दिल से पुकारो! मददगार ही मददगार दिखाई देंगे... (𝓐 𝓼𝓽𝓸𝓻𝔂 𝓸𝓯 𝓒𝓪𝓻 𝓟𝓪𝓷𝓬𝓱𝓻)
जनवरी 2023 की बात है अपने कुछ दोस्तों के साथ एक सरिस्का ट्रिप से वापस आ रहा था , सुबह 08 बजे निकलते थे और सफर करते हुए १०-११ घण्टे बीत चुके थे , उसके बाद भी मंजिल तक नहीं पहुंचे तो शरीर में थकावट होने लगती है। ठंड़ी का मौषम और ऊपर से बारिश हो जाये , अंधेरी रात के 8 बजे सुनसान सड़क पर गाड़ी पंचर हो जाये और अपने पास पंचर सुधारने के साधन न हों तो थकावट घबराहट में बदल जाती है। #खैरथल और #अलवर के मध्य घाटला रेलवे स्टेशन के पास हमारी गाड़ी का टायर पंचर हो गया। टायर खोलने के साधन नहीं थे ( गाड़ी का जैक तो था लेकिन जैक को उठाने वाली लोहे की रॉड नहीं थी, स्टेपनी तो थी लेकिन उस में भी हवा नहीं थी) हम पंचर टायर के साथ ही कार को ही खैरथल बाजार में लेके पहुंचे। लेकिन बरसात होने के कारण बाजार जल्दी बंद हो गया था तो हमे कोई पंचर लगाने वाला भी नहीं मिला। घर पहुंचने की जल्दी भी बहुत थी क्यों की उस दिन मेरी बेटी का जन्मदिन था सब लोग हमारा इंतजार कर रहते क्युकि जन्मदिन का कैक भी मैने लाने की बात कहती थी , अभी तक घर से बार बार फ़ोन भी आना शुरू हो गया था जिस की वजह से एक मानसिक दबाव भी बन गया । अब हम ललचाई हुई आखो से ताकने लगे तभी एक दूध वाहनी के ड्राइवर की नजर हम पर पड़ी तो उसने हम से पूछा क्या हुवा भाई सहाब और सहायता के लिए आगे आया।
हालांकि मैंने अभी # AUTHOR OR #COACH होने का कोई परिचय नहीं दिया था और वो मुझे पहचानता भी नहीं था , उसने भरसक मेहनत की और हमारी गाड़ी को ठीक किया। मैंने उसे खुशी से 50 रुपये देना चाहा तो उसने यह कहते हुए मना कर दिया कि हो गया...हम भी ड्राइवर हैं भाई साहब बाहर जाते हैं और ज़िन्दगी रोड़ पर ही गुजारी है तो जरवत होने पे कोई न कोई हमारी भी मदद करता ही है। उसके बाद मैंने बताया कि मैं जगत तुर्किया एक ऑथर और लोगो की ज़िन्दगी सुधरने वाला लाइफ कोच हूँ तो वह युवक मुस्कुराने लगा और उस की आखो में एक चमक आ गई बोला- सर अब तो ये पैसे मै आप से बिलकुल भी नहीं ले सकता और मुझे माफ़ करना अन्धेरा होने के कारण मै आप को पहचाना नहीं था।
मैंने पूँछा- परिचय के बाद आप ऐसा क्यों बोल रहे हो?.. वह व्यक्ति बोला- सर । आप को याद नहीं है आप ने पेंडेमिक ( कोविड के समय ) मेरी सहायता कि थी , आप के एक ऑनलाइन बैच में मेने फ्री ट्रेनिंग ज्वाइन की थी जिसने मुझे मेरी उस स्थति से निपटने में सहायता कि और आप ऐसे इंसान थे जब कोई मेरे साथ नहीं खड़ा था तब आप आभासी रूप से मेरे साथ थे , मै आप को फेसबुक पर फॉलो करता हु मेरी फेस बुक ID मेरे बेटे के नाम से बनी है। अब वो भारतीय संस्कारों के मुताबिक लपक के मेरे गले लगा और थैंक्यू बोला और कहा सर आज मै हु तो आप की वजह से और फिर हम अपने अपने रास्ते निकल लिए।
उस के बाद मै सोच रहा था ज़िन्दगी में कोई समस्या होतो कभी चुप न बैठें - अपने आस पास देखे और जोर से आवाज लगाएं लोगों को बुलाएं...यकीन मानिये लोग आप की आवाज सुनलेगे इस दुनिया में बहुत से लोग जिंदा है ...आपके आस-पास सहायता करने वालो की भीड़ लग जायेगी।
#हिंदी भाषा
#IGNiTE2INSPiRE #UnleashYourPotential #ठंडी #बरसात #WINTERvibes #अच्छे #लोग #KHAIRTHAL #Rajasthan #सफ़रनामा #storytelling #struggle #ALWAR #JAGATTURKIYA #THEINCREDIBLEYOU #ARFEENKHAN