“सुबे खाना, साम को खाना, रात में बीवी के साथ नंगे हो जाना.”
– दीपक शर्मा, मेमे वाले
अंग्रेजी में एक कहावत है – “Golden words are not repeated.” ये वही सुनहरे शब्द हैं जो कभी रिपीट नहीं होंगे. इनका अगर कुछ होगा तो वो है – मेमे. हाल ही में देश में एक नया चेहरा उभरा है जिसपर मेमे बन रहे हैं. नाम है दीपक शर्मा. गजब बातें कह देता है. एकदम गजब. कहता है कि भौकाली पढ़ाई की है. कहां से? कानपुर यूनिवर्सटी से बीएससी. कहता है ऐसी जगह से डिज़ाइनिंग का कोर्स किया है कि गेट से ही बाहर भगा दिया जायेगा. नाम? एपीजे इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन. तुगलकाबाद इंस्टिट्यूशनल एरिया में बना गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से जुड़ा एक कॉलेज. दीपक शर्मा इस वक़्त सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं. कुछ तो अपनी वजह है, और बाकी भी अपनी ही वजह से. मेमे बन रहे हैं तो मसाला वही दे रहे हैं. दीपक की मशहूरियत गूगल ट्रेंड्स से साफ़ देखी जा सकती है. देश में पिछले 1 महीने के गूगल सर्च को अगर चेक किया जाए तो मालूम पड़ेगा कि पिछले एक हफ़्ते में दीपक को झमक के सर्च किया गया है. उनके बारे में जानकारी ढूंढी गई है.
गूगल ट्रेंड्स में सबसे मज़ेदार बात ये है कि दीपक शर्मा के साथ रिलेटेबल टॉपिक बस एक ही है – मेमे.
असल में दीपक शर्मा एक हिंदूवादी संगठन राष्ट्र स्वाभिमान दल का सदस्य है. दीपक के हिसाब से दया, इंसानियत और क्षमा, तीनों ही हिंदुत्व के दुश्मन हैं.
पोस्ट पर डेढ़ हज़ार के आस-पास लाइक हैं. कट्टर हिन्दुओं का एक झुण्ड इस आदमी के पक्ष में खड़ा हुआ दिखता है. ये आदमी जब बोलता है तो ज़हर ही उगलता है. इसके अपलोड किये गए वीडियो में 80% कॉन्टेंट मुस्लिम विरोधी रहता है. इस आदमी का कहना है कि इस देश को एक गोधरा और चाहिए. इस वीडियो में ये कहता है “जब तक सुअरों की नस्लें काटी नहीं जातीं, तब तक वो गू खाने से बाज नहीं आतीं.” इस वीडियो को 44 हज़ार बार देखा गया, 1000 से ऊपर शेयर मिले और इसे 2700 से भी ज़्यादा लोगों ने लाइक किया.
दीपक शर्मा के मेमे का सेंटर बनने के पीछे की कहानी मज़ेदार है. दीपक को कुछ लोग चिढ़ाते थे. उससे सवाल करते थे कि तुम ये सब क्या करते रहते हो. इस सब की शुरुआत तब हुई जब दीपक ने अपनी 1 लाख रुपये की नौकरी को लात मारी और सड़क पर देश और धर्म की रक्षा करने के लिए उतर पड़ा. बाद में ये सिलसिला फ़ेसबुक पर शुरू हो गया. वहां पूछा जाने लगा कि ये सब क्या है? तुम हो कौन? और न जाने क्या क्या. दीपक को गुस्सा आया और उसने एक फेसबुक लाइव किया. मज़ेदार बातें थीं उसमें. मेमे मटीरियल. ऑल इंडिया बकचोद ने उन्हीं बातों से दीपक शर्मा का सीवी बना डाला –
इसके अलावा दीपक शर्मा के जो मेमे बने –
दीपक शर्मा का वो वीडियो जो मेमे का कारण बना:
इतना सब कुछ हो जाने के बाद हमें लगा कि दीपक शर्मा असल में है कौन, इस बात का पता लगाया जाना चाहिए. सो हमने दीपक शर्मा को ढूंढ निकाला और टेलीफोन पर बातें कीं. बातचीत का कुछ हिस्सा इधर है:
सवाल: नरेश अग्रवाल ने ऐसा क्या किया कि आप भड़क गए?
“उन्होंने नरेश अग्रवाल ने ये बोला… व्हिस्की में राम बसें और इसमें बसें ये…” (नरेश अग्रवाल ने एक सस्ती और पॉपुलर चुटकुलानुमा कविता संसद में सुन दी थी. कविता कुछ यूं हैं:
‘व्हिस्की से विष्णु मिलें
रम से मिलें राम
ब्रांडी से ब्रह्मा मिलें
देशी से हनुमान.
मैं किस किस बोतल का त्याग करूं
सब में बसे हैं भगवान!’ ये कविता कुछ वक़्त पहले तक हर जगह फ़ैली हुई थी. ऑटो रिक्शा के पीछे इसे लिखा हुआ पढ़ा जा सकता था. लेकिन अचानक ही इसने भावनाएं आहत करनी शुरू कर दी हैं.)
सवाल: फिर तो आप ‘अपना हाथ जगन्नाथ’ में भी आहत होने लगेंगे?
“बिलकुल आहत हो जाऊंगा. आप कहें तो कोई बात नहीं है. लेकिन अपना हाथ जगन्नाथ अगर अमिताभ बच्चन कहें तो दिक्कत है. अमिताभ बच्चन ऐसी जगह पर हैं जहां लोग उन्हें फॉलो करते हैं. उनकी बात दुनिया सुनती है.”
सवाल:उस लाइव वीडियो में वो लड़का कौन था जिसे आप पीट रहे थे?
“अब कौन था ये तो नहीं पता कौन था.”
सवाल: आपने उसका चेहरा ढंका था या वो चेहरा ढंक के ही आया था?
“अब ढंक के तो कैसे ही आया होगा. वो भगवान… उसने कुछ फ़ोटोग्राफ बनाये. शंकर भगवान और विष्णु भगवान की इमेज को लेकर किसिंग सीन करते हुए. और किसी मॉडल की न्यूड तस्वीर लेकर उसकी हिप पे दुर्गा माता की फ़ोटो छाप दी.”
सवाल: तो आपने उसे पकड़ के पीट दिया? आपने उसका मुंह क्यूं छुपाया?
“उसी ने कहा था कि मेरा मुंह छुपा दो. तो मैंने छुपा दिया.”
सवाल: वो तो ये भी कह रहा था कि मुझे मत मारो.
“तो मैंने मारना बंद भी तो कर दिया था.”
सवाल: तो आपने लाइव कर दिया? पुलिस को रिपोर्ट कर सकते थे?
“मैं तो पुलिस को रिपोर्ट कर रहा था. वो उसके लिए ज़्यादा परेशानी वाला सबब है. लेकिन उसने कहा कि भइय्या आप मेरे दो थप्पड़ मार लो लेकिन पुलिस केस मत करो.”
सवाल: आपने एक पोस्ट डाला था कि एक और गोधरा चाहिए. क्यूं चाहिए?
“इसका जवाब देना अभी ज़रूरी है? मैं इसका जवाब अभी नहीं दूंगा.”
सवाल: आप पुलिस में भर्ती क्यूं नहीं हो गए. सब ‘लीगल’ हो जाता जो अभी आप कर रहे हैं.
“मेरा प्रयास यही था लेकिन हो नहीं पाया.”
सवाल: क्यूं?
“नहीं हो पाया. हर आदमी जो चाहता है नहीं कर पाता है. जिस समय सपोर्ट चाहिए था फ़ैमिली का मिल नहीं पाया. जिस समय जाने की उम्र होती है उस समय मैं फेमिली के डॉमिनेंस में था.”
सवाल: तो अभी स्वतंत्र हैं? अभी घरवाले नहीं कहते कि मार-पिटाई मत किया करो?
“बिल्कुल कहते हैं.”
सवाल: फिर? उन्हें क्या कहते हैं कि देश के लिए मार-पिटाई ज़रूरी है?
“देश के लिए नहीं. उसने मुझसे बोला कि पुलिस कम्प्लेंट नहीं, आप मेरे साथ ये कर लो. उसकी बात भी मैंने मान ली. बाकी मार पीट का तो कोई यही नहीं बनता.”
सवाल: आप कह रहे थे कि आप आर्मी ट्रेनर हैं? ये क्या था?
“मैंने ये नहीं बोला कि मैंने ट्रेनिंग दी है. मैंने आपको बताया कि मैं जाना चाहता था इसलिए ट्रेनिंग ली थी. रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर से. हमारे घर के पास में एक फ़ायर ब्रिगेड स्टेशन था. उसके सिक्योरिटी हेड अपने बच्चों को फिज़िकल ट्रेनिंग देते थे जिसे आप आर्मी ट्रेनिंग नहीं कह सकते हैं. मैंने वहां पर आर्मी ट्रेनिंग कह दिया होगा तो वो मैंने ग़लत बोल दिया होगा. हां वो पहले आर्मी के ट्रेनर ज़रूर थे.”
सवाल: आप मुझे अपनी पे-स्लिप की फ़ोटो भेज दीजिये.
“वो इस समय मेरे पास है नहीं. आप आएंगे तो मैं अपने बॉस से आपको मिलवा दूंगा.”
और इसके अलावा बहुत सी बकवास जिसे छोड़ दिया गया.
ये आदमी यानी दीपक शर्मा कानपुर यूनिवर्सिटी का ग्रेजुएट, एपीजे इंस्टिट्यूट से डिज़ाइनिंग पढ़ा जहां से शायद आपको गेट से वापस लौट आना पड़े, मेमे हीरो बन गया है. अच्छा भला धर्म की रक्षा कर रहा था, पुतले फूंक रहा था, रैली निकाल रहा था, मंदिर में लाउडस्पीकर लगवा रहा था और लोगों ने इसे इरिटेट कर दिया. ऐसे लोगों के लिए इसने जो कहा वो समय की रेत पर लिखा जा चुका था –
“लड़की है तुम सबका इलाज. फंसा लूंगा कहीं न कहीं.”
इस आर्टिकल में दीपक शर्मा और उनके फॉलोवर्स को ध्यान में रखते हुए मीम को मेमे लिखा गया है. कृपया विवेक से काम लें.