9 जनवरी की शाम को दिल्ली के सदर बाजार में एक मर्डर हुआ. रवि कुमार का. पर ये मर्डर आम हत्याओं जैसा नहीं था. दिल्ली में तो रोज हत्याएं होती हैं, पर सबमें कॉमन चीजें ही होती हैं. किसी को गोली मार दी जाती है. कहीं छुरा चल जाता है. पर इस हत्या में जो तरीका इस्तेमाल किया गया था वो कॉल्ड वॉर के दौरान अमेरिका और रूस इस्तेमाल करते थे. पूरी प्लानिंग कर के सबके सामने मारा जाता था. पर किसी को शक नहीं होता. कुछ देर बाद पता चलता कि कोई गिर गया है जमीन पर. तड़प रहा है. तब तक हत्यारा उड़न-छू हो जाता. अमूमन ये हत्याएं पार्टियों में, होटल में या मार्केट में होती थीं. टारगेट ज्यादातर बुद्धिजीवी होते थे. इसीलिए बुद्धि से ही मारा जाता था इनको.
तो रवि कुमार सदर बाजार के एक मूवी थिएटर के पास पहुंचे थे. अचानक उनको लगा कि उनकी गर्दन में कुछ चुभा है. जब वहां उन्होंने टच किया तो पता चला कि खून निकल रहा है. रवि कुछ सेकेंड तक समझ नहीं पाए. फिर मौका नहीं मिला. गिरने लगे. पर पता नहीं क्या दिमाग में आया कि मुड़कर पीछे खड़े आदमी का कॉलर पकड़ लिया. जनता भी भागी आई. मार्केट है वहां. लोग घूमते रहते हैं. उस आदमी को पकड़ लिया गया. बात यहीं खत्म हो जाती तो ठीक था. ऐसा हुआ नहीं. रवि को अस्पताल लाया गया. रात भर जद्दोजहद चलती रही, फिर रवि की मौत हो गई.
हत्या में दो लोग शामिल थे, एक डॉक्टर तो दूसरा जिम ट्रेनर था
पकड़े गये आदमी का नाम प्रेम था. ये आदमी फिजियोथेरॉपिस्ट है. पता चला कि इस डॉक्टर को किसी ने हायर किया था रवि को मारने के लिए. डॉक्टर रवि की पत्नी का नेबर हुआ करता था. पर यहां एक ट्विस्ट है. डॉक्टर को रवि की पत्नी से कोई मतलब नहीं था. जिसने डॉक्टर को हायर किया था, उसे मतलब नाम था. अनीश यादव नाम है उसका. जिम ट्रेनर है.
पहले अनीश रवि की पत्नी के साथ पढ़ता था. उस दौरान उसने कई बार उसे प्रपोज किया था. पर लड़की ने मना कर दिया. और रवि से शादी कर ली. अनीश की भी फरवरी 2016 में शादी हो गई. पर उसने अपनी पत्नी को छोड़ दिया. और अपने पहले प्यार को पाने के लिए इंटरनेट पर तरीके खोजने शुरू कर दिये. हर तरह के मर्डर के तरीके खोजे गए. ऐसा तरीका जिसके इस्तेमाल के बाद कोई पकड़ा नहीं गया हो. मिला भी. लंदन और जर्मनी में दो हत्याएं हुई थीं जिसमें कोई पकड़ा नहीं गया था. इनके आधार पर फुलप्रूफ प्लान बनाया गया. इस प्लान में डॉक्टर चाहिए था. दवाइयां चाहिए थीं. और एक मौका. कोई पकड़ा नहीं जाता. क्योंकि पता ही नहीं चलता कि क्या हुआ. बस पीछे से सुई चुभो देनी थी.
बीबीसी के पत्रकार का ऐसा ही मर्डर हुआ था लंदन में
ऐसा कॉल्ड वॉर के वक्त हुआ था. 1978 में बुल्गारिया के एक राइटर जर्जेई मर्कोव को इसी तरह मारा गया था. वो बीबीसी में पत्रकार भी था. मर्डर लंदन में हुआ था. इसे अंब्रेला मर्डर कहा गया था. मर्कोव कम्युनिस्टों की निगाह में था. इसे मारने का फतवा जारी हुआ था कम्युनिस्टों की तरफ से. मर्कोव बस में जा रहा था. तभी एक हट्टे-कट्टे आदमी ने एक छाता इसके ऊपर गिरा दिया. फिर उसने मर्कोव को सॉरी बोल दिया. मर्कोव को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. मर्कोव की जांघ में कुछ चुभा था. छोटी सी बात थी. पर तीन दिन के अंदर उसे बहुत ज्यादा बुखार हो गया और वो मर गया. जेम्स बॉन्ड स्टाइल में इस छाते के पिन पर रिसिन जहर लगाया गया था. रूस की खुफिया एजेंसी KGB ने इसे ईजाद किया था. इस मामले में कोई पकड़ में नहीं आ रहा था. इटली के एक जासूस पिकेडिली पर आरोप लगा था. पर उसने मुस्कुराते हुए सॉरी कह दिया. बोला कि मुझे कोई मतलब नहीं था. हालांकि उस पर तीन बार मर्कोव को मारने के प्लान का आरोप लगा था. पर कुछ साबित नहीं हो पाया. दुखद ये है कि मर्कोव खुद केमिकल इंजीनियर था.
पर दिल्ली में थोड़े KGB अनीश को सपोर्ट कर रही थी
पर दिल्ली में अनीश खुद ही KGB बने हुए थे. इंटरनेट पर सर्च कर पता नहीं कौन सा बम बना रहे थे. खुद तो लंपट थे ही, उस डॉक्टर को पता नहीं क्या समझा लिया. दोनों ही स्टडी करने लायक हैं. अनीश को अपना ‘प्यार’ बार-बार याद आ रहा था. हालांकि कहा जाता है कि जिम करने से ब्रेकअप का दर्द कम हो जाता है. पर जिम ट्रेनर अनीश को कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं फिजियो प्रेम का भी फील्ड वही है. दर्द कम करना. अपना काम तो ठीक से कर नहीं पाए. दूसरों की जिंदगी बिगाड़ दी. मिडाजोलम और फोर्टविन ड्रग का कॉकटेल बनाया गया इस काम के लिए.
हालांकि इंडिया में अनीश खुफियागिरी के पहले टैलेंट नहीं हैं. अप्रैल 2016 में चेन्नई में एक बिजनेसमैन पकड़ा गया. 2015 में इसने तीन लोगों को इसी अंदाज में मारा था. इंजेक्शन देकर. इससे पहले उसने इसे कुत्तों पर ट्राई किया था. वो भी इंजेक्शन छाते में छुपा के रखता था. छाता जांघ में छुआ के मार देता था. इन तीन लोगों में से एक उसका साला था. पर ये इंडिया है गुरू. और कॉल्ड वॉर भी नहीं चल रहा है. सबसे बड़ी बात कि रूस या अमेरिका स्पॉन्सर नहीं कर रहे थे इस हत्या को कि निकल जाओगे.
मर्कोव के मर्डर पर फिल्में भी बनी हैं. फ्रांस में The Umbrella Coup और इटली में The Police Can’t Move बनीं. अमेरिका में कई सीरियल्स में इसे इस्तेमाल किया गया.
साभार : The Lallantop