गर्मी बहुत है आज फिर से वही टॉपिक तो आज फिर हम ग्लोबल वार्मिंग पे लिखने वाले है
दुनिया मे दिनों दिन गर्मी बढ़ती जा रही है | मानव जीवन,जीव जन्तुओं तथा वनस्पतियों के जीवन में बड़ी भूमिका निभाने वाली पृथ्वी दिनों दिन ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में तेजी से आ रही है | और सारा संसार इसके आगे आपने आपको असहाय महसूस कर रहा है | सबसे आश्चर्य की बात यह है की इस प्रक्रिया के लिए कोई प्राकृतिक कारक जिम्मेदार नहीं है | बल्कि विवेकशील माने जाने वाले मनुष्य की रोजाना की गतिविधियों के कारण है | ग्लोबल वार्मिंग को लेकर शायद एक आम आदमी यह धारणा बना लेता है की पर्यावरण के जानकारों के लिए ही इसका महत्व है | जबकि वह इस बात से अनजान रहता है की वह भी कही न कही ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा दे रहा है | इस का मुख्य कारण है इसमें सबसे ज्यादा विकसित देशों का योगदान बहुत अधिक है और इसी कारण हर वर्ष हमारे धरती पर प्रदूषण का प्रकोप बढ़ता जा रहा है जिसमें सबसे ज्यादा परिवहन साधों से निकलने वाला धुवा एंड ऐरकंडेशन से निकलें वाली खतरनाक गैस एवं अन्य गैसे हैं। जिससे हमारे धरती के ओजोन लेयर में छेद का आकार बढ़ता जा रहा है जिससे अल्ट्रावायलेट किरणें सीधे धर से टकराती हैं एवं यहां के तापमान में वृद्धि कर रही हैं। जिससे हमारे ग्लेशियर अत्यधिक तेजी से पिघलते जा रहे हैं यह मौसम में भारी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
बहुत से लोगो का मानना है की ग्लोबल वॉर्मिंग महज एक प्राकृतिक चक्र है , जी नही ऐसा नहीं है अंधाधुध विकास का परिणाम ,भोगवादी संस्कृत जो पाश्चात्य की देन ग्लोबल वार्मिग है ,बेतहासा बढती जनसंख्या एवं प्रकृतिक संसाधनो का दोहन आबादी बढेगा तो लोगो के जरुरत को पूरा करने के लिए नदि पहाड पेड पौधे को नष्ट करना यही तो ग्लोबल वार्मिग का कारण है।
सरकारी तंत्र मे व्याप्त भ्रष्टाचार भी इसके मूल मे है ।सरकार जो योजना बनाती है या सरकारी विभाग अपने कर्तव्यो का निर्वहन न करके धन कमाने मे लग जाते है ।जिसका पूरा अनुशरण आम जन उनको मालूम है कि हम धन कुछ बल पर पाक साफ हो जायेगे ।
जैसे-सरकार विकास कार्य को गति देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रो मे बिना कोई विकास योजना बनाए हुए स्टाप डेम ,रोड,नाली का निर्माण कर देती है ठेकेदार अपने लाभ को देखते हुए घटिया सामान यूज करते है चोरी सीमेन्ट,अलकतरा का होता है ये महगे होते है जो कुछ वर्षो मे ही खराब हो जाते है ।
निर्माण मे बालू पत्थर ईटे जो आते है प्रकृति का दोहन करके ही आते है हर पांच साल मे रोड का हाईट बढ जाता है ।