़िन्दा रखा। मान गया था कि खुशियों का मुझसे छत्तीस का आंकड़ा है। दूर भागने लगा था खुशियों से। प्यार के नाम से ही डर लगने लगा था। 
लगता था जिसको भी चाहूंगा, मेरी किस्मत उसे मुझसे दूर ले जाएगी। 

आयुष की आवाज़ में इतना दर्द था कि सोनल की आंखों से अश्रुओं की धारा बह निकली। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह आयुष को शांत कैसे करे।

आयुष- इतने सालों बाद प्रिया के रूप में प्यार ने मेरे दिल पर फिर से दस्तक दी थी। सोचा था कि एक बार फिर अपनी किस्मत पर भरोसा कर के देखता हूं। पर किस्मत ने फिर धोखा दे दिया। 

सोनू- आयुष, माफ कर दो मुझे। मैंने जो भी किया वह तुम्हारे भले के लिए किया। 

आयुष- वाह! सोनल, क्या बात है। तुमने मुझे धोखा दिया, मेरे भले के लिए? मुझसे इतना बड़ा झूठ बोला, मेरे भले के लिए? अपने झूठ और धोखे को जस्टिफाई कर रही हो।‌

आयुष, सोनल को एक पल और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। प्रिया दूर खड़ी नम आंखों से आयुष की हालत देख रही थी। उस वक्त उसका बीच में बोलना सही नहीं था। और‌ वह 
वैसे भी सोनल की बेटी के सामने कुछ बोलना नहीं चाहती थी। इसलिए वह बच्ची को आइसक्रीम दिला दूर खड़ी हो गई।

सोनल- आयुष कहीं एकान्त में आराम से बैठकर बात करते हैं।

आयुष- सोनल मुझे तुमसे कुछ नहीं जानना। और एक बात, जितना प्यार किया था ना तुम्हें, आज उससे कहीं ज़्यादा नफ़रत करता हूं। आज के बाद अपना ये चेहरा मुझे कभी मत दिखाना। 

यह कह आयुष वहां से चले जाता है। सोनल टूट कर पास में रखी कुर्सी पर बैठ जाती है।

आयुष के जाने के बाद प्रिया वहां आती है और सोनल से घर चलने को कहती है। 

रास्ते भर प्रिया अपने उस अनजान से डर के बारे में सोचती रहती है जो उसे उस दिन आयुष के साथ उस गाने पर नाचते हुए हुआ था। क्या सच में आयुष उसे अपने से दूर कर देगा? 


क्रमशः
आस्था सिंघल


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