एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब परिवार रहता था। वहां के लोग गर्मजोशी और एकता से जुड़े रहते थे। उनका एक बेटा राकेश बहुत ही उत्साही और सामाजिक सेवा के प्रति समर्पित था।
एक दिन गांव में रक्तदाता कैंप लगा था । राकेश ने अपने दिल की आवाज को सुनते हुए निर्धारित किया कि वह भी रक्तदान करेगा। यह सोचकर कि रक्तदान करने से किसी की मदद की जा सकती है, उसने कुछ पैसे इकट्ठा किए और बस पकड़ कर गांव के नजदीकी शहर रक्तदान केंद्र में पहुंचा।
राकेश को रक्तदान केंद्र में स्वागत किया गया और एक चिकित्सक ने उसे संबोधित किया। चिकित्सक ने उसे समझाया कि रक्तदान करना बहुत महत्वपूर्ण होता है और इससे अनेकों लोगो जीवनों को बचाया जा सकता है जिस में अमीर , गरीब और जरवत पड़ने पर देश के जवान भी शामिल होते है । रामू ने ध्यान से सभी निर्देशों का पालन किया और रक्तदान कर दिया। रक्तदान होने के बाद उसे एक स्वर्णपटक और सर्टिफिकेट भी दिया गया। राकेश ने इस प्रकार के स्वागत का अनुभव किया और उसका मन उद्यमित हो गया।
कुछ दिन बिताने के बाद, राकेश ने अपने गांव के लोगों को रक्तदान के महत्व के बारे में जागरूक किया। वह लोगों को बताने लगा कि रक्तदान से कितने लोगों की जान बचाई जा सकती है और इसे कैसे करना चाहिए। लोगों ने राकेश की बातों को गहराई से समझा और उनके मन में रक्तदान के प्रति एक नया जागरूकता का आभास हुआ।
गांव में रक्तदान के लिए एक अभियान शुरू हुआ और राकेश उसका प्रमुख आयोजक बन गया। वह सभी को इंस्पायर करता है और उन्हें समझाता है कि रक्तदान से एक व्यक्ति न केवल अपना बलिदान करता है, बल्कि वह अनजाने में दूसरों की जान बचाने में भी सहायता करता है।
रक्तदान केंद्र भी बड़े उत्साह से लोगों को स्वागत करने लगा। लोग बड़ी संख्या में आने लगे और अपना रक्तदान करने के लिए तत्पर हो गए। राकेश बहुत खुश होता है कि उसके लोगों ने उसकी सीख सुनी और समझी आज ये मोहिम इतनी बड़ी हो गई है की राकेश से सम्पर्क करे है लोग और राकेश भारत के किसी भी शहर में रक्तदान करने वाले लोगो से जुड़ा हुवा है।
इस तरह, एक एरिया में रक्तदान करने की एक संस्कृति विकसित हुई और लोगों ने इसे एक जीवनाधार बना लिया। विश्व रक्तदाता दिवस के रोचक और प्रभावशाली अनुभव ने राकेश को एक समाजसेवी नेता बना दिया और उसके लोगों में जीवन बचाने के लिए एक नया ज्ञान जगाया।